इंक मीडिया के विद्यार्थियों का काम सराहनीय रहा। अखबार पढ़कर और डॉ़.आशीष द्विवेदी से बात कर निष्कर्ष यही निकला कि अपने उद्गम स्थल पर नदियां पवित्र हैं साफ हैं। पानी इतना साफ है कि पिया जा सकता है लेकिन जैसे—जैसे नदियां आगे बढ़ी हैं मानव आबादी की तरफ हद से ज्यादा प्रदूषित हुई हैं हो रही हैं। आशीष जी ने अपने छात्रों से अपने मार्गदर्शन में पीठ ठोकने लायक काम करवाया है, इसके लिये वे बधाई के पात्र हैं। चौपाली  इंक पॉवर को एक बार पढ़ें जरूर।मीडिया को भी इस लेवल पर नदियों पर काम करने की जरूरत है।
मीडिया ने अपने स्तर पर शुरूआत तो की है उदाहरण  भोपाल में ही देख लीजिये ग्रीन गणेशा और कुंडों में विसर्जन। लेकिन नवरात्रि में इस पहल का क्या होता है यह पता नहीं चलता। मीडिया को निष्पक्ष होना होगा और निष्पक्ष होकर ही काम करना होगा। लेकिन बात अगर रेत उत्खनन की ही की जाये तो खबरें गवाह हैं कि इसके खिलाफ कार्रवाई करने वाले अफसरों और इसके खिलाफलिखने वाले पत्रकारों का हश्र क्या हुआ है यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। तो दोगलापन यहां भी छोड़ना होगा।
                  
                  
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