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रक्षा क्षेत्र में भारत का आत्‍मनिर्भर कदम, 780 स्‍वदेशी उपकरणों की सूची जारी

खास खबर            Aug 28, 2022


मल्‍हार मीडिया ब्‍यूरो नई दिल्‍ली।

केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए रविवार को 780 पुर्जे और उनके सब-सिस्टम की एक नई सूची जारी कर दी है जिन्हें आयात पर रोक लगने के बाद केवल घरेलू उद्योगों से ही खरीदा जाएगा।

इन पुर्जों के आयात पर रोक के लिए दिसंबर 2023 से दिसंबर 2028 तक की समयसीमा निर्धारित की है।

आयात पर रोक लगने के साथ ही अब लड़ाकू विमानों, ट्रेनर विमानों, हेलीकॉप्टरों, पनडुब्बियों और टैंकों में स्वदेशी कल पुर्जे इस्तेमाल किए जाएंगे।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की ओर से आयात में कटौती करने और रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए नई सूची को मंजूरी दी।

यह तीसरी ऐसी सूची है, जिसमें विभिन्न सैन्य विभागों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले पुर्जे, उपकरण और हथियार शामिल हैं और इसका लक्ष्य रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा किए जा रहे आयात में कमी लाना है।

रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि इन सूचियों में 2500 आइटम शामिल हैं जो पहले से ही स्वदेशी हैं और 458 आइटम जो निर्धारित किए गए समय के भीतर स्वदेशी होंगे। 458 में से, 167 वस्तुओं का अब तक स्वदेशीकरण किया जा चुका है।

सरकार के इस फैसले के बाद स्वदेशी को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलेगी।

डीपीएसयू की आयात निर्भरता को कम करेगा, घरेलू रक्षा उद्योग की डिजाइन क्षमताओं को आगे बढ़ाने में मदद करेगा और भारत को इन प्रौद्योगिकियों में अग्रणी के रूप में स्थापित करेगा।

फिलहाल जिन पुर्जों और उनके सब सिस्टम को भारत में तैयार किया जा रहा है उसमें सुखोई-30, जगुआर लड़ाकू विमानों, हल्के लड़ाकू विमानों और डोर्नियर-228 विमानों के कई पार्ट शामिल हैं।

इसके साथ-साथ पनडुब्बियों और अर्जुन टैंक के उपकरण भी शामिल हैं।

मार्च में जारी पहली सूची में वे पुर्जे और सब सिस्टम शामिल थे जिन्हें भारत रूस से हथियारों और प्लेटफॉर्मों के लिए आयात करता है।

 

सरकार ने हाल के वर्षों में रक्षा निर्माण में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाने, स्थानीय रूप से निर्मित सैन्य हार्डवेयर खरीदने के लिए एक अलग बजट बनाने और हथियारों, उपकरणों और उप-प्रणालियों की सूची जारी करने सहित आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।

 

 



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