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अनिल दवे के अधूरे को पूरा करेंगे, अमरकंटक में नहीं होगा अब नया निर्माण

राज्य            May 18, 2022


मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अमरकंटक में अब कोई नया निर्माण नहीं होगा। जितने पुराने निर्माण हैं, उनके सीवेज का पानी नर्मदा नदी में न जाए इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। नर्मदा नदी को बचाने के लिए कठोर कदम उठाना आवश्यक है। नर्मदा जी के किनारे बसे शहरों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं।

यहाँ से निकलने वाले पानी का उपयोग खेतों में किया जाएगा। प्रगति के साथ हमने विनाश के भी कार्य किए हैं। जहाँ पहले धरती में 30 से 40 फिट पर पानी मिल जाता था, वही अब एक हजार फिट पर भी पानी नहीं निकल रहा है। इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं।

धरती और पर्यावरण को बचाना है तो हमें वृक्ष लगाने होंगे। वृक्षा-रोपण को हमें संस्कार और अपनी आदत के रूप में अंगीकार करना होगा।

मुख्यमंत्री मैपकॉस्ट में नदी उत्सव-2022 में “खेती किसानी - नदी की जुबानी” सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम पर केंद्रित प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया। केंद्रीय खाद्य प्र-संस्करण उद्योग एवं जल-शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल, मध्यप्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, पर्यावरणविद तथा राष्ट्रीय संयोजक गोपालजी भाई और नर्मदा समग्र के अध्यक्ष राजेश दवे विशेष रूप से उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में ग्लेशियर नहीं हैं। यहाँ वृक्षों द्वारा अवषोशित जल को बूंद-बूंद छोड़ने से ही माँ नर्मदा विशाल नदी का रूप लेती हैं। सतपुड़ा और विंध्याचल नर्मदा नदी के भाई के समान हैं। नर्मदा के दोनों ओर पर्याप्त जंगल विद्यमान था, परंतु खेती के विस्तार के लिए पेड़ों को हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई और धीरे-धीरे जंगल समाप्त होने लगे। नदी के दोनों ओर पेड़ और घास नहीं रहेगी तो मिट्टी का कटाव बढ़ेगा।

अत: नर्मदा नदी के दोनों ओर वृक्षा-रोपण के लिए सघन गतिविधियाँ चलाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी के दोनों और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे नदी में रसायनिक खाद और कीटनाशक के बहाव पर नियंत्रण होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक विकास खण्ड पर 5 मास्टर ट्रेनर की सेवाएँ दी जा रही हैं।

श्री चौहान ने कहा कि स्व.अनिल माधव दवे ने जो काम अधूरे छोड़े हैं, उन्हें पूर्ण करने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। पर्यावरण-संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्तर पर कार्य करना होगा। यदि हम अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य के जन्म-दिवस, शादी की वर्षगाँठ और परिजन के पुण्य-स्मरण में पौधे लगाने और उसकी देखभाल के लिए प्रतिबद्ध हों, तो यह पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में हमारा महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।

 



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