श्रीप्रकाश दीक्षित
दैनिक भास्कर की आज की दूसरी बड़ी खबर बताती है कि गंभीर रूप से बीमार गरीबों की मदद करने वाले मुख्यमंत्री कोष से बांटी गई कुल रकम की आधी सिर्फ सीहोरे और भोपाल के बीमारों ने हड़प ली..! पिछले दो साल में करीब 100 करोड़ के बजट का लगभग आधा हिस्सा याने 42 करोड़ रुपए इन दो जिलों के गरीबों को नसीब हुआ। अकेले सीहोरे के बीमारों के हिस्से में आई रकम 35 जिलों के बीमारों को मिली रकम से ज्यादा है।
खबर में मंत्रालय के अधिकारी को कहते बताया गया है कि भोपाल और सीहोर के अलावा विदिशा,रायसेन और राजगढ़ के लोग भी मुख्यमंत्री ऑफिस मे सीधे आवेदन देते हैं जबकि नियमानुसार आवेदन कलेक्टर के मार्फत आना चाहिए।
सब जानते हैं कि सीहोर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का गृह जिला है।जब शिवराजसिंह चौहान सांसद थे तब उनकी विदिशा लोकसभा सीट में सीहोर ,रायसेन और राजगढ़ के कुछ विधानसभा क्षेत्र आते थे। अब यह बताने की जरूरत नहीं है कि मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का होता है ना कि अपने क्षेत्र का। 
ऐसे में कुछ जिलों के प्रति विशेष अनुराग उन्हें पक्षपाती ठहराता है जो उनकी खुद की सेहत के लिए ठीक नहीं है। शिवराजसिंह चौहान पिछले दस बरस से मुख्यमंत्री हैं। इतनी लंबी अवधि अकसर सत्ताधीश को निरंकुश और अहंकारी बना देती है और वह अहम ब्रह्मा.. की तर्ज पर मनमाने फैसले लेने लगता है
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दिग्विजय सिंह ने भी यही किया जो विधानसभा मे की गईं भर्तियों से साफ है। वे सब नियमों को शिथिल और दरकिनार कर मनमानी करने लगे थे। शिवराज जी भी उन्ही के नक्शे कदम पर चलते नजर आ रहे हैं। बेसिरपैर की फिल्मों की टैक्स माफी,पुनर्वास का सुख भोग चुके राकेश साहनी का फिर मंत्री स्तर के पद पर पुनर्वास और अब बीमारों की मदद में पक्षपात..! आखिर साहनी में ऐसे कौन से सुरखाब के पर लगे हैं जो उनका दनादन पुनर्वास हो रहा है। अब समय आ गया है कि इस प्रकार के मामलों में मुख्यमंत्री के असीमित अधिकारों पर अंकुश लगाया जाए ।
लेखक रिटायर्ड जनसंपर्क अधिकारी हैं
                  
                  
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