कीर्ति राणा।
मध्यप्रदेश के इंदौर का चार नंबर क्षेत्र भाजपा का अजेय दुर्ग रहा है लेकिन अयोध्या कहे जाने वाले इस क्षेत्र में इस बार असंतोष की आग भड़की हुई है। इस आग में परिवारवाद की उठती लपटों की तपन दो दिन पहले इंदौर आए मुख्यमंत्री चौहान भी महसूस कर चुके हैं।
इन लपटों के कारणों से अनभिज्ञ-विधायक मालिनी गौड़ का मानना है टिकट किसे दें यह पार्टी तय करती है।
मुझे या परिवार के किसी अन्य सदस्य को या जिस भी कार्यकर्ता को टिकट दिया जाएगा उसके लिए काम करेंगे। हमारे लिए चेहरे से ज्यादा कमल निशान है-यह क्षेत्र अयोध्या के रूप में इसी निशान के कारण पहचाना जाता है।
गौरतलब है कि पार्टी ने क्षेत्र क्रमांक एक से विजयवर्गीय को टिकट देकर परिवारवाद की जड़ को अमरबेल बनने से पहले ही उखाड़ दिया है। आकाश के समर्थन में उनके क्षेत्र के कार्यकर्ता भोपाल मिल कर जरूर आ गए लेकिन होना-जाना कुछ नहीं है। अब क्षेत्र क्रमांक चार से भी परिवारवाद से मुक्ति की मांग उठ रही है तो इसलिए कि पहले तीन बार लक्ष्मण सिंह गौड़ विधायक रहे।
सहानुभूति लहर में उनकी पत्नी जीतती रहीं और महापौर के लिए भी पार्टी ने उन्हें उपयुक्त प्रतियाशी मान लिया तो मन मसोसकर कार्यकर्ताओं को काम करना पड़ा।
इस चुनाव में अब यहां से भी किसी अन्य को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग मुख्यमंत्री के आगमन पर उनकी कार रोक कर वरिष्ठ भाजपा नैत्री ज्योति तोमर के नेतृत्व में गए सौ से अधिक कार्यकर्ता-पूर्व पार्षद आदि कर चुके हैं।
महिला मोर्चा की पूर्व अध्यक्ष,ज्योति तोमर सुदर्शन गुप्ता की टीम में उपाध्यक्ष थीं। सांसद शंकर लालवानी की टीम में भी रहीं हैं।
तोमर के साथ जवाहर मंगवानी, राजेश आजाद, राजेश शुक्ला, पूर्व पार्षद घनश्याम शेर और पराग लोंढे, प्रकाश पारवानी आदि ने सीएम से चार नंबर क्षेत्र में बदलाव की बात पुरजोर तरीके से कही जरूर लेकिन सीएम ‘ठीक है’ है से ज्यादा कुछ नहीं कहा, इस दौरान विधायक मालिनी गौड़ सीएम के लाथ ही थीं।
क्षेत्र क्रमांक चार से नया चेहरा कौन-इस दिशा में सांसद, महापौर भार्गव, ज्योति तोमर, विजयवर्गीय समर्थक-गौरक्षा प्रकल्प से जुड़े गंगा पांडे आदि के नाम चर्चा में हैं।
चार नंबर में बदलाव की मांग कर रहे इन कार्यकर्ताओं को पूर्व राज्यसभा सदस्य-वरिष्ठ भाजपा नेता मेघराज जैन के बयान से और ताकत मिल गई है।
इस प्रतिनिधि से चर्चा में मेघराज जैन ने माना है कि पार्टी नेतृत्व से चार नंबर में प्रत्याशी बदलने संबंधी जो ट्विट वॉयरल हुए हैं वो उन्होंने ही किए हैं।
मैंने किसी अन्य का नाम नहीं सुझाया है, गौड़ परिवार से मेरा विरोध भी नहीं है लेकिन एक ही परिवार को ही कब तक थोपा जाएगा? अन्य कार्यकर्ताओं को सम्मान क्यों नहीं मिलना चाहिए।
तीन दशक से अधिक समय से चार नंबर में क्या अन्य कोई योग्य कार्यकर्ता तैयार ही नहीं हुआ जिसे पार्टी विधायक-महापौर का चुनाव लड़ा सके।
इस तरह का परिवारवाद तो संगठन के लिए खतरनाक ही साबित होगा। पार्टी नेतृत्व तक अपनी बास पहुंचाने का सोशल मीडिया से बढ़िया हथियार नहीं हो सकता।
विधायक मालिनी गौड़ असंतोष की इन लपटों के कारणों से अनभिज्ञ हैं। उनका कहना है पार्टी कार्यों के मूल्यांकन के आधार पर ही सबका निर्धारण करती है। हर कार्यकर्ता को अपनी बात कहने की स्वतंत्रता है। रही जैन सा की बात तो वो वरिष्ठ और आदरणीय हैं।
महापौर रहते चौड़ीकरण के कार्य की पार्टी-शहर ने सराहना की है। उनकी नाराजी क्यों है, पता नहीं। पार्टी का आदेश सर्वोपरि रहा है, जो आदेश होगा उसका पालन करेंगे।
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