गिरीश मालवीय।
"प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया था कि पूर्व सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की विवादास्पद विजिटर्स डायरी में चौधरी की चार बार एंट्री है। बतौर सीबीडीटी चेयरमैन चौधरी हवाला कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ जांच में शामिल थे।
मोइन कुरैशी वही शख्स है जिसका नाम वर्मा वाले केस में भी खूब उछाला गया है कुरेशी ने सिन्हा से कई बार उनके निवास पर जाकर मुलाकात की थी। विजिटर्स डायरी में कुरैशी के नाम की भी एंट्री भी कई बार है।
प्रशांत भूषण का कहना था कि रंजीत सिन्हा के कार्यकाल के दौरान सीबीआई ने स्टॉक गुरु घोटाले में चौधरी की भूमिका की जांच की थी। साथ ही चौधरी हवाला कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ इनकम टैक्स की जांच टीम के सदस्य रहे थे। चौधरी जब डीजीआईटी, दिल्ली थे, उसी दौरान राडिया टेप लीक मामला सामने आया था लेकिन उपलब्ध साक्ष्यों पर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।
भूषण ने यह भी कहा कि सीबीडीटी के तीन वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा चौधरी की परफॉरमेंस अप्रेजल रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणी की गई थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चौधरी ने पोंटी चड्ढा की कंपनी की अघोषित संपत्ति को गलत तरीके से 200 करोड़ रुपये कम कर दिया था
यानी बहुत गंभीर आरोप तो चौधरी जी पर भी लगे हैं चलिए प्रशांत भूषण को छोड़िए वह तो वकील ठहरे उनका तो काम ही आरोप लगाना......
लेकिन कुछ समय पूर्व भ्रष्टाचार के मामलों के खुलासे के लिए रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से नवाज़े जा चुके भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के चर्चित अधिकारी और ह्विसिलब्लोअर संजीव चतुर्वेदी ने भी केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी के ख़िलाफ़ जांच की मांग की थी।
संजीव चतुर्वेदी ने सतर्कता आयोग पर यह आरोप लगाया कि उसने नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुए भ्रष्टाचार के कई ऐसे मामले बंद कर दिए जिनमें कई वरिष्ठ अधिकारी कथित तौर पर शामिल थे, संजीव ने अपने दावे के समर्थन में करीब 1,000 पन्नों के दस्तावेज़ हाल ही में राष्ट्रपति कार्यालय को भेजे थे लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई।
के वी चौधरी ऐसे पहले सीवीसी चेयरमैन हैं जिन्हें नॉन आईएएस होते हुए भी सतर्कता आयुक्त बनाया गया है।
अब ऐसे व्यक्ति को जिन पर इतने आरोप हैं उन पर क्यों इतना भरोसा किया जा रहा है? या कहीं ऐसा तो नहीं उन्हें जानबूझकर उस जगह बैठाया गया है ताकि वक्त जरूरत पर एक मोहरे की तरह ही इस्तेमाल किया जा सके? और वह वक्त आ गया है।"
और जब बात चली है तो यह भी याद कर लें कि एम्स में भ्रष्टाचार और संजीव चतुर्वेदी की ही शिकायत के बाद ही देश का स्वास्थ्य मंत्री बदल गया था। डॉ. हर्षवर्धन को हटाकर जेपी नड्डा को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था।
व्हाया संजय कुमार सिंह
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