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रोहतक जमीन मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला जबर्दस्त लेकिन अधूरा

खरी-खरी            May 30, 2016


ved-pratap-vaidikडॉ.वेद प्रताप वैदिक। जैसे मुंबई की आदर्श सोसायटी के बारे में अदालत का जबर्दस्त फैसला आया था, लगभग वैसा ही फैसला रोहतक की जमीन के बारे में सर्वोच्च न्यायालय ने अभी-अभी किया है। रोहतक में 280 एकड़ जमीन सरकार ने अपने कब्जे में ले ली थी। 2002 से 2005 तक दो सरकारें इसमें फंसी हैं। ओमप्रकाश चौटाला और भूपिंदर हूडा की सरकारें! इन दोनों सरकारों ने किसानों और जमीन-मालिकों को चकमा दिया। उनसे ये जमीनें यह कहकर छीनी गई कि उन पर ‘सार्वजनिक हित’ के कई निर्माण-कार्य किए जाएंगे। इस जमीन पर सरकारी कब्जा होने के बाद इसे ‘उद्धार गगन प्रापर्टीज़’ नामक एक बिल्डर को दे दिया गया। जाहिर है कि इस कंपनी से दोनों सरकारों ने करोड़ों रु. खाए होंगे। उस बिल्डर कंपनी ने जमीन-मालिकों को मुआवजे के तौर पर 64 करोड़ रु. दिए। कंपनी ने उस ज़मीन पर प्लॉट काटे और फ्लैट बनाए। उस पर उसका खर्च आया 174 करोड़. रु. जबकि खरीददारों ने कुल 110 करोड़ रु. कंपनी को दिए। अब देखिए, अदालत का फैसला! अदालत ने कहा कि यह जमीन वापस लौटाओ सरकार को। और सरकार उसे लौटाए उसके मूल मालिकों को। मालिकों को जो 64 करोड़ रु. का मुआवजा मिला था, वह वे अपने पास रखें। उसे सरकार या बिल्डर को लौटाने की जरुरत नहीं है। अदालत ने प्लॉटों और फ्लैटों की खरीद के समझौतों को भी रद्द कर दिया है। यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिन मध्यमवर्गीय लोगों ने अपनी जीवन भर की बचत से वे चीज़ें खरीदी थीं, उनका क्या होगा? वे तो अधर में लटक गए। अदालत ने उनका ख्याल क्यों नहीं किया? उनके 110 करोड़ रु. अब वापस कैसे लौटेंगे? अदालत यह भी कर सकती थी कि उनकी मिल्कियत बनी रहने देती और बिल्डर से सारे पैसे वसूल करके उसे सरकारी कोश में जमा करवा देती। अदालत चाहती तो इससे भी आगे जा सकती थी। वह सारे फ्लैटों और भूखंडों को खंड-बंड करने का आदेश दे देती। उनके मालिकों को ब्याज समेत उनका पैसे वापस करवाती। उस कंपनी की और उसके भागीदारों की सभी संपत्ति जब्त कर लेती। इसी तरह हरयाणा सरकार के दोनों मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और संबंधित सरकारी अफसरों की सभी निजी संपत्ति भी जब्त कर लेती। उनके परिवारवालों की भी सभी चल-अचल संपत्तियां जब्त कर लेती। उन्हें नीलाम करके उन भोले खरीददारों को मुआवजा दिलवाती। जिन अफसरों ने उस जमीन संबंधी कागजों पर दस्तखत किए हैं, उन्हें नौकरी से निकालती, जो सेवा-निवृत्त हो गए हैं, उनकी पेंशन रोक देती। दोषी मंत्रियों और विधायकों की नागरिकता खत्म करती। उन्हें वोट देने और चुनाव लड़ने से वंचित करती और उन्हें कम से कम 20-20 साल की सजा देती। देखें, फिर रोहतक जैसे धांधली देश में दुबारा कैसे होती? Website : www.vpvaidik.com


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