मल्हार मीडिया ब्यूरो।
आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विवादित कार्टून साझा करने वाले कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने संरक्षण दिया। कोर्ट ने आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट पर नाराजगी भी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर लोग किसी को कुछ भी कह देते हैं। हमें इस बारे में कुछ करना होगा।
आरोपी कार्टूनिस्ट को मंगलवार को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान करते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि यदि वह सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करना जारी रखते हैं, तो राज्य कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। जस्टिस धूलिया ने कहा कि हम इस मामले में चाहे जो भी करें, लेकिन यह निश्चित रूप से मामला है कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस पर रोक लगाने की जरूरत है।
क्या है मामला
हेमंत मालवीय की तरफ से वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं। वृंदा ग्रोवर ने कहा कि 'यह मामला बेशक अरुचिकर और खराब है, लेकिन यह अपराध नहीं है? यह निंदनीय हो सकता है, लेकिन यह अपराध नहीं है।' इस पर पीठ ने कहा कि यह बेशक अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है। हेमंत ग्रोवर ने साल 2021 में कोरोना महामारी के दौरान ये आपत्तिजनक कार्टून सोशल मीडिया पर पोस्ट किए थे।
इनके खिलाफ संघ कार्यकर्ता और वकील विनय जोशी ने इंदौर के लसूड़िया थाने में मई माह में शिकायत दर्ज कराई। विनय जोशी ने आरोप लगाया कि हेमंत मालवीय ने कार्टून के जरिए हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और सांप्रदायिक सद्भाव को भी बिगाड़ने की कोशिश की। जोशी ने आरोप लगाया कि कार्टूनिस्ट ने भगवान शिव, पीएम मोदी, आरएसएस को लेकर आपत्तिजनक कार्टून, वीडियो और फोटोग्राफ पर आपत्ति जताई और हिंदू धर्म और संघ की छवि बिगाड़ने का आरोप लगाया। पुलिस ने मालवीय के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती
इस पर हेमंत मालवीय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की, लेकिन मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी। मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कहा कि ऐसी चीजें लगातार हो रही हैं।
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