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निर्भया पर फिल्म के खिलाफ एफआईआर

वामा            Mar 03, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क 'निर्भया' कांड के दोषियों से बातचीत कर बीबीसी के लिए बनाई गई डॉक्यूमेंट्री, 'इंडियाज़ डॉटर' के ख़िलाफ़ दिल्ली पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की है.दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने पत्रकारों से कहा है कि मीडिया में आई रिपोर्टों से ये ज़ाहिर होता है कि फ़िल्म में 'निर्भया' के बारे में कुछ ऐसी बातें सामने आई हैं जिनसे क़ानून का उल्लंघन होता है. बीएस बस्सी ने कहा, "हमने भारतीय दंड संहिता की धारा 504, 505-1(बी), 509 और आईटी एक्ट की धारा 66ए के तहत एफ़आईआर दर्ज की है. हम इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग के साथ अदालत भी जाएंगे." 'इंडियाज़ डॉटर' फिल्म में मुकेश सिंह समेत दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक चलती बस में 23 साल की मेडिकल स्टूडेंट के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के अन्य दोषियों और व़कीलों से बातचीत की गई है.मुकेश सिंह ने बीबीसी 4 के लिए लेसली उड्विन से ख़ास बातचीत करते हुए कहा, "बलात्कार के लिए पुरुषों से ज़्यादा महिलाएं ज़िम्मेदार हैं.'' फ़िल्म के सह-निर्माता और वरिष्ठ पत्रकार दिबांग ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि, "अगर इस फ़िल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाई जाती है तो ये अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए ग़लत होगा". ब्रिटेन में बीबीसी पर प्रसारित होने वाली ये फ़िल्म भारत में समाचार चैनल 'एनडीटीवी' पर दिखाई जानी है.वरिष्ठ वक़ील इंदिरा जयसिंह, महिला आंदोलनकारी कविता कृष्णन समेत कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने एनडीटीवी चैनल को पत्र लिखकर फ़िल्म के प्रसारण पर रोक की मांग की है. इस मामले में बस ड्राइवर मुकेश सिंह को फांसी की सज़ा सुनाई गई है, हालाँकि उनकी अपील अदालत में है.पत्र में कहा गया है कि इस केस के ख़िलाफ़ अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने की वजह से, आरोपियों के बयान प्रदर्शित करना 'अदालत की अवमानना' होगी. कविता कृष्णनन ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "फ़िल्म में नस्लवादी सोच को बढ़ावा देने का आभास होता है जिसमें बलात्कार और उसके प्रति भारत के मर्दों के बारे में एक ख़राब छवि सामने रखी गई है जबकि बलात्कार पूरे विश्व के सामने एक बड़ी चुनौती है." कविता ने फ़िल्म के शीर्षक में बलात्कार की पीड़िता को 'भारत की बेटी' कहे जाने की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि, "लड़कियों को इंसान की तरह देखा जाना ज़रूरी है, बहू-बेटी जैसे रिश्तों में रखने से फिर उनकी सुरक्षा के ही नाम पर उनकी आज़ादी कम की जाती है." इससे पहले पत्रकारों से बातचीत में डॉक्यूमेंट्री की निर्देशक लेस्ली उड्विन ने कहा कि उन्होंने सभी पक्षों की बात को संतुलित तरीके से रखने की कोशिश की है.लेस्ली ने कहा, "सिर्फ मुकेश ही नहीं, उनके वकील और कई अन्य लोगों की बात रखी गई है जिससे ये साफ होता है कि भारत में लड़के और लड़कियों के बीच की असमानताएं, बलात्कार जैसे अपराधों की जड़ हैं." लेस्ली के मुताबिक इस फिल्म से उन्होंने ये समझा कि बलात्कार के ये दोषी बीमारी नहीं सिर्फ उसके लक्षण हैं.उन्होंने कहा, "बीमारी तो लड़के और लड़की में फ़र्क करनेवाली मानसिकता है. और ये एक ऐसी बीमारी है जिसके लक्षण कभी बलात्कार, भ्रूण हत्या, इज़्ज़त के नाम पर हत्या या लड़कियों की तस्करी के रूप में दिखते हैं."


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