आप खाँचे में किस तरफ खड़े हैं,अतिवादी, अतार्किक, भावुक और हिंसक

खरी-खरी            Jun 15, 2022


राकेश कायस्थ।
आप खाँचे में किस तरफ खड़े हैं, यह मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं है।

अहम यह है कि आप क्या कह रहे हैं और उससे भी ज्यादा अहम है कि आप क्या कर रहे हैं।

मैं यह मानता हूँ कि भारतीयों का साँचा मूल-रूप से एक है।

अतिवादी, अतार्किक, भावुक और हिंसक।

सहिष्णुता ज़रूर एक बड़ा सकारात्मक पक्ष रहा था लेकिन धीरे-धीरे अब इसे गाली में बदला जा चुका है।

सहिष्णु कुछ वैसा ही शब्द बन चुका है, जैसे सेक्यूलर और लिबरल बन चुके हैं।

समाज हिंसक हमेशा से रहा है लेकिन पिछले कुछ सालों में उसे अलग तरह से वैधता मिली है। हिंसक भीड़ अगर आपके पक्ष में खड़ी है, तो आप मुदित हैं।

अगर आपको लगता है कि भीड़ में आपके समर्थक या संभावित समर्थक शामिल हैं, तब भी आप मौन हैं।

लेकिन यही हिंसक भीड़ अगर आपके राजनीतिक विरोधियों या किसी ऐसे समुदाय की है जो सियासी तौर पर आपसे जुड़ नहीं सकता तो फिर आप प्रतिहिंसा में किसी भी हद तक जाने के हिमायती हैं।

बुलडोजर न्याय से लेकर लिंचिंग न्याय आपको सब कुछ पसंद है। कुल मिलाकर सभी बातों केंद्र में हिंसा ही है। उसकी रोकथाम या न्याय नहीं।

कहना मुश्किल है कि भारतीय सामाजिक-राजनीतिक सतह पर नैतिकता का इतना बड़ा संकट इससे पहले कब रहा होगा।

अग्निवीर योजना पहली नज़र में सही नहीं लगती है। लेकिन विरोध का यह तरीका क्या बताता है? विरोधियों को आप किस खाँचे में रख सकते हैं?

सरकार चाहकर भी इस भीड़ को `देशद्रोही' के तौर पर चिन्हित नहीं कर सकती है क्योंकि वह जानती है कि नाराज़ लोगों में उसके वोटर भी शामिल हैं।

यह कुछ ऐसा ही है, जैसे मन की बात को डिस्लाइक करने, ट्विटर पर मोदी रोजगार दो, जैसे कैंपेन का चलना।

इन तमाम कैंपेन और बहुत हद किसान आंदोलन मे शामिल लोगों का बड़ा तबका भी अपनी तमाम गुस्से के बावजूद वोटर के तौर पर बीजेपी का साथ छोड़ने को तैयार नहीं है।

यूपी के परिणाम इस बात की तस्दीक करते हैं।

महँगाई सातवें आसमान पर है और बेरोजगारी बहुत भयावह है।

बिना किसी अध्ययन और आँकड़े के सड़क पर उतरकर भी यह महसूस किया जा सकता है।

महसूस करने लायक दूसरी चीज़ यह है कि नाराज़ बहुसंख्यक वोटर यह जानता है कि जिस नफरत की लत उसे लगी हुई है, उसका रखवाला इस देश में एक ही है।

यह एक असाधारण किस्म की विसंगति है, जिसके निकट भविष्य में दूर होने की कोई संभावना नहीं दिखती है।



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