मल्हार मीडिया भोपाल।
करीब 2-3 साल बाद मध्यप्रदेश में हनीट्रैप का मामला फिर सुर्खियों में है। प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचाने वाले बहुचर्चित हनी ट्रैप कांड में इस बार प्रवर्तन निदेशालय ने 14 लोगों को नोटिस जारी किया है।
जिसमें आईएएस, आईपीएस सहित कई नेता भी शामिल हैं। बताया जा रहा है इन सबसे दिल्ली में पूछताछ की जाएगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ईडी ने इस मामले में आरोपी रही श्वेता जैन, आरती दयाल, श्वेता स्वपनिल जैन, बरखा भटनागर समेत अन्य लोगों को नोटिस भेजा है।
इन सभी को अलग अलग तारीखों में पूछताछ के लिए दिल्ली मुख्यालय बुलाया गया है।
बताया जा रहा है कि ईडी की रडार पर मप्र के 40 बड़े अफसर और सफेदपोश नेता हैं, जिनका नाम एसआईटी की जांच में सामने आया था।
ज्ञात हो कि 17 सितंबर को इंदौर जिला नगर निगम में कार्यरत इंजीनियर हरभजन सिंह ने पलासिया थाने में खुद को ब्लैकमेल किए जाने की एफआईआर दर्ज कराई थी।
तो उन्हें भी इसका अंदाजा नहीं था कि यह मामला इतना बड़ा बन सकता है। लेकिन अब प्रदेश में फैली हनीट्रैप मामले की कहानियां उजागर होना शुरू हुई हैं।
इस एफआईआर में हरभजन सिंह ने दावा किया था कि उन्हें 29 वर्षीय आरती दयाल नाम की एक महिला द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा था।
उक्त महिला ने तीन करोड़ रुपये की मांग की थी। साथ ही रकम न चुकाने पर इंजीनियर के कथित अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी गई थी।
इस दौरान जब पुलिस ने जांच शुरू की तब पता चला कि एक गैर सरकारी संगठन ने कथित तौर पर राजनेताओं, नौकरशाहों और कई बड़े रसूखदारों को ब्लैकमेल करने के लिए उनके अश्लील वीडियो बनाए हैं।
जिन्हें सार्वजनिक करने की धमकियों के एवज में जबरन वसूली की जाती थी।
वहीं सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में गिरोह के द्वारा छह वरिष्ठ राजनेताओं और कम से कम 10 आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के अलावा सिविल इंजीनियरों और बिल्डरों को लालच दिया गया था।
जिनमें से कुछ से वसूली करने की भी खबरें हैं, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है।
गौरतलब है कि बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले की कथित मास्टरमाइंड श्वेता विजय जैन है। अपने जाल में फंसा कर हनी ट्रैप करने वाली श्वेता जैन जमानत पर बाहर है।
प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप मचाने वाले बहुचर्चित हनी ट्रैप केस का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है।
पिछले दो वर्ष से शांत पड़े इस मामले में अब ईडी की इंट्री हुई है, दरअसल इस मामले में करोड़ों रुपए की ब्लैकमेलिंग की गई थी।
बताया जाता है की इस मामले में आरोपी रहे दर्जनभर से अधिक लोगों को ईडी ने दिल्ली तलब किया है।
जिसमें सूबे की दोनों ही बड़ी पार्टियों के नेताओं के साथ ही आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी हैं। ईडी के इस कदम से प्रदेश में हड़कंप मच गया है।
गौरतलब है की जब बहुचर्चित हनी ट्रैप मामला सामने आया था तो कई अफसरों की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए थे। इस मामले के कई सफेदपोशों को आरोपी बनाया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ईडी ने अब इस मामले में आरोपी बनाए गए दर्जन भर से अधिक लोगों को नोटिस जारी कर इसी सप्ताह ईडी मुख्यालय नई दिल्ली तलब किया है। इसके बाद से ही राजनीतिक व प्रशासनिक हल्कों में हड़कंप मच गया है।
भोपाल जिला कोर्ट में पेश की गई हनी ट्रैप केस से जुड़ी मानव तस्करी की चार्जशीट से कई राज खुले हैं।
जिस किशोरी को मानव तस्करी का शिकार बनाया गया, उसने आरोपी महिलाओं के मायाजाल की पूरी कहानी बयान कर दी थी।
किशोरी के अनुसार हनी ट्रैप गैंग की आरोपी महिला श्वेता विजय जैन श्वेता स्वप्लिन जैन, आरती दयाल और बरखा सोनी अपने ड्राइवर अभिषेक ठाकुर की मदद से सुनियोजित तरीके से मिडिल क्लास लड़कियों को महंगी लाइफ स्टाइल और आर्थिक मदद का झांसा देकर अपने जाल में फंसाती थी। गैंग की आरोपी महिलाओं का ड्राइवर अभिषेक ठाकुर मिडिल क्लास लड़कियों से संपर्क करता था, वह लड़कियों को एनजीओ में जॉब दिलाने का झांसा देता था।
अभिषेक के झांसे में आने के बाद लड़कियों को गैंग की आरोपी महिला आरती दयाल से मिलाया जाता था और वह लड़कियों को उनकी आगे की पढ़ाई का खर्चा उठने के साथ कम समय में ज्यादा पैसा कमाने का लालच देती थी। आरोपी आरती दयाल झांसे में आई लड़कियों को अयोध्या नगर स्थित अपने फ्लैट में रखती थी।
इसी फ्लैट पर दूसरी महिला आरोपी श्वेता विजय जैन आती थी और लड़कियों को गैंग के वास्तविक काम के बारे में बताया जाता था और उन्हें समझाया जाता था कि यदि पैसे वाले हमारी या हम जैसी औरतों का दैहिक शोषण करते हैं तो उनको ब्लैक मेल कर उनसे पैसा लेना कोई गलत काम नहीं है। गैंग के झांसे में आई पीड़ित किशोरी जैसी कई लड़कियों के पहले अश्लील फोटो लिए जाते थे। इन फोटो को फिर बड़े लोगों को फंसाने के लिए भेजा जाता था। इन्हीं फोटो के जरिए शिकार खुद गैंग के पास पहुंच जाता था और फिर होटल में इन बड़े लोगों की सीडी बनाई जाती थी, यदि कोई लड़की वापस इस दलदल से निकलना चाहती है, तो ये गैंग उसे जाने नहीं देता था।
पीड़ित लड़की भी अपने गांव चली गई थी, लेकिन आरोपी आरती दयाल उसे इस गोरखधंधे में वापस लेकर आ गई होटलों के अलावा अयोध्या नगर स्थित आरती दयाल के फ्लैट पर ग्राहकों को फंसाने के लिए बुलाया जाता था आरोपी श्वेता को पता होता था कि कौन सा अधिकारी वीडियो बनने के बाद डर जाएगा और आसानी से पैसा दे देगा। ड्राइवर अभिषेक ठाकुर श्वेता जैन की फैक्ट्री में भी काम करता था। वह गलत कामों में भी श्वेता जैन का साथी है। अभिषेक ही आरती दयाल और मिडिल क्लास लड़कियों के अलग-अलग नामों से आधार कार्ड बनवाता था।
प्रदेश के हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप केस की जांच कर रही एसआईटी के तत्कालीन चीफ राजेंद्र कुमार ने रिटायरमेंट से पहले हाईकोर्ट को बंद लिफाफा सौंपा था। इस लिफाफे में 40 रसूखदारों की कुंडली बंद है।
इसमें कई राजनेता, आईएएस और आईपीएस अफसरों के नाम बताए जा रहे हैं। यदि इन नामों की जांच की जाती है तो कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि 2019 में नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह ने इंदौर पुलिस से शिकायत की थी कि उसकी सीडी बनाकर ब्लैकमेल किया जा रहा है।
इस शिकायत पर पुलिस ने सबसे पहले उस लड़की को गिरफ्तार किया, जिसके साथ हरभजन सिंह की सीडी थी।
इसके बाद उस लड़की से पूछताछ के बाद पुलिस ने श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्लिन जैन, आरती दयाल, बरखा सोनी और ड्राइवर अभिषेक ठाकुर की गिरफ्तार किया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी का गठन हुआ और भोपाल स्थित आरोपी महिलाओं के पर पर दबिश देकर लाखों रुपए नकदी और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स बरामद किए गए।
इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में हनी ट्रैप के कई वीडियो थे और इन्हीं वीडियो के आधार पर एसआईटी ने हाईकोर्ट में बंद लिफाफे में 40 रसूखदारों के नाम दिए हैं।
सूत्रों के मुताबिक मप्र की सियासत में हड़कंप मचाने वाले हनी ट्रैप मामले में पांच महिलाओं ने करीब 20 लोगों को अपने जाल में फंसाकर उनके आपत्तिजनक वीडियो बनाए और इन्हें वायरल करने की धमकी देकर उनसे करीब 15 करोड़ रुपए की वसूली की है।
किसी से 50 लाख तो किसी से तीन करोड़ रुपए तक की वसूली की गई। लाखों-करोड़ों रुपए के लेनदेन की जानकारी सामने आने के बाद मामले की छानबीन आयकर इन्वेस्टीगेशन विंग को भी सौंपी गई थी।
इसके अलावा मामले में ईडी ने भी दिलचस्पी दिखाई थी जिसमें मामले की पुलिस जांच रिपोर्ट, वीडियो-ऑडियो के रूप में मौजूद साक्ष्य और दस्तावेज आदि का पुन: परीक्षण भी कराया गया था।
यह मामला सितंबर 2019 में इंदौर नगर निगम के तत्कालीन सिटी इंजीनियर हरभजन सिंह द्वारा पलासिया थाने में की गई शिकायत के बाद सामने आया। इसमें इंजीनियर ने कहा था कि कुछ महिलाएं उन्हें अश्लील वीडियो वायरल करने के नाम पर ब्लैकमेल कर तीन करोड़ रुपये मांग रही हैं।
गौरतलब है कि हनीट्रैप मामले में लंबे समय तक जेल में रही महिलाएं भी जमानत पर छूटकर बाहर आ गई है।
उन्हें भी ईडी द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है, क्योंकि उनके खातों से हुए लेनदेन की विस्तार से जांच की जाएगी।
ईडी द्वारा लेनदेन की जांच में कुछ बड़े खुलासे भी हो सकते हैं, जिसके आधार पर ईडी की कार्रवाई आगे बढ़ेगी। सूत्रों का कहना है कि पहली बार हनीट्रैप मामले में ईडी की इंट्री हुई है, इससे मामले की गंभीरता का भी पता चलता है।
उल्लेखनीय है कि पुलिस ने महिलाओं के पास से कई सबूत जुटा चुकी है, जिसमें करीब 1 हजार वीडियो और कई गेजेस्ट, स्पाय कैमरे और साफ्टवेयर हैं।
जिसकी मदद से इन शातिर हसिनाओं ने वीडियों बनाए और करोड़ों रुपए ऐठे। अपने इन हाईप्रोफाइल शिकार के जरिए इस गैंग ने करोड़ों रुपए जमा किए। सूत्रों की मानें कि अब तक इनके पास से 90 ऐसे वीडियो मिले हैं जिनमें 20 से ज्यादा आईएएस, आईपीएस अफसरों के साथ नेताओं के भी वीडियो हैं।
बताया जा रहा है कि इन महिलाओं ने एक दर्जन नेता, 14 आईएएस अफसर, 9 आईपीएस अफसरों को अपना शिकार बनाया।
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