नौकरी त्यागकर साध्वी बनेंगी आईएएस शशि कर्णावत,कहा अब सिर्फ भगवान पर भरोसा

वामा            Jun 01, 2016


मल्हार मीडिया। मध्यप्रदेश सरकार से दो—दो हाथ कर रहीं निलंबित आईएएस शशि कर्णावत अब नौकरी का त्याग कर सन्यास धारण करने जा रही हैं। वे साध्वी बनने की तैयारी में हैं। ज्ञातव्य है कि उज्जैन सिंहस्थ के दौरान उन्होंने 34 दिन व्यास गद्दी पर बैठकर एक पंडाल में गुजारे थे। एक इंटरव्यू में कर्णावत ने कहा है, ” मुझे पति और बच्चों ने महामंडलेश्वर बनने की मंजूरी दे दी है। लेकिन अभी वे विदेश में हैं इसलिए अभी उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया है। इस बारे में वे अंतिम फैसला जनवरी में लेंगी।।” निलंबित आईएएस का कहना है कि उनका ईश्वर के अलावा अब किसी पर भरोसा नहीं रहा। उन्होंने बताया कि सिंहस्थ के तीनों शाही स्नान और सभी प्रमुख एकादशी और प्रदोष स्नान किए हैं और उनके जीवन का यह स्वर्णिम काल रहा है। उन्होंने पूरे 34 दिन सिंहस्थ में बिताए। जब राम मंदिर निर्माण की घोषणा हुई उस समय भी वे मंच पर मौजूद थीं। उनका कहना है कि वे जल्द ही महामंडलेश्वर बन सत्ता और नौकरशाही के झंझटों से दूर होंगी। कर्णावत 33 साल से प्रशासनिक सेवा में हैं और पिछले दो साल से सस्पेंड चल रही हैं। डॉ. कर्णावत मूलत: सागर जिले के देवरी की हैं। 1999 बैच की मप्र कैडर की हैं। 1983 से मंडला, कटनी और डिंडोरी में डिप्टी कलेक्टर व एडिशनल कलेक्टर रहीं। अब तक की 33 साल की सेवा में करीब 13-14 साल मंडला, झाबुआ और शिवपुरी में एडीएम के पोस्ट पर रहीं। 27 सितंबर 2013 को सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। उस वक्त वे यूथ एंड स्पोर्ट वेलफेयर डिपार्टमेंट में डिप्टी सेक्रेटरी थीं। कर्णावत को मंडला की स्पेशल कोर्ट ने 27 सितंबर 2013 को जिला पंचायत में वर्ष 1999-2000 में हुए प्रिंटिंग घोटाले में दोषी पाया था। कोर्ट ने 5 साल की सजा सुनाते हुए 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। उन्हें जेल भी भेज गया था, बाद में कर्णावत बेल पर बाहर आ गईं। उसके बाद से सरकार डिपार्टमेंटल जांच करा रही है। 11 जनवरी को प्रदेश सरकार के खिलाफ धरने पर बैठीं शशि कर्णावत ने कहा था, "मैं 15 साल से संघर्ष कर रही हूं। झूठे दस्तावेजों से मुझे झेल भिजवाया गया। अब मेरा मामला हाईकोर्ट में है। मैं आखिरी दम कर लड़ती रहूंगी, लेकिन सरकार के आगे झुकूंगी नहीं।


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