मल्हार मीडिया भोपाल।
भोपाल गैस त्रासदी की 33वें बरसी पर भोपाल रनर्स की ओर से रन भोपाल रन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लेकिन भोपाल गैस पीड़ितों ने मैराथन कार्यक्रम का विरोध किया और इसे गलत बताया है।
गैस पीड़ितों ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित राजभवन के पास कफन ओढ़कर रन भोपाल रन का विरोध किया। उन्होंने कहा, एक ओर मातम का दिन है और दूसरी तरफ जश्न मनाया जा रहा है। असल में, दो दिन पहले ही ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के सदस्य अजय दुबे ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। उनका कहना है कि आधे शहर में मातम है तो आधे शहर में जश्न कैसे हो सकता है।
संगठन के लोग कफन ओढ़कर राजभवन के पास सड़क पर लेट गए। बाद में उन्हें हटाने के लिए पुलिस के जवान पहुंचे। विरोध प्रदर्शन में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया, छत्रपति ब्रिगेड, समेत कई संगठनों और स्कूल- कॉलेज के स्टूडेंट्स ने इसके विरोध में शुक्रवार को बोर्ड आफिस चौराहे पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने एनजीओ रन फॉर रन के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है।
उनका कहना है कि इस कार्यक्रम को किसी और दिन भी किया जा सकता है। हम लोग इतने वर्षों से न्याय के लिए लड़ाई कर रहे है और इस तरह के आयोजन उसकी गंभीरता को कम कर रहे हैं। रेस के पहले सुबह पांच बजे गैस पीड़ितों ने कैंडल जलाकर हादसे में मारे गए लोगों के पहले श्रद्धांजलि दी और इसके बाद अपना विरोध जाहिर कर दिया।
दुबे का कहना है कि 3 दिसंबर को भोपाल गैस कांड दुनिया की सबसे बड़ी रासायनिक त्रासदी है। इसमें कई हजारों लोगों की अकाल मौत हो गई थी। इसकी बरसी पर रन फॉर रन जश्न मना रहा है।
दुबे का कहना है कि एनजीओ रन भोपाल रन ने 2016 में वन विहार के अंदर घुसकर रैली निकाली थी। इस एनजीओ को केंद्रीय जू प्राधिकरण ने वन्य प्राणी सरंक्षण अधिनियम 1972 एवं जू रुल्स 2010 के तहत दोषी करार दिया था। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई
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