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श्यामलम् के लोक सम्मान पर्व में हुआ सागर की विभूतियों का सम्मान

वीथिका            Nov 28, 2022


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

मध्यप्रदेश के सागर स्थित कन्या महाविद्यालय सागर के सभागार में आयोजित श्यामलम् लोक सम्मान पर्व के सातवें गरिमामय वार्षिक कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए देश के ख्यात विद्वान पद्मश्री डॉ.कपिल तिवारी ने कहा संसार का श्रेष्ठ ज्ञान गीता में है।

गीता का अर्थ है जिसे गाया जा सके, वह ज्ञान भी क्या जिसे गाया ना जा सके। उन्होंने कहा शब्द के पहले प्रकाश था।

शब्द ही नाद ब्रह्म है। लोग कहते हैं हमें समय नहीं है लेकिन हमें समय में जीना है समय को हममें नहीं जीना। उन्होंने कहा जब हम चलते हैं तो आगे बढ़ा हुआ कदम आधुनिकता है और जो कदम धरती पर पीछे रखा है वह परंपरा है जो दोनों पैर उठा लेते हैं वह लोट जाते हैं।

उन्होंने बाल्मीकि,सूर, तुलसी, कबीर और मीरा का उल्लेख करते हुए इन सभी की रचनाओं में प्रेम की अनिवार्य उपस्थिति का जिक्र किया।

उन्होंने सागर में अपने जीवन के आरंभिक दिनों का उल्लेख करते हुए अकादमिक अपमान को याद किया और कहा श्यामलम् के कारण आज सब घुल गया है।

उन्होंने बताया कि यहां से जाकर मैंने वह सड़क खुद बनाई जिस पर मुझे चलना था। डॉ. तिवारी ने आदिवासी लोक कला से संबंधित अनुभवों को सुनाकर उपस्थित जनों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर विधायक शैलेंद्र जैन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि श्यामलम लोक सम्मान पर्व एक ऐसा पर्व है जो साहित्यकारों के लिए उल्लेखनीय मंच प्रदान करता है।

अतिशीघ्र महाविद्यालय के हॉल का जीर्णोद्धार करा रहे हैं जो साहित्यकारों के लिए निशुल्क उपलब्ध रहेगा और साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रसिद्ध व्यंग्यकार प्रो. सुरेश आचार्य ने सागर नगर के शनीचरी से संबंधित संस्मरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि डॉ. हरीसिंह गौर से कपिल तिवारी तक शनीचरी के विद्वानों की एक बड़ी परंपरा रही है।

वर्तमान में डॉ.कपिल तिवारी गौर साहब की कीर्ति पताका संसार में फैलाने वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं उनका अभिनंदन कर सागर के लोग गर्व का अनुभव करते हैं।

उन्होंने कहा कि समाज के प्रति सूक्ष्म दृष्टि होना आवश्यक है ताकि हम समाज में हो रहे बदलाव को गहराई से देख सकें।

विशिष्ट अतिथि स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय सागर के कुलाधिपति डॉ अजय तिवारी ने कहा सागर के गर्व से ऐसे ऐसे रत्न निकले हैं जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में वैश्विक रूप से अपनी पहचान स्थापित की है।

भोपाल से पधारे वरिष्ठ संस्कृति कर्मी प्रशांत पाठक नीलू ने कहा कि आज आगे बढ़ते हुए समय में कला और साहित्य का उतना ही महत्व है जितना सांस लेना जरूरी है।

कार्यक्रम की सह संयोजक शासकीय स्नातकोत्तर महिला महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर इला तिवारी ने आभार प्रदर्शन करते हुए कहा कि साहित्य और सांस्कृतिक रूप से शहर में या शहरों में इस तरह की संस्थाएं जो समाज के लिए निरंतर कार्य कर रही है यदि शासकीय संस्थाएं भी उनके साथ मिलकर कार्य करें तो समाज द्रुत गति से आगे बढ़ेगा।

कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ऐश्वर्या दुबे, रुचि चौबे, रिया, अंकिता और रानी द्वारा द्वारा सामूहिक सरस्वती वंदना की गई।

अतिथि स्वागत पश्चात् श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने स्वागत उद्बोधन एवं कार्यक्रम परिचय दिया। प्रसिद्ध लोक गायक शिवरतन यादव ने स्व. हीरा सागर के गीत सागर की कुलियां का मधुर गायन किया।

कन्या महाविद्यालय की शोध पत्रिका रिसर्च टाइम्स का विमोचन मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया पत्रिका की संपादक डॉ रश्मि दुबे ने पत्रिका पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

 सम्मानों की श्रंखला में सर्वप्रथम सागर की सांस्कृतिक संस्थाओं के नवगठित मंच कला संस्कृति लोक की ओर से डॉ .ओमप्रकाश चौबे,श्रीमती रचना तिवारी श्रीवास्तव , डॉ.सुधीर तिवारी,मयंक तिवारी,अरविंद यादव ने पद्मश्री कपिल तिवारी का अभिनंदन‌ किया। तदुपरांत विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए निम्नानुसार विशिष्टजनों को श्यामलम् द्वारा शॉल, श्रीफल, पुष्पहार, सम्मान पत्र,स्मृति चिन्ह एवं सम्मान निधि भेंट कर  सम्मानित किया गया।

सम्मान पत्रों का वाचन कपिल बैसाखिया, संतोष पाठक एवं वृंदावन राय सरल ने किया। कार्यक्रम का सुचारू और व्यवस्थित संचालन डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी और आशीष ज्योतिषी ने किया।

प्रदत्त किए जाने वाले सम्मान*

श्यामलम् कर्मशील जीवन सम्मान - श्री चतुर्भुज सिंह राजपूत, एडवोकेट एवं श्री के के सिलाकारी, एडवोकेट

पंडित गोविंद प्रसाद शास्त्री संस्कृत सम्मान- पं.श्रीराम शुक्ला, शास्त्री, प्रधानाचार्य श्री ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय सागर

पंडित शादीलाल आचार्य संस्कृति सम्मान- पद्मश्री डॉ. कपिल तिवारी, भोपाल

डॉ. रामदास तिवारी स्मृति चिकित्सा सम्मान- डॉ.सतनाम सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक , सागर

पं.वी. के. पाठक स्मृति निष्ठावान सेवाभावी कर्मचारी सम्मान- श्री पीयूष जैन भारतीय डाक तार विभाग सागर।

आर. एन. शुक्ला स्मृति आदर्श शिक्षक सम्मान-श्री जी. के.श्रीवास्तव से.नि. शिक्षक, सागर

श्यामाकांत मिश्र स्मृति रंग कर्मी सम्मान-डॉ.अतुल श्रीवास्तव, रंगकर्मी, सचिव अन्वेषण थिएटर ग्रुप, सागर

मनोहर लाल जैन स्मृति श्रेष्ठ युवा सम्मान- श्रीमती वृंदा प्रधान अजमेरा,उद्घोषक आकाशवाणी भोपाल

देवेंद्र सिंह गौर स्मृति पत्रकारिता सम्मान - श्री राजेश श्रीवास्तव, सागर 

स्वामी विवेकानंद सम्मान - श्री गौरव राजपूत, विवेकानंद केंद्र, सागर

श्रीमती लीलावती देवी शुक्ला स्मृति मानवता सम्मान-  

 - स्व.अमीनुल्ला खां "मद्दे चाचा" (मरणोपरांत) अपनत्व सेवा समिति सागर

हीरा सागर स्मृति बुंदेली लोक सम्मान - श्री चुन्नीलाल

रायकवार,राष्ट्रीय ढिमरयाई नर्तक, कर्रापुर,‌ सागर

इस अवसर पर लक्ष्मी नारायण चौरसिया, हरगोविंद विश्व, डाक्टर गजाधर सागर, मणिकांत चौबे, टी आर त्रिपाठी, डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया, डॉक्टर तेजिंदर सिंह,पूरन सिंह राजपूत, डॉ शरद सिंह, एडवोकेट कृष्ण वीर सिंह, डॉ लक्ष्मी पांडे, वीरेंद्र प्रधान, ज.ल. प्रभाकर, डॉ राकेश शर्मा, डॉक्टर सुनील श्रीवास्तव,राजेंद्र दुबे कलाकार,सुनीला सराफ, ज्योति विश्वकर्मा, राघवेंद्र नायक, अरविंद जैन, बिहारी सागर, शुभम उपाध्याय, डॉ पंकज तिवारी, अशोक गोपीचंद रैकवार, जयंत विश्वकर्मा, दीपा भट्ट, ममता भूरिया, आनंद मंगल बोहरे, डॉ. अमर जैन, गुंजन शुक्ला, सिद्धार्थ शुक्ला, डॉ. शैलेष आचार्य, शांतनु आचार्य, नानू आचार्य, हरि सिंह ठाकुर,पार्षद शैलेंद्र ठाकुर, अमित चौबे, अणिमा पाठक, संध्या सर्वटे, सी.एल. कंवल, रचना तिवारी, चंद्र कुमार जैन, बी डी पाठक, कुंदन पाराशर, अंबर चतुर्वेदी, रामचरण शास्त्री, कुंज बिहारी शास्त्री, यशवंत सिंह गौर, रूपलेखा गौर, अश्विनी सागर, प्रदीप पांडेय, डॉ अपर्णा चांचोदिया, डॉ सुनीता त्रिपाठी, भगवानदास रैकवार, जयंती सिंह लोधी, अंबिका प्रसाद यादव, असरार अहमद,  सुरेंद्र श्रीवास्तव, देवीसिंह राजपूत, दामोदर अग्निहोत्री, ओ पी शुक्ला, पवन रजक, राधा कृष्ण व्यास, मयंक तिवारी, सुधीर तिवारी, ऐश्वर्या दुबे, आर के तिवारी, डा. मनोहर देवलिया, डॉ एम डी त्रिपाठी, ऋषभ जैन, यशवंत जैन, डॉ विनोद तिवारी, प्रभात जैन, मुकेश तिवारी, नीरज मिश्रा, डॉ कामेश शास्त्री, अविजित मिश्रा, हरि नारायण शुक्ला, राकेश शुक्ला, अरविंद यादव, अलका सिद्धार्थ शुक्ला, गणेश रैंकवार नवरंग, सपना शुक्ला, शशीकांत रायकवार, श्रीमती दिव्या सागर, डॉ नौनिहाल गौतम, अशोक तिवारी अलख, आनंद मिश्रा, शकुन शुक्ला, सुरेंद्र शुक्ला, विशु तिवारी, दीपक पटेल, महाविद्यालय स्टाफ छात्र छात्रा एवं ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों  सहित बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

 



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