कौशल सिखौला।
इतना जोर क्यों देते हो ?
हिंदुस्तान की लड़कियां यदि हिजाब पहनना चाहती हैं , तो उन्हें पहनने दीजिए !
हिजाब पहनें या नकाब या बुर्का , कोई एतराज क्यों करे ?
बस इतना जरूर है कि स्कूल कालेज जाएं तो स्कूल ड्रेस पहनें , फौज में जाएं तो यूनिफॉर्म पहनें और स्पेस में जाएं तो स्पेस सूट ?
बाकी उनकी मर्जी , बाजार में , घर में , कोर्ट में , हिल स्टेशन पर , ब्याह शादियों में जहां भी हिजाब पहनना चाहें , शौंक से पहनें !
किसी को क्या परेशानी है उनकी पोशाक से ?
वैसे कितनी लड़कियां हैं जो फिल्म इंडस्ट्री में हैं , टीवी में हैं , अस्पतालों और न्यायालयों में हैं , मॉडलिंग में हैं , कोई हिजाब नहीं पहनतीं ?
उर्फी जावेद का नाम सुना है कभी ? रोजाना नई नई ड्रेस पहनती हैं । इतनी अजीबोगरीब पोशाकें कि बेशर्मी भी गश खा जाए ।
फिल्म इंडस्ट्री ने मधुबाला , नर्गिस , मीना कुमारी , वहीदा रहमान , जीनत अमान , निगार , मुमताज , सायरा बानो , नसीम बानो जैसी बेशुमार एक्ट्रेस दी हैं जो भारतवासियों के दिलो दिमाग पर छाई रहीं ।
आज भी छाई हैं । सभी मुस्लिम थीं । हिजाब या नकाब की जिद करतीं तो आज कोई नाम लेवा भी न होता ।
सलमा सुल्तान , रोमाना , रुबिका जैसी समाचार उद्घोषिका न्यूज इंडस्ट्री में अपनी पहचान बिना हिजाब ही बना ले गई ।
टीवी धारावाहिकों में बेशुमार अदाकाराएं मुस्लिम हैं और अपने जलवे बिखेर रही हैं ।
भारत की अपनी विशेषताएं हैं।
हम न अफगानिस्तान या ईरान बनना चाहते हैं और न यूरोप या अमेरिका।
निश्चित रूप से पश्चिम हमारे सपनों में बसा है, जिसे मौका मिला वह विदेश भागता है। लेकिन अफगानिस्तान , पाकिस्तान , इराक , सीरिया या ईरान कोई नहीं भागता।
वे मुसलमान भी नहीं जो अपनी औरतों को हिजाब या बुर्के से ढककर रखना चाहते हैं। यद्यपि ऐसी सोच के लिए तालिबानी राज में रहना बड़ा मुफीद है।
इस कदर मुस्लिम पश्चिमी देशों में जा बसे हैं कि ब्रिटेन में तो कईं जगह पाकिस्तान का सा नजारा दिखाई पड़ता है ।
वहां मुस्लिम औरतें बिना हिजाब या नकाब काम पर और कालेजों में जाती हैं , पुरुषों के साथ पढ़ती हैं , कोई हिजाब का जिक्र भी नहीं करतीं।
यूरोप के कुछ देशों ने तो प्रवासी मुस्लिम औरतों के लिए हिजाब और बुर्का पूरी तरह कानूनन बैन कर दिया है ।
भारतीय परिवेश में मुस्लिम औरतों को पहले ही पहनने या उतारने की आजादी है।
हां , कुछ बैल्ट ऐसी हैं जहां औरतों पर पुरुषों द्वारा जबरन हिजाब थोपा जाता है।
बचपन से ही इस कदर कि फिर उन्हें उसकी आदत पड़ जाती है ।
कट्टर इस्लामिक देश ईरान की औरतें हिजाब के खिलाफ़ खुली बगावत पर उतर आई हैं । पूरे ईरान में औरतें सड़कों पर हैं , हिजाब को आग में जला रही हैं ।
जिन कट्टरपंथियों को औरतों के बालों से एलर्जी है , उन्हीं के सामने अपने बाल काटकर सड़कों पर फेंक रही हैं ।
कट्टरपंथी सरकार ने सैकड़ों औरतों को जान से मार डाला है, पर हिजाब के खिलाफ औरतों की जंग थमने का नाम नहीं ले रही।
सारी दुनियाँ में औरतें ईरानी महिलाओं के समर्थन में प्रदर्शन कर रही हैं ।
ऐसे में अजीब लगता है कि गैर इस्लामिक और लोकतांत्रिक देश भारत में औरतों ने ही हिजाब के लिए सिर पर आसमान उठा लिया है।
उम्मीद थी कि सुप्रीमकोर्ट कोई रास्ता दिखाएगा, लेकिन कोर्ट ने अपने न्याय को ही दुविधा में फंसा दिया है।
बहरहाल मुस्लिम औरतें यदि हिजाब पसंद करती हैं तो उनकी मर्जी।
इंस्टिट्यूट्स को छोड़कर और कहीं हिजाब पहनने पर किसी को एतराज है भी नहीं।
वैसे कोर्ट के फाइनल फैसले की प्रतीक्षा सबको करनी चाहिए ।
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