मल्हार मीडिया ब्यूरो वाराणसी।
आज बनारस के मिर्जामुराद के आदर्श ग्राम नागेपुर के लोक समिति आश्रम में ग्रामीण लोगों ने सबरीमाला में महिलाओं के साथ होने वाले लैंगिक भेदभाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
महिलाओं ने सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की मांग की और सबरीमाला मंदिर के पुरोहित को बर्खास्त करने की मांग रखी। महिलाओं ने माहवारी पर केंद्रित पोस्टर के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करते हुए माहवारी के नामपर पवित्रता और अपवित्रता की राजनीति को भी उजागर करते हुए उसकी निंदा की।
गांव की महिलाओं ने माहवारी के आधार पर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को अपने मौलिक अधिकारों का हनन बताया। लोक समिति के नन्दलाल मास्टर की अगुवाई में विरोध प्रदर्शन किया गया।
विरोध प्रदर्शन में दिल्ली की संस्था साहस की मोना यादव ने कहा कि आज जब हम लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं, ऐसे में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के साथ होने वालेे भेदभाव समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं मुहीम संस्था की स्वाती ने कहा कि माहवारो महिला शरीर से जुड़ी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे बिना भेदभाव के उसके प्राकृतिक स्वरूप में स्वीकार किया जाना चाहिये।
उल्लेखनीय है कि नागेपुर में जेंडर ग्राम कार्यक्रम के तहत महिलाओं और पुरुषों ने लैंगिक समानता का संकल्प लिया और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के साथ होने वाले लैंगिक भेदभाव के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ बुलंद की। विरोध प्रदर्शन में दस से अधिक अलग-अलग गांव के लोगों ने हिस्सा लिया।
विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से पूर्वी, मधुबाला, सीमा, प्रेमा, राजकुमारी, सरिता, अनीता, राजकुमारी, बेबी, आशा, सोनी, अनीता, विद्या, रामकिंकर कुमार, रामबचन, सुनील, श्यामसुंदर, पंचमुखी और अमित मौजूद रहेसबरीमाला पर लैंगिक भेदभाव के ख़िलाफ़ महिलाओं ने किया विरोध प्रदर्शन
मिर्जामुराद (वाराणसी) : आज आदर्श ग्राम नागेपुर के लोक समिति आश्रम में ग्रामीण लोगों ने सबरीमाला में महिलाओं के साथ होने वाले लैंगिक भेदभाव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
महिलाओं ने सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की मांग की और सबरीमाला मंदिर के पुरोहित को बर्खास्त करने की मांग रखी। महिलाओं ने माहवारी पर केंद्रित पोस्टर के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करते हुए माहवारी के नामपर पवित्रता और अपवित्रता की राजनीति को भी उजागर करते हुए उसकी निंदा की। गांव की महिलाओं ने माहवारी के आधार पर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को अपने मौलिक अधिकारों का हनन बताया। लोक समिति के नन्दलाल मास्टर की अगुवाई में विरोध प्रदर्शन किया गया।
विरोध प्रदर्शन में दिल्ली की संस्था साहस की मोना यादव ने कहा कि आज जब हम लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं, ऐसे में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के साथ होने वालेे भेदभाव समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं मुहीम संस्था की स्वाती ने कहा कि माहवारो महिला शरीर से जुड़ी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसे बिना भेदभाव के उसके प्राकृतिक स्वरूप में स्वीकार किया जाना चाहिये।
उल्लेखनीय है कि नागेपुर में जेंडर ग्राम कार्यक्रम के तहत महिलाओं और पुरुषों ने लैंगिक समानता का संकल्प लिया और सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के साथ होने वाले लैंगिक भेदभाव के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ बुलंद की। विरोध प्रदर्शन में दस से अधिक अलग-अलग गांव के लोगों ने हिस्सा लिया।
विरोध प्रदर्शन में मुख्य रूप से पूर्वी, मधुबाला, सीमा, प्रेमा, राजकुमारी, सरिता, अनीता, राजकुमारी, बेबी, आशा, सोनी, अनीता, विद्या, रामकिंकर कुमार, रामबचन, सुनील, श्यामसुंदर, पंचमुखी और अमित मौजूद रहे।
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