Breaking News

दुष्कर्म का मामला दर्ज कराकर अदालत को किया गुमराह, मिली समाज सेवा की सजा

वामा            Aug 01, 2022


मल्हार मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली।
दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराकर अदालत को ‘गुमराह’ करना एक महिला को महंगा पड़ गया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने शिकायतकर्ता महिला की दुष्कर्म की एफआईआर को खारिज करते हुए उसे नेत्रहीनों की संस्था ऑल इंडिया कॉन्फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड में दो महीने के लिए समाज सेवा करने का निर्देश दिया है।

जस्टिस जसमीत सिंह ने कहा कि कथित पीड़िता द्वारा एफआईआर में लगाए गए आरोप और केस को बंद करने के लिए उसके और आरोपी के बीच समझौता बिल्कुल विपरीत था।

अदालत ने कहा कि महिला का आचरण बहुत अनुचित और कानून की प्रक्रिया का पूर्ण दुरुपयोग था।

अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा, मैं इसे ठीक समझता हूं कि बाहरी उत्तर जिले के थाना शाहबाद डेयरी में आईपीसी की धारा 328 (जहर आदि के माध्यम से चोट पहुंचाना) और 376 (बलात्कार) के तहत दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द किया जाता है।

इसके साथ ही प्रतिवादी संख्या 2 (शिकायतकर्ता महिला) को रोहिणी सेक्टर-5 के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल के पीछे स्थित ऑल इंडिया कॉन्फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड में दो महीने के लिए सप्ताह में 5 दिन 3 घंटे की अवधि तक सेवा करनी होगी।

अदालत ने एफईआर के साथ-साथ उसके बाद की कार्यवाही को रद्द कर दिया और महिला से नेत्रहीनों के लिए संगठन को अपनी पूरी क्षमता से सहायता और मदद करने के लिए कहा और एफआईआर में आरोपी को 50 पेड़ लगाने का भी निर्देश दिया।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता आरोपी को भी 50 पेड़ लगाने का निर्देश दिया जाता है। याचिकाकर्ता जांच अधिकारी के परामर्श से 50 पेड़ लगाने का भी वचन देना होगा, जो एमसीडी, रोहिणी क्षेत्र के बागवानी विभाग से संपर्क करेगा और उस क्षेत्र को इंगित करें, जहां पेड़ लगाए जाने हैं।

एफईआर में महिला ने दावा किया था कि एफआईआर रद्द करने के लिए याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता ने उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाई थी जिसके बाद वह बेहोश हो गई और फिर याचिकाकर्ता ने उसके साथ दुष्कर्म किया।

हालांकि, समझौता पत्र में यह कहा गया था कि दोनों पार्टियों के बीच "पैसों का विवाद" था और महिला परेशान थी और कुछ गलत सलाह और गुमराह होने के तहत, उसने रेप की एफआईआर दर्ज कराई थी।

इसमें कहा गया, प्रतिवादी नंबर 2 (महिला) का कहना है कि वह मानसिक अवसाद से गुजर रही है, जिसके परिणामस्वरूप गुमराह और गलत सलाह के तहत उसने एफआईआर दर्ज की है।

अदालत ने कहा कि मेरा विचार है कि प्रतिवादी नंबर 2 ने अपने पूरे आचरण में बहुत अनुचित किया है। आपराधिक न्याय प्रणाली को उसकी सनक और कल्पनाओं के कारण चालू रखा गया, जिसे बहिष्कृत करने की आवश्यकता है।

हालांकि, अदालत ने कहा कि वह इस तथ्य को नहीं भूल सकती कि महिला चार बच्चों की मां है और अपने परिवार के साथ रह रही है और उसे समाज सेवा की पेशकश करने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा कि महिला समाज सेवा की अवधि के दौरान सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करेगी और जब तक चिकित्सकीय रूप से छूट नहीं दी जाती है, तब तक पूरी तरह से टीका लगाया जाना चाहिए।

 



इस खबर को शेयर करें


Comments