मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है पुलिस आरक्षक भर्ती में 50-50 फार्मूला अपनाया जाएगा। यह घोषणा उन्होंने आज विधानसभा में की।
यानी कि भर्ती परीक्षा के 50% और फिजिकल के 50% मिलाकर रिजल्ट घोषित किया जाएगा। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि इस पॉलिसी के कारण उम्मीदवारों को और पुलिस
वर्तमान में भर्ती परीक्षा पास करने वालों को फिजिकल टेस्ट पास करना होता था। यानी की परीक्षा के 2 चरण होते थे। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद परीक्षा का दूसरा चरण समाप्त हो जाएगा। सभी उम्मीदवारों को भर्ती परीक्षा और फिजिकल टेस्ट में शामिल होने का मौका मिलेगा।
सीएम शिवराज सिंह का कहना है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले उम्मीदवारों को लाभ मिलेगा। भर्ती परीक्षा में फेल हो जाने के बाद शारीरिक रूप से सक्षम होने के बावजूद उन्हें मौका नहीं मिल पाता था।
दशकों पहले मध्य प्रदेश में केवल शारीरिक दक्षता के आधार पर सिपाही की भर्ती होती थी। इसके बाद पॉलिसी बदली गई और आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में सबसे पहले पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य कर दिया गया। बड़ा सवाल यह है कि क्या यह पॉलिसी गलत है।
इस बात पर ध्यान देना होगा कि मध्यप्रदेश में जनसंख्या बढ़ती गई और अनुपात में पुलिस अधिकारियों की भर्ती नहीं की गई। जिसके कारण सिपाहियों पर काम का बोझ बढ़ गया। आज मध्य प्रदेश में व्यवहारिक तौर पर पुलिस आरक्षक केवल डंडा लेकर गश्त नहीं करता। कई बड़े मामलों को सुलझाने में सिपाहियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
दशकों पहले अपराधी पढ़े-लिखे नहीं होते थे। चौराहे पर यदि एक सिपाही खड़ा है तो पूरा समाज अनुशासन में बना रहता था लेकिन अब साइबर क्राइम भी होता है। हर चौराहे पर शिक्षित और प्रशिक्षित सिपाही की जरूरत है। पुलिस डिपार्टमेंट में केवल आरक्षक ही है जो समाज से जुड़ा होता है। यदि केवल शारीरिक दक्षता के आधार पर पहलवानों की भर्ती हो गई तो पुलिस डिपार्टमेंट और आम नागरिकों के लिए कई मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।
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