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आरोपी जेल में,गैंगरेप का वीडियो वायरल

वामा            Feb 27, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क पाकिस्तान के एक दूरदराज़ गांव में एक महिला का चार लोगों ने बलात्कार किया. वह बदनामी के डर से चुप रही. फिर इस गैंग रेप का एक वीडियो ऑनलाइन और मोबाइल फ़ोनों पर शेयर किया जाने लगा. बीबीसी के मुताबिक़ इसे रोकने या प्रतिबंधित करने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है.जिस बदनामी और अपमान से बचने के लिए सादिया (काल्पनिक नाम) चुप रही, वही अब इंटरनेट पर पांच और 40 मिनट के वीडियो की शक्ल में लगातार देखा जा रहा है. पंजाब के गांवों और शहरों में ये लगातार शेयर किया जा रहा है.सादिया के पिता का कहना है कि सबसे पहले उनके बड़े भाई ने इस वीडियो के बारे में बताया.इस मामले में चार संदिग्ध जेल में हैं और मुक़दमा शुरू हो चुका है. 'मुझे बताने में उसे शर्म आई होगी. उसकी मां ज़िंदा होती तो शायद वह उससे खुलकर बात करती और पहले ही सारी बात बता देती'.मामला सामने आने पर वे पुलिस के पास गए और इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई. छोटे से समुदाय में अपराधियों की शिनाख्त मुश्किल नहीं थी.गैंगरेप का ये वीडियो अब भी ब्लूटूथ के ज़रिए शेयर किया जा रहा है और इसकी क्लिप्स बनाकर फ़ेसबुक पर डाली जा रही हैं. सादिया सब्ज़ियों और गन्नों की क्यारियों से घिरे एक ठेठ पाकिस्तानी गांव में रहती हैं. 23 साल की सादिया उम्र से छोटी दिखती है. माँ के गुज़रने के बाद अब वही छोटे भाई-बहनों की देखभाल कर रही हैं.इस हादसे से वह डरी हुई और परेशान हैं. हिचकिचाते हुए वह सारे हादसे के बारे में बताती हैं.'मुझे अपनी फ़िक्र नहीं लेकिन मैं अपने भाई-बहनों को इस अपमान और शर्मिंदगी से बचाना चाहती थी. इसीलिए मैंने किसी को कुछ नहीं बताया.' यह वीडियो अाज भी ऑनलाइन है और पुलिस इस कोशिश में है कि किसी तरह उसे वहां से हटाया जाए.पाकिस्तान की क़ानून व्यवस्था बदलते समाज और तकनीक के साथ कदम नहीं मिला पा रही है. ऐसा कोई क़ानून नहीं जो किसी वेबसाइट से जबरन वीडियो या अन्य सामग्री हटवा सके.एक नया साइबर क़ानून बनाया गया है पर वह अभी लागू नहीं किया गया है.पाकिस्तान की फ़ेडरल जांच एजेंसी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल शहज़ाद हैदर साइबर अपराध शाखा देखते हैं. उनके मुताबिक़ हर महीने 12 से 15 ऐसे केस उनके पास आते हैं जिनमें आपत्तिजनक वीडियो अपलोड करने की शिकायत होती है. ये संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन साफ़ क़ानून के अभाव में वे इन मामलों में सिर्फ़ एक पुराने क़ानून इलैक्ट्रॉनिक ट्रांज़ेक्शन ऑर्डिनेंस के तहत ही कारवाई कर पाते हैं.


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