Breaking News

जानिये फर्जी आईएएस रूबी की क्या है कहानी?

वामा            Apr 04, 2015


अकादमी के डिप्टी डायरेक्टर भी घेरे में ruby-sing-02 मल्हार मीडिया ब्यूरो लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी की सुरक्षा सवालों के घेरे में है. एक फ़र्ज़ी आईएएस महीनों अकादमी में रहती रही और किसी को कानोकान भनक भी नहीं लगी । सवाल उठता है कि क्या इस मामले में सिर्फ रूबी दोषी है? तार कहाँ तक जुड़े है? जानिए पूरी कहानी लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी मसूरी के डिप्टी डायरेक्टर फर्जीवाड़े में घिर गए हैं। मसूरी स्थित भारतीय प्रशासनिक अकादमी के डिप्टी डायरेक्टर पर नौकरी का झांसा देकर 5 लाख लेने का आरोप है। छह माह तक फर्जी आईएएस बनकर अकादमी के एक कक्ष में ठहरी रूबी चौधरी ने यह दावा किया है। रूबी ने कहा कि इसी अफसर ने अकादमी में ठहराया और एसडीएम का फर्जी आईकार्ड भी बनाकर दिया। रूबी ने कहा कि कुल 15 लाख में नौकरी का सौदा हुआ, 5 लाख दे चुकी हूं। रुबी मुजफ्फरनगर की रहने वाली है। इससे पहले कल आई खबर के अनुसार लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी मसूरी में छह महीने तक फर्जी तरीके से अफसर बनकर रहने वाली महिला एकेडमी के ही एक अफसर की गर्लफ्रैंड बताई जा रही है। अफसर ने ही उसे फर्जी दस्तावेजों के सहारे गार्ड के आवास में ठहराया था। यह बात अकादमी में कई माह से उठ रही थी। लेकिन राष्ट्रपति के दौरे ने इसका पर्दापाश कर दिया। अब उच्चाधिकारियों ने अपने बचाव में गार्ड पर गाज गिरा दी है। जबकि सुरक्षा अधिकारी को लम्बी छुट्टी पर भेज दिया है। एलबीएस एकेडमी में फर्जी अफसर बनकर रहने वाली महिला के मामले में अब सनसनीखेज खुलासा हुआ है। सूत्रों के मुताबिक देश के सर्वोच्च प्रशिक्षण संस्थान की सुरक्षा को ताक पर रखते हुए अकादमी के एक वरिष्ठ अफसर ने अपनी प्रेमिका को फर्जी ट्रेनी आईएएस अफसर बनाकर छह माह तक अकादमी में ठहराया। महिला के अकादमी के भीतर आवाजाही पर जब सवाल खड़े हुए तो अफसर के इशारों पर पर्दा डाल दिया जाता । इस बीच अप्रैल अंत में राष्ट्रपति के उत्तराखंड आगमन की सूचना आई तो अकादमी में हंड़कंप मच गया। मामले में अकादमी के अफसरों ने सुरक्षा को लेकर बैठकें आयोजित की। इस पर अफसर की महिला मित्र भी चर्चा में आई। मामला बिगड़ते देख अफसर ने महिला मित्र को अकादमी छोड़ने को कहा। महिला भी झंझट से बचने के लिए बिना बताए ही 27 मार्च को अकादमी से चलती बनी। इसके बाद मामला तूल न पकड़े अकादमी के सुरक्षा अफसर ने गुपचुप तरीके से औपचारिकता के लिए एक तहरीर पुलिस को दी। पुलिस ने भी अकादमी से जुड़ा मामला होने पर तत्काल मुकदमा दर्ज कर लिया। अब मामला मीडिया में उजागर हुआ तो अकादमी के अफसरों में हड़कंप मच गया। कड़ी सुरक्षा वाले जोन में महिला के फर्जी ट्रेनी आईएएस अफसर बनकर रहने तथा इसके बाद बिना बताए फरार होने से सवाल खड़े होने लगे हैं। इस प्रकरण में बुधवार को अफसरों ने बैठक बुलाते हुए सुरक्षा गार्ड देव सिंह को निलंबित कर दिया है। मामले की जांच कराने की बात भी बैठक में कही गई। इसके अलावा प्रशासनिक अधिकारी सत्यवीर सिंह की छुट्टी स्वीकृत करते हुए मामले को ठंडा करने की कोशिश की गई। फर्जी ट्रेनी आईएएस रूबी का बड़ा खुलासा मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (आईएएस ट्रेनिंग कॉलेज) में कथित तौर पर सात महीने तक आईएएस अधिकारी बन कर रहने वाली रूबी चौधरी गुरुवार को मीडिया के सामने आई। रूबी ने इस दौरान बड़ा खुलासा किया। उसने अकादमी के डिप्टी डायरेक्टर सौरभ जैन पर आरोप लगाए। जैन पर पांच लाख रुपये लेकर अकादमी में एंट्री दिलवाने का आरोप लगाया। कहा कि जैन ने उससे अकादमी में लायब्रेरियन की नौकरी के बदले 20 लाख रुपए की मांग की थी। साथ ही अब मामले में चुप रहने के लिए पांच करोड़ रुपए देने की पेशकश की थी। मामला सामने आने के बाद से गुमशुदा रूबी, गुरुवार सुबह दून में मीडिया के सामने आई। विधानसभा के पास एक गेस्ट हाउस में टिकी रूबी ने कहा कि वह अकादमी से निकलने के बाद से ही पुलिस के संपर्क में थी। एसपी सिटी अजय सिंह ने ही उसे जांच के बहाने गेस्ट हाउस दिलाया है। रूबी ने बताया कि करीब एक साल पहले उसकी मुलाकात अकादमी के डिप्टी डायरेक्टर सौरभ जैन से दिल्ली में हुई थी। जहां सौरभ जैन ने उसे 20 लाख रुपए के बदले अकादमी में लाइब्रेरियन बनाने की पेशकश की। इसमें से उसने पांच लाख रुपये सौरभ जैन को दे दिए थे। इसके बाद उसे सितंबर 2014 में अकादमी में एंट्री मिली। वहां उसे गार्ड रूम रहने के लिए दिया गया। इसके लिए भी उससे 1,500 रुपये किराया लिया जाता था। रूबी के अनुसार वह लगातार सात महीने अकादमी में नहीं रही। बीच-बीच में आती जाती रहती थी। इसके लिए उसे बकायदा गेट पास उपलब्ध कराया जाता था। रूबी का आरोप है कि जब उसने बिना नौकरी के अकादमी में ऐसे रहने पर आपत्ति जताई तो सौरभ जैन ने ही उसे एसडीएम का फर्जी आईकार्ड उपलब्ध करा दिया। जैन ने आश्वासन दिया कि आईकार्ड देखकर कोई उससे पूछताछ नहीं करेगा। रूबी ने बताया कि अकादमी के सिक्योरिटी ऑफीसर और आईटीबीपी के अधिकारियों को भी उनके वहां ठहरे होने की जानकारी थी। रूबी का आरोप है कि जब लगातार लोगों को उसे लेकर शक होने लगा तो सौरभ जैन के कहने पर ही 27 मार्च को उसे अकादमी से बाहर किया गया। उसे वहां से जाने दिया गया। इसके बाद 31 मार्च के अपने बचाव के लिए अकादमी की ओर से उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया। आईजी गढ़वाल संजय गुंज्याल ने बताया कि पुलिस की जांच में अकादमी की सुरक्षा में हुई चूक, सात माह बिना वेरिफकेशन के रहना और महिला के सभी आरोप शामिल हैं। मामले में जांच के लिए एएसपी शाहजहां जावेद खान के नेतृत्व में विशेष जांच टीम का गठन किया गया है। टीम तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी। रूबी ने लपेटा बड़े बड़ों को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशिक्षण संस्थान (एलबीएसएनएए) की सुरक्षा में सेंध लगाने वाली रूबी ने मीडिया के सामने आकर बड़े बड़ों को लपेट लिया है। रूबी ने अकादमी अधिकारी, आईटीबीपी अधिकारी, दून पुलिस के अधिकारियों पर प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष कई आरोप जड़े हैं। रूबी के बयानों की जद में कुछ यूं आए बडे़ बडे़ अधिकारी। एलबीएसएनएए डायरेक्टर रूबी ने अकादमी के डायरेक्टर राजीव कूपर पर भी अप्रत्यक्ष रूप से आरोप लगा दिए। उसका कहना था कि सौरभ जैन ने जब उसे नौकरी दिलवाने की बात कही थी तो कहा था कि उसकी डायरेक्टर से बात हो गई है। इसके अलावा जब इस मामले में चुप रहने के लिए रूबी को पांच करोड़ रुपये देने की पेशकश सौरभ जैन ने की थी तो उस वक्त भी उसने डायरेक्टर से संपर्क होने की बात कही थी। डिप्टी डायरेक्टर डिप्टी डायरेक्टर सौरभ जैन पर तो रूबी ने सीधे आरोप लगाए। उसने कहा कि सौरभ जैन ने उसे नौकरी दिलवाने के लिए 20 लाख रुपये मांगे थे। पांच लाख रुपये लेकर सौरभ जैन ने रूबी को अकादमी में एंट्री दिलवाई थी। उसे फर्जी आईकार्ड भी दिया। बाद में पांच करोड़ में मामला सेटल करने को कहा। एसपी सिटी देहरादून मामले की जांच कर रहे एसपी सिटी अजय सिंह को भी रूबी ने अपने बयानों में लपेटा। रूबी ने कहा कि वह फरार नहीं थी। लगातार पुलिस के संपर्क में थी। एसपी सिटी ने ही उसे गेस्ट हाउस में सौरभ के कहने पर रुकवाया था। उसे कहा गया था कि बयान लेने हैं। लेकिन उसके बयान नहीं लिए गए। बाद में एसपी सिटी ने उसका फोन भी नहीं उठाया। सिक्योरिटी इंचार्ज अकादमी के सिक्योरिटी इंचार्ज को भी रूबी ने लपेटा। उसने कहा कि अगर वह फर्जी आईएएस बनकर अकादमी में रह रही थी तो आखिर क्यों उसे वहां आने जाने दिया जाता था। जबकि अकादमी के सिक्योरिटी इंचार्ज को उसके बारे में सब पता था। आईटीबीपी अधिकारी रूबी ने इस मामले में आईटीबीपी अधिकारियों को भी नहीं छोड़ा। उसने आरोप लगाए कि आईटीबीपी के अधिकारियों ने ही 27 मार्च को कमरे में उसका सामान पैक करवाया और उसे वहां से निकलवाया। जबकि सात माह तक उसे किसी ने रोका तक नहीं। सौरभ जैन का बयान रूबी चौधरी के सारे आरोप बेबुनियाद हैं। मैं इस महिला के खिलाफ आपराधिक केस दायर करूंगा। इस बारे में मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी की रिपोर्ट भी प्राप्त हुई है। जिसमें साबित होता है कि महिला पहले भी इस तरह के फर्जीवाड़ों में शामिल रही है। सौरभ जैन, डिप्टी डायरेक्टर, एलबीएसए दुष्यंत निराला, ज्वाइंट डायरेक्टर, एलबीएसए 27 मार्च को एक गार्ड की ओर से किसी महिला को कमरा किराए पर देने का मामला सामने आया। 29 मार्च को महिला फिर अकादमी परिसर में पहुंची तो उसे रोक कर पूछताछ की गई। उसने अपना परिचय रूबी चौधरी, निवासी मुजफ्फरनगर यूपी के रूप में दिया। साथ ही बताया कि वो अकादमी के सुरक्षा कर्मी देव सिंह के टाइप वन कमरे में 16 जनवरी से पेईंग गेस्ट के तौर पर रह रही है। बाद में जांच में सामने आया कि महिला खुद को एसडीएम (आईएएस ट्रेनी) बता रही थी, उसके कमरे से एटीआई नैनीताल से जारी आईकार्ड भी मिला है। महिला ने खुद को टेक्सटाइल मिनिस्ट्री में भी कार्यरत बताया है। इस मामले में पहले ही एफआईआर दर्ज हो चुकी है। साथ ही देव सिंह को निलंबित करते हुए जांच के लिए कमेटी गठित की गई है। आईएएस जैन पर शिकंजा कसना तय लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी मसूरी में एक महिला के नाम से ट्रेनी आईएएस का फर्जी कार्ड बनाने के प्रकरण में उप निदेशक सौरभ जैन पर शिकंजा कसना तय है। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय कभी भी उनसे स्पष्टीकरण मांग सकता है। उधर, कई माह तक अकादमी में बाहरी महिला के ठहरने से आईटीबीपी की सुरक्षा पर भी सवाल उठने लगे हैं। ट्रेनी आईएएस के रूप में लगभग छह माह तक वहां रहने से एलबीएसए मसूरी फिर सुर्खियों में आ गई है। देशभर के आईएएस को ट्रेनिंग देने वाले इस महत्वपूर्ण केंद्रीय संस्थान के सुरक्षा की जिम्मेदारी आईटीबीपी के पास है। बाहर व्यक्ति को बिना प्रवेश की वहां अनुमति नहीं है। यहां तक स्थानीय फोर्स को भी वहां प्रवेश नहीं मिलता है। रूबी चौधरी नाम की महिला से अकादमी के उप निदेशक जैन पर जो सनसनीखेज आरोप लगाए हैं, उससे वे कार्मिक मंत्रालय की जांच की दायरे में आ गए हैं। अकादमी से उनकी विदाई तय मानी जा रही है। सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने इस प्रकरण को गंभीरता से लिया है। केरल कॉडर के आईएएस जैन उत्तराखंड में 15 फरवरी, 08 से 14 अगस्त, 10 तक प्रतिनियिुक्ति पर भी रह चुके हैं। वे सात महीने उत्तरकाशी के डीएम पद पर रहने के साथ ही राज्य सरकार में अपर सचिव की हैसियत से ऊर्जा, आवास व शहरी विकास का जिम्मा भी देख चुके हैं। इस दौरान वे विवादों में भी रहे। निष्पक्ष जांच को लेकर उठे सवाल अकादमी के वरिष्ठ अफसरों के दबाब में मसूरी के इंस्पेक्टर को हटाने से निष्पक्ष जांच को लेकर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि पीएचक्यू ने इस हाईप्रोफाइल प्रकरण की जांच को एसआईटी गठित की है। पुलिस को अकादमी में प्रवेश करने का अधिकार नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि जांच टीम भी दबाव में काम करेगी। यह अकादमी का आंतरिक मामला है। इसमें इंटेलीजेस फेल होने वाली कोई बात ही नहीं है। अकादमी की अपनी सुरक्षा व्यवस्था है, तो यह काम भी तो उन्हीं का है। बहरहाल प्रकरण की गंभीरता को समझते हुए महिला अपर पुलिस अधीक्षक की अगुवाई में एसआईटी गठित कर जांच सौंप दी गई है। बीएस सिद्धू, पुलिस महानिदेशक रूबी की कहानी में हैं कई झोल मान लेते हैं कि रूबी के अकादमी के डिप्टी डायरेक्टर सौरभ जैन पर लगाए गए आरोप सही हैं। सौरभ जैन ने उसे लाइब्रेरियन की नौकरी देने की बात कही। रुपये भी लिए। लेकिन एक बड़ा सवाल ये है कि अगर नौकरी लाइब्रेरियन की मिलनी थी तो रूबी ने अपने गांव में क्यों कहा कि उसने आईएएस की परीक्षा पास कर ली और वह ट्रेनिंग के लिए एलबीएस मसूरी जा रही है। इसके पीछे उसकी मंशा कुछ और ही थी। यानी कहीं न कहीं रूबी भी जानती थी कि उसे अकादमी में आईएएस बनाकर रखा जाएगा। जबकि बयान में उसने कहा कि उसे एसडीएम का फर्जी आई कार्ड जबरन दिया गया था। अगर जबरन भी दिया गया था तो वह इसे एक गंभीर विषय मानकर पुलिस के पास क्यों नहीं गई। यानी कहीं न कहीं उसकी मंशा भी इसके पीछे खुद को आईएएस बनता देखने की थी। एमए और एमएससी कर चुकी है रूबी रूबी भले ही असल में आईएएस न बन पाई हो मगर काफी पढ़ी लिखी होने की वजह से उसकी तमन्ना जरूर आईएएस बनने की थी। रूबी ने अर्थशास्त्र से एमए करने के बाद गणित से एमएससी की। रूबी पढ़ने में ठीक थी। सूत्रों का कहना है कि इसी के चलते वह अफसर बनने का सपना देख रही थी। उसके इसी सपने को सौरभ जैन भांप गया था। इसी का फायदा उठाकर उसने रूबी को फर्जी आईएएस बना दिया। पैसे के लिए तो नहीं की आईएएस बताकर शादी मीडिया को दिए गए एक बयान में रूबी की फर्जी आईएएस बनने की कुछ मंशा तो साफ हो रही है। रूबी ने बताया कि सौरभ जैन को उसने पांच लाख रुपये अपने भाई और पिता से लेकर दिए थे। जब उससे पूछा गया कि बाकी के पंद्रह लाख रुपये वह कहां से देती तो रूबी ने कहा कि शादी के बाद पति से लेकर देती। यानी वह पहले ही किसी अमीर व्यक्ति से शादी की चाह रखे हुए थी और उसने किया भी ऐसा ही। रूबी के इस बयान से पता चलता है कि उसने खुद को आईएएस बताकर नोएडा के एक बड़े प्रॉपर्टी डीलर से शादी सोच समझ कर की थी। ये भी आशंका है कि कहीं नौकरी के पैस देने के लिए ही तो उसने खुद को आईएएस बनाकर शादी नहीं की। शादी के बाद भी वह अपने पति के पैसों पर काफी ऐश करती थी। वह उसकी फार्च्यूनर से ही अकादमी आती जाती थी। पति से ही उसने 15 लाख रुपये लेकर सौरभ जैन को देने थे। अपनों को भी छला रूबी ने फर्जी महिला आईएएस अफसर बनकर रूबी चौधरी ने परिजनों से भी खूब छल किया। पढ़ाई से लेकर एलबीएस अकादमी तक के सफर में रूबी कदम-कदम पर परिजनों से झूठ बोलती रही। अब मामले का खुलासा हुआ तो परिजन हैरान हैं कि आखिर रूबी ने उनके साथ ऐसा क्यों किया। तीन माह पहले हुई शादी के समय भी रूबी ने अपने ससुराल में मसूरी में प्रशिक्षण लेने की बात कही थी। मसूरी स्थित लाल बहादूर शास्त्री आईएएस अकादमी में फर्जी महिला आईएएस अफसर रूबी ने सरकारी तंत्र के साथ अपने खून के रिश्तों से भी छल-प्रपंच रचा है। कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद रूबी ने 2013 में अपने पिता सतवीर सिंह से कहा कि उसका चयन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में हो गया है। जिसके बाद पिता ने बेटी को जनवरी 2014 में उत्तराखंड प्रशासनिक अकादमी नैनीताल छोड़ा। इस दौरान सतवीर के पास पैसा न होने से गांव वालों ने बेटी की प्रतिभा पर खुशी जाहिर करते हुए किराए की गाड़ी तक करके दी थी। कुछ दिन नैनीताल में रहने के बाद रूबी ने परिजनों को बताया कि अब उसका चयन आईएएस में हुआ है। इसके लिए एलबीएस आईएएस अकादमी में प्रशिक्षण लेना है। इसके बाद घर पहुंची रूबी ने भारत सरकार की मुहर लगे एक पत्र को भी दिखाया। जिसके बाद 24 सितंबर को पिता सतवीर और भाई रोहित किराए की गाड़ी लेकर छोड़ने आए थे। अकादमी में प्रवेश लेते वक्त रूबी ने परिचय पत्र दिखाया और हॉस्टल में गई। पिता सतवीर ने बताया कि हॉस्टल में डबल बेड, टीवी, फ्रिज, कुर्सियां आदि पहले से ही लगी थीं। इस दौरान रूबी मसूरी से घर पर बातचीत करती रही। लेकिन चाचा हरवीर सिंह ने उसकी शादी परिजनों के खिलाफ कर दी थी। जिसके बाद परिजन उससे कटते गए। लेकिन इस बीच रूबी के पति वीरेन्द्र मलिक भी मसूरी पहुंचे तो वह अकादमी में मिली। लेकिन इसी दौरान पति को शक हुआ तो वह 15 मार्च को साले रोहित के साथ पहुंचे। जिसके बाद रूबी उनसे मिलने से बचती रही। जिसके बाद वे घर चले गए। कुछ दिन बाद इस फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया। अब मामला घर व ससुराल तक पहुंचा तो रूबी के इस छल से परिजन खासे सदमे में हैं। जिलाधिकारी की रिपोर्ट में खुला सच मुजफ्फरनगर के डीएम कौशलराज शर्मा ने अकादमी के द्वारा रूबी के परिजनों के बारे में मांगी गई रिपोर्ट दे दी है। रिपोर्ट में रूबी के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। जिसमें कहा गया कि रूबी ने अपने पिता सतवीर व अन्य परिजनों से पहले पीसीएस और बाद में आईएएस बनने का झूठ बोला था। रूबी पर परिजनों ने मोटी रकम पढ़ाई पर खर्च कर दी थी। परिजनों का मानना था कि बेटी अफसर बनेगी तो पैसे के साथ नाम भी होगा। डीएम ने अकादमी को भेजी रिपोर्ट में यह भी बताया कि रूबी ने आर्य अकादमी से दसवीं, हरियाणा छात्रावास से 12वीं, डीएवी कालेज मुजफ्फरनगर से बीए की परीक्षा पास की थी। जबकि मेरठ में किराए पर रहते हुए रूबी ने आरजीपीजी कालेज में एमए किया है। इसके अलावा रूबी ने कई बार अलग-अलग अकादमी में चयन पर धनराशि मांगी थी। इसके अलावा डीएम ने रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी कि रूबी के पिता गरीब किसान हैं। उनके दो भाई मोहित व रोहित हैं। मोहित प्राइवेट बीए कर रहा है। जबकि छोटा भाई इंटर में पढ़ता है। घर की स्थिति बेहद खराब है। डीएम को सतवीर सिंह ने बताया कि जीवन की अधिकांश कमाई बेटी की शिक्षा पर खर्च कर दी थी। लेकिन ऐसा धोखा हुआ, जिसके बारे में सोचा भी नहीं था। तीन पेजों की रिपोर्ट डीएम ने अकादमी को भेजी है। जिसमें रूबी के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। नहीं हटेंगे पीछे रूबी के साथ मेरठ से आए रिश्तेदार करनपाल सिंह दो दिन से घूम रहे हैं। साले की पत्नी के नाते करनपाल सिंह का कहना है कि वे पूरे मामले का पर्दापाश करके ही रहेंगे। इसके लिए वे हर कदम तक जाएंगे। रूबी के पति वीरेन्द्र सिंह व करनपाल प्रॉपर्टी का कारोबार करते हैं। वीरेन्द्र सिंह को फिलहाल दून नहीं बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि मेरठ में जल्द वे आरोपी अफसर के खिलाफ वे अलग से रिपोर्ट दर्ज कराएंगे। रूबी की चुप्पी में छिपे कई राज नैनीताल व मसूरी के बीच पिछले 14 माह से रूबी की आवाजाही के पीछे कुछ तो छिपा है। रूबी फिलहाल पूरे मामले में एक अफसर पर ही नौकरी के नाम पर ठगी का आरोप लगा रही है। लेकिन गहनता से जांच हुई तो इसमें कई बड़े-बड़े अफसरों के नाम सामने आएंगे। इसके अलावा कहानी कुछ और भी बयां कर सकती है। बशर्तें रूबी मुंह खोले। इसे लेकर चर्चाएं भी है कि मसूरी व नैनीताल में आने-जाने तथा छह माह से मसूरी के अकादमी में रहने वाली रूबी क्या सिर्फ लाइब्रेरियन को लेकर अफसर के संपर्क में थी। एकेडमी में छाया है सन्नाटा फर्जी आईएएस प्रकरण के बाद एलबीएस अकादमी में सन्नाटा पसरा है। कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इस मामले में बोलने के लिए कोई तैयार नहीं है। कल तक हो रही कानाफूसी भी आज बंद हो गई। हर कोई एकेडमी में चार दिन की छुट्टी का हवाला देकर प्रकरण में कुछ भी बोलने या बताने से बच रहा है। लेकिन रूबी के बयानों के बाद हर किसी के दिमाग में डिप्टी डायरेक्टर सौरभ जैन और अकादमी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। हर कोई घटना के पीछे और रूबी के बयानों का सच जानने की चुपचाप कोशिश कर रहा है। बताया जा रहा है कि उपनिदेशक सौरव जैन भी अंदर ही हैं। लेकिन न तो फोन पर किसी से बात कर रहे हैं ना मिल रहे हैं। बड़े-बड़े संस्थान लेकिन सुरक्षा छोटी राजधानी में यू तो राष्ट्रीय महत्व के बड़े-बड़े संस्थान हैं। लेकिन उनकी सुरक्षा मजबूत नहीं होती। समय-समय पर सुरक्षा में सेंध लगती रही है। संस्थानों में कुछ ऐसे कांड होते रहे हैं जो सीधे तौर पर बाहरी या अंदरूनी सुरक्षा में लापरवाही उजाकर करते हैं। भारतीय सैन्य अकादमी और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी ऐसे ही महत्वपूर्ण संस्थान हैं जिनकी सुरक्षा में पहले भी सेंध लग चुकी है। 2006 में फर्जी दस्तावेजों के सहारे युवक पहुंचा था एलबीएस 2006 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर त्रिवेंद्रम निवासी युवक साभाराज एस प्रवेश लेने पहुंचा था। उसने अकादमी प्रशासन को जो दस्तावेज दिखाए थे उसके अनुसार वह आईएएस की लिखित परीक्षा के बाद इंटरव्यू भी क्लियर कर चुका था। जिसमें उसने बकायदा अपनी ऑल इंडिया रैंकिंग 212 दिखाई थी। लेकिन बाद में वह फर्जी निकला और उसके खिलाफ अकादमी ने मुकदमा दर्ज करवाया। उसे कोर्ट ने जेल भेज दिया था। ये भी अकादमी की अंदरूनी सुरक्षा में चूक मानी जा रही थी। आईएमए में ट्रेनिंग के दौरान पकड़ा फर्जी कैडेट आईएमए में 2008 में ट्रेनिंग के दौरान एक फर्जी कैडेट पकड़ा गया था। मेरठ के रहने वाले इस युवक को पहले अनुशासनहीनता के आरोप में अकादमी से निकाला गया था। बाद में वह अपने भाई के सर्टिफिकेट के आधार पर बकायदा लिखित परीक्षा और इंटरव्यू देकर दोबारा आईएमए पहुंचा। वहां कुछ समय टे्रनिंग के बाद उसे एक पुराने कैडेट ने पहचाना तो मामला खुला। इसे भी अकादमी की सुरक्षा में बड़ी चूक माना गया था। एलबीएस परिसर में हुआ था ट्रिपल मर्डर एलबीएस अकादमी परिसर में 2005 में ट्रिपल मर्डर हुआ था, जिसने वहां की सुरक्षा पर सवाल उठा दिए थे। परिसर के टाईप-2 ब्लॉक में कुछ लोगों ने एक ही परिवार के तीन लोगों की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी। जबकि अकादमी परिसर में चौबीसों घंटे भारी सुरक्षा रहती है। लेकिन फिर भी वहां कुछ लोग तड़के हथियार लेकर घुसे और हत्या कर निकल गए। एलबीएस में है थ्री लेयर सिक्योरिटी एलबीएस की सुरक्षा तीन चक्रों में रहती है। सबसे अंदरूनी हिस्से में अकादमी के सुरक्षा कर्मी रहते हैं, फिर प्राइवेट सुरक्षागार्ड और उसके बाद आईटीबीपी का सुरक्षा घेरा होता है। ऐसे में सात माह तक रूबी बिना किसी डर और हिचक के कैसे अंदर बाहर जाती रही। ये सुरक्षा के लिहाज से बड़ा सवाल है। इसके अलावा वहां सभी कर्मचारियों और नए अधिकारियों का सत्यापन किया जाता है। लेकिन सात माह तक रूबी का सत्यापन नहीं किया गया। सूत्रों का कहना है कि रूबी हमेशा पिछले गेट से अकादमी में प्रवेश करती थी। जहां पास में ही गार्ड रूम था। लेकिन कभी किसी ने वहां भी उसे टोका नहीं। फिलहाल रूबी चौधरी पुलिस की गिरफ्त में है और उसकी कॉल डिटेल खंगाली रही है । शहर के एक होटल से गिरफ्तार करने के बाद एसआईटी उसे राजपुर थाने ले गई। वहां उसके साथ लंबी पूछताछ चल रही है।


इस खबर को शेयर करें


Comments