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सरकार सुधारेगी वृंदावन के विधवा आश्रमों की दशा

वामा            Apr 27, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो वृंदावन के विधवा आश्रमों की दशा सुधारने के लिए प्रदेश सरकार ब्लू प्रिंट तैयार कर रही है। प्रमुख सचिव महिला कल्याण रेणुका कुमार इस काम में जुटी हैं। यह कवायद सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन आश्रमों में विधवाओं की दुर्दशा पर नाराजगी जताने के बाद शुरू हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने एनवायरमेंट एंड कंज्यूमर प्रोटेक्शन फाउंडेशन एवं यूनियन ऑफ इंडिया के एक मामले में वृंदावन के विधवा आश्रमों की दशा सुधारने के लिए प्रमुख सचिव महिला कल्याण रेणुका कुमार को नोडल अधिकारी बनाया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को भी निर्देश दिए हैं कि वह प्रमुख सचिव को इस काम में पूरी मदद करे। अब तक वृंदावन के विधवा आश्रमों को लेकर अलग-अलग संस्थाओं ने कई सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हीं सर्वेक्षणों को संज्ञान में लिया है। रेणुका कुमार को इन रिपोर्ट के आधार पर सुधार के लिए कार्रवाई करने को कहा है। इसी के बाद आश्रमों की दशा सुधारने के लिए रेणुका कुमार ब्लू प्रिंट तैयार करने में लग गई हैं। ये हैं समस्याएं और मांगें •विधवा आश्रमों में दान तो बहुत आता है लेकिन वृद्ध महिलाओं को इसका लाभ नहीं मिलता। •कुछ आश्रमों को बार-बार दान में कंबल दिए जा रहे हैं जबकि कई आश्रमों में बुजुर्ग महिलाओं को एक भी नहीं मिलता। •सभी आश्रय सदन, भजनाश्रम, एनजीओ, सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में रहने वाली महिलाओं की स्थिति की समय-समय पर जांच हो। •महिला कल्याण के लिए काम कर रहे विभिन्न विभागों में कोई समन्वय नहीं है। विधवाओं की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर व सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया जाए। •आश्रम में रहने वाली महिलाओं को पेंशन, राशन कार्ड एवं बैंक खाता खोलने के लिए नियम भी शिथिल किए जाएं। •वृंदावन के सभी आश्रमों में रहने वाली महिलाओं को यूनीक सीरियल नंबर पर आधारित आई कार्ड दिए जाएं। •एनजीओ के वेलफेयर प्लान सही नहीं हैं, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। •कई आश्रमों में विधवाओं को मूलभूत सुविधाएं जैसे खाना-पानी तक उपलब्ध नहीं है। जो बुजुर्ग महिलाएं खाना नहीं बना सकतीं उनके लिए प्रत्येक आश्रम में इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। •जिन्हें पेंशन नहीं मिलती और जिनके पास राशन कार्ड भी नहीं है वे भीख मांगने लगती हैं। इसे रोकने के प्रयास किए जाएं। •ऐसी महिलाओं को कोई हुनर सिखाना होगा ताकि वे कुछ काम करके अपना पेट पाल सकें। इनके लिए कल्याण योजनाएं भी शुरू करनी होंगी। •कई बुजुर्ग महिलाएं हर महीने पेंशन की राशि निकालने बैंक नहीं जा सकतीं। ऐसे में आश्रम में ही पैसा बांटने की व्यवस्था की जाए। महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव रेणुका कुमार का कहना है कि वृंदावन के आश्रमों की दशा पर अब तक कई सर्वेक्षण रिपोर्ट आ चुकी हैं। इन सभी का अध्ययन किया जा रहा है। इसी के आधार पर एक ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है। शीघ्र ही इस पर अमल शुरू हो जाएगा। यहां की वृद्ध महिलाओं की दशा सुधारना पहली प्राथमिकता है।


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