मल्हार मीडिया डेस्क।
नेपाल में अचानक हिंसा भड़की और महज कुछ घंटों के भीतर समूची राजनीति को हिलाकर रख दिया। संसद पर हमला बोलने से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का घर फूंकने समेत नेपाल की गलियों से एक के बाद एक कई दिल दहलाने वाली तस्वीरें सामने आई।
इस आंदोलन में शामिल ज्यादातर लोग 20 साल के आसपास थे, जिससे आंदोलन को जेन-जी का नाम दे दिया गया। कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ नेपाल पहले से सोशल मीडिया पर अभियान चल रहा था। वहीं, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के बाद युवाओं का गुस्सा भड़क गया और उन्होंने सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ दी।
नेपाल हिंसा में 19 लोगों की मौत हो गई। आखिर में सरकार ने सोशल मीडिया से भी बैन हटा दिया। मगर, प्रदर्शनकारियों की भीड़ इसपर भी नहीं मानी और नेपाल के कई हिस्सों में आगजनी जारी रही।
विश्व बैंक के अनुसार, सोशल मीडिया बैन और इंटरनेट पर प्रतिबंधन लगाने के बावजूद नेपाल की आधी से ज्यादा आबादी ऑनलाइन थी। इसके लिए प्रदर्शनकारियों ने VPN की मदद ली। ब्लूटूथ मैसेजिंग ऐप बिटचैट पर भी लोगों ने एक-दूसरे को संदेश भेज रहे थे।
नेपाल हिंसा में तकनीकी का बहुत अहम रोल था। यह सबकुछ तब शुरू हुआ, जब लोगों ने नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ सोशल मीडिया पर आवाज उठाई। राजनेताओं के बच्चों की आलीशान जिंदगी के वीडियो सामने आने के बाद #NepoKids नेपाल में ट्रेंड करने लगा था।
अधिकार कार्यकर्ता संजीब चौधरी का कहना है, "नेपोकिड्स (राजनेताओं के बच्चे) नेपाल में हमेशा ट्रेंड करते थे। इससे जुड़ी एक पोस्ट पर 13,000 से ज्यादा लोगों ने लाइक किया था। इन सभी चीजों ने नेपाल हिंसा को हवा दे दी थी।"
स्विस VPN कंपनी प्रोटॉन ने सोमवार को बताया कि 3 दिन के भीतर लगभग 6,000 से ज्यादा लोगों ने साइन-अप किया। बिटचैट पर नेपाली संदेशों की संख्या भी अचानक से बढ़ गई।
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