Breaking News

बाइक की दीवानी द बाइकरनी ग्रुप की लड़कियाँ

वामा            Mar 16, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क भारत में बाइक्स के शौकीन बढ़ते जा रहे हैं और अब इन बाइक्स की चाहत से लड़कियां भी वंचित नहीं हैं.इस महीने देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐसी ही बाइक रैली हुई जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं.जिस तरह बाइक चलाने वालों का एक ग्रुप होता है, उसी तरह महिलाओं ने भी एक ग्रुप बनाया जिसका नाम है “द बाइकरनी”. इसकी शुरुआत 2010 में पुणे में रहने वाली उर्वशी पटोले ने की.उर्वशी कहती हैं, "मैं बाइक चलाती हूं और सब महिलाओं को भी बाइक चलानी चाहिए. आप इतनी बड़ी बाइक अकेले चलाती हैं तो एक आत्मविश्वास आता है. इसमे आप महिला हैं या पुरुष, पतले हैं या मोटे, इससे फ़र्क नहीं पड़ता." द बाइकरनी” ग्रुप की शबनम अकरम बताती हैं, “मेरे साथ एक बार कुछ ऐसा हुआ कि एक जनाब मेरे साथ साथ काफ़ी देर तक बाइक चलाते रहे . मैंने पूछ ही लिया - क्या है? तो वो बोले की आप बाइक अच्छी चलाती हैं . मैंने कहा लड़की हूं इसलिए तारीफ़ की आपने, अगर लड़का होता तो परवाह नहीं करते.” ब्रिटेन की नामी-गिरामी मोटरबाइक कंपनी रॉयल एनफ़ील्ड को ही लीजिए, जो अब सिर्फ़ भारत में ही बुलेट बनाती है.साल 2010 में इस कंपनी की सिर्फ़ 50 हज़ार मोटरसाइकिलें बिकी थीं लेकिन पिछले साल ये आंकड़ा छह गुना बढ़कर तीन लाख हो गया. दिल्ली की वकील स्नेहा जैन जो एनफ़ील्ड चलाती हैं कहती हैं, “मुझे ऐसा लगता है जैसे मुझे एक नई आज़ादी मिल गई हो. मुझे लगता है कि मैं कुछ भी कर सकती हूं.”शबनम अकरम बताती हैं, “बाइक के साथ ऐसा है कि आप लेफ़्ट की तरफ़ झुकोगे तो बाइक भी बाएं की तरफ़ झुकेगी. वो आपकी बॉडी का भी हिस्सा बन जाती है. कार आपका एक्सटेन्शन नहीं बनती. और मेरा जब भी मूड ख़राब होता है, मैं तो बाइक लेके निकल पड़ती हूं और बस मूड ठीक हो जाता है.” दिल्ली के शहादरा में रहने वाली दिल्ली पुलिस कि सब इंस्पेक्टर अनुराधा बताती हैं कि वो पिछले 28 सालों से बाइक चला रही हैं.वो कहती हैं, “कुछ नहीं बदला है. लोग तब भी मुड़के देखते थे और अब भी. लोगों का नज़रिया बिल्कुल नहीं बदला है. उनको अभी भी लगता है कि औरतें घर का काम ही करें. पर ये भी बात है कि जिन्होंने मेरा परिचय बाइक से कराया वो मर्द ही थे." झारखंड के धनबाद से दिल्ली आई अन्नपूर्णा भी बाइक पसंद करने वालों में शामिल हैं.वो बताती हैं, “अपने गांव में शायद हम ही हैं जो बाइक चलाती हैं. हम बाइक सिर्फ़ अपने लिए नहीं बल्कि हम लोग समाज में जागरूकता फैलाने के लिए भी बाइक चलाती हैं. औरतों के बहुत से मुद्दे लेकर हम दिल्ली शहर के बाहर भी गए हैं.“ उर्वशी कहती हैं कि बाइक एक महफूज़ विकल्प है. वो कहती हैं, “आप क़िसी पर निर्भर नही रहते. बाइक को रेस दो और आप आंखों से ओझल." शबनम कहती हैं, "एक बार, निर्भया हादसे के बाद हम एक बाइक राइड पर गए. उसमें बहुत से जवान लड़के भी थे. मैंने पूछा कि तुम फ़िल्म का नाइट शो देखने जाते हो तो मेरी बेटी क्यों नही जा सकती. सब चुप थे."


इस खबर को शेयर करें


Comments