धरमपुरी से इब्राहिम रिज़वी।
धरमपुरी अजजा सीट पर दो लाख उन्नीस हजार तीन सौ तिरयासी मतदाता किसके चेहरे पर जीत का सेहरा बांधते है। यह अभी भविष्य के गर्भ मे है लेकिन दोनों ही प्रमुख दलों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए है। जहां कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक पांचीलाल मेड़ा पर भरोसा जताया है वहीं भाजपा ने 2013 मे विधायक रहे कालूसिंह ठाकुर को चुनावी रण मे उतारा है।
2018 का चुनाव कांग्रेस के पांचीलाल मेड़ा ने भाजपा के गोपाल कन्नौज को 13,972 वोटों से हराया था।
पांचीलाल मेड़ा ने 2008 मे विधानसभा के पहले चुनाव मे भाजपा के पूर्व गृहराज्यमंत्री जगदीश मुवैल को पराजित कर राजनैतिक पंडितों को चौंका दिया था।2013 के चुनाव मे कांग्रेस ने दोबारा मेड़ा पर भरोसा जताया तो भाजपा ने उनके सामने कालूसिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस से धरमपुरी सीट छीन ली।
2018 मे पांचीलाल मेड़ा तीसरी बार चुनाव मैदान मे उतरे तो भाजपा ने उमरबन विकास खंड के युवा नेता गोपाल कन्नौज को मनावर सीट से एडजेस्ट करते हुए धरमपुरी से चुनावी समर मे उतार दिया । कम समय मे मनावर से मजबूत तय्यारी कर रहे गोपाल एंटी इनकम्बेंसी के चलते पांचीलाल मेड़ा से हार गए।
इस बार के चुनाव मे विधायक होने के बाद भी मेड़ा को टिकट पाने के लिए एड़ी चोटी का जोड़ लगाना पड़ा। इसकी क्या वजह रही इसका जवाब उनसें अच्छा कोई नहीं दे सकता।
बात-बात पर धरने और विधानसभा मे प्रश्न उठाने की बात करनेवाले पांचीलाल मेड़ा कारम डेम मामले को लेकर भोपाल तक पदयात्रा करनेवाले, विधानसभा मे अपने उपर भेदभाव का आरोप लगाकर चर्चा मे आने वाले मेड़ा अपनी विधानसभा के नेताओं का भरोसा कायम रखने मे गच्चा खा गए।
क्या कारण था कि कांग्रेस और कमलनाथ के अलग-अलग कराये सर्वे मे भी दो बार के विधायक मेड़ा की स्थिति को कमजोर आका गया। तीन बार के सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी और राजूबेन भी टिकट के लिए आखिरी तक मैदान में थे। राजूखेड़ी ने धरमपुरी से टिकट ना मिलने पर कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा भी दे दिया।
अब चूंकि कांग्रेस ने चौथी बार पांचीलाल मेड़ा को चुनाव मैदान मे उतारा है, वहीं भाजपा ने 2013 मे विधायक रहे कालूसिंह पर भरोसा किया है।
अब देखना यह है कि पांचीलाल सितंबर मे नर्मदा के बेकवाटर से धरमपुरी और आसपास के क्षेत्रों मे हुए नुकसान से जो प्रभावित हुए उन्हें राहत के नाम पर आज दिनांक तक आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। वहीं भाजपा मे धरमपुरी के बड़े नेताओं की इस मामले मे कोई सुनवाई नहीं हुई और सिर्फ़ सर्वे कराकर खानापूर्ति हो गई।
जब इस विधानसभा चुनाव मे दोनों दल एक -एक सीट पर नज़र रख अपने लिए महत्वपूर्ण मान रहे हैं, ऐसे मे धरमपुरी सीट पर डूब प्रभावितों की नाराजगी किसके समीकरण बिगाड़ेगी यह यक्ष प्रश्न है।
मध्य प्रदेश में अखिलेश यादव की सपा को दर किनार कर के क्या मध्य प्रदेश में कॉंग्रेस की मुश्किलें बढ़ा देगे अखिलेश?
@सत्येन्द्र हर्षवाल
कमलनाथ व कॉंग्रेस के अचानक करवट बदल लेने के बाद अखिलेश तमतमाये हुवे है,कॉंग्रेस से 6 सीटो का वादा मिलने पर अब एक सीट पर भी सहमति नही बन पाई है बस इसी बात को को लेकर अखिलेश गुस्साए हुवे है, या यूं कह सकते है कि दल मिल गए मगर दिल नही मिले अब सपा पूरे प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ेगी,एक आम व्यक्ति की धारणा यह होगी कि सपा का म प्र में अस्तित्व है कहा? मगर यादव,मुस्लिम वोट ओर पिछड़ी जाति के वोटों को साध कर सपा कॉंग्रेस का बना बनाया खेल बिगाड़ सकती है,फील हाल 33 सीटो के लिए उम्मीदवारी तय की गई है,इसमे 5 यादवों को व 3 मुस्लिम प्रत्याशी का चयन किया गया है,अब यह राजनीति रण किसको राज तिलक करेगा यह समय से बेहतर न तो में जानता हु न ओर कोई
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