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तांगे वाले की बेटी संभालेगी एशियन फुटबॉल कप में भारतीय टीम की कमान

वामा            Apr 19, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क बिहार की सोनी कुमारी शनिवार 20 अप्रैल से काठमांडु में शुरु हो रहे एशियन फुटबॉल कप में भारतीय टीम की कमान संभालेंगी. यह टूर्नामेंट अंडर-14 गर्ल्स चैम्पियनशिप है.नौवीं में पढ़ रहीं सोनी बिहार के पश्चिम चम्पारण ज़िले के नरकटियागंज कस्बे की रहने वाली हैं. साथ ही टीम में बिहार के सीवान के मैरवां की निशा कुमारी को भी जगह मिली है. सोनी पहले भी नैशनल टीम का हिस्सा रही हैं. तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी सोनी एक बेहद ही साधारण परिवार से संबंध रखती हैं. उनके पिता पन्नालाल पासवान फिलहाल नेपाल के चितवन में तांगा चलाते हैं. सोनी ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि भारतीय टीम का तैयारी शिविर गांधीनगर में चल रहा था. शिविर में खिलाड़ियों को शाम के बाद ही मोबाइल इस्तेमाल की इजाज़त थी.ऐसे में देर शाम सोनी से मोबाइल पर बात-चीत मुमकिन हुई तो बधाई देने के बाद मैंने पहला सवाल ये पूछा कि आपने इतने सारे खेलों में फुटबॉल को ही क्यों चुना?जवाब में सोनी ने कहा, "सबकी अपनी 'च्वॉइस' होती है. मैं अपने घर के पास दीदी लोगों को फुटबॉल खेलते देखती थी." सोनी आगे बताती हैं, "हमारे इलाके में फुटबॉल खेलने वाली लड़कियां मशहूर थीं. साथ ही मैंने सुना-देखा था कि मेसी का फुटबॉल खेलकर बहुत नाम हुआ है. ऐसे में मुझे लगा कि मैं भी इस खेल के सहारे नाम कमा सकती हूं."सोनी ने बताया कि जब उसने फुटबॉल खेलने की ख्वाहिश घरवालों को बताई तो वे बहुत खुश हुए. घरवालों को लगा था कि मेरे फुटबॉल खेलने से घर में भी खुशियां आएंगी. टीम में बिहार के सीवान के मैरवां की निशा कुमारी को भी जगह मिली है. तस्वीर में निशा के साथ कोच संजय पाठक.सोनी कुमारी अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने कोच सुनील वर्मा को देती हैं. सुनील वर्मा अभी नरकटियागंज में टीपी कॉलेज में खेलकूद निदेशक हैं.सुनील ने ही 2010 के जून में अपने कॉलेज के मैदान में दौड़ लगाती सोनी के हुनर को पहली बार पहचाना था. हुनर पहचानने, उसे निखारने से लेकर इस मुकाम तक पहुंचाने तक, हर पड़ाव में सोनी को उनके कोच का साथ मिला है. सोनी के मुताबिक बतौर फुटबॉलर इस मुकाम तक इतनी जल्दी पहुंचना उनके लिए सपना सच होने जैसा है. वहीं कप्तान बनना सोनी के लिए अब तक के करियर का सबसे खुशी का मौका है.हालांकि सोनी बताती हैं कि पिछले साल जब वह अंडर-14 टीम की कप्तान नहीं बन पाई थीं तो उन्हें बहुत बुरा लगा था.सोनी के सपने छोटे-छोटे हैं. सोनी कहती हैं, "अच्छी फुटबॉलर बनना चाहती हूं. ऐसा कुछ करना चाहती हूं कि मेरी टीम का और नाम हो. मैं अपने देश और घर के लिए भी कुछ करना चाहती हूं."सोनी चाहती हैं कि सरकार उनकी टीम की मदद करे, उनकी पढ़ाई में मदद करे और 'थोड़ा खर्चा-वर्चा दे.' bbc


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