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हमीदिया में शुरू हुआ भोपाल का पहला स्किन बैंक

खास खबर            Aug 09, 2024


 मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का पहला स्किन बैंक शुक्रवार को हमीदिया अस्पताल में शुरू किया गया है। यहां 80 डिग्री तापमान में स्किन स्टोरेज की जाएगी, इसमें जिंदा एवं मृत दोनों की स्किन डोनेट होगी।

भोपाल स्थित हमीदिया अस्पताल में आज शुक्रवार 9 अगस्त को त्वचा बैंक की शुरू की गई। अब यहां त्वचा भी स्टोर की जा सकेगी। यह स्टोर 15 लाख की लागत से तैयार किया गया है।  स्किन बैंक में जिंदा एवं मृत दोनों तरह के व्यक्तियों की त्वचा दान कर सकेंगे।

यह स्किन बैंक प्रदेश का दूसरा और भोपाल का पहला बैंक है। इससे पहले यह सुविधा जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद बोस मेडिकल अस्पताल में थी। हमीदिया अस्पताल के डीएमई डॉ. अरुण कुमार, अधीक्षक सुनीत टंडन, जीएमसी की डीन डॉक्टर कविता कुमार, प्रोफेसर एचओडी डॉ. अरुण भटनागर, प्रोफेसर डॉक्टर आनंद गौतम, सहायक प्राध्यापक डॉक्टर हरि शंकर सिंह समेत अन्य स्टाफ मौजूद रहे।

हमीदिया के चिकित्सकों के अनुसार अधिकतर मरीज 30 से 60 प्रतिशत बर्न होते हैं या उससे अधिक भी होते हैं, ऐसे में इन मरीजों को स्किन की आवश्यकता होती है। ऐसे मरीजों में संक्रमण ना हो इसके लिए स्किन की जरूरत होती है। बताया जा रहा है कि हमीदिया में महीने भर में 60 से अधिक ऐसे जले हुए मरीज आते हैं। उनमें से करीब 40 के करीब मरीजों में स्किन की आवश्यकता होती है।

भोपाल में अभी तक स्किन डोनेशन की नहीं थी व्यवस्था

राजधानी भोपाल में अभी तक स्किन बैंक नहीं होने के कारण स्किन डोनेशन की व्यवस्था नहीं थी। गौरतलब है कि हादसों में झुलसे लोगों के इलाज के लिए स्किन की जरूरत होती है। करीब नौ महीने पहले बर्न एंड प्लास्टिक डिपार्टमेंट की ओर से इसके लिए प्रपोजल तैयार किया गया। इसका प्रस्ताव कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन को भेजकर बजट मांगा था। बजट मिलने पर स्किन बैंक के लिए जरूरी उपकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर जुटाकर स्किन बैंक शुरू करने के लिए कार्रवाई शुरू हुई। हालांकि, इस बैंक की एक साल से कवायद चल रही थी। पिछली बार भी एथिकल कमेटी तक मामला पहुंचा था, लेकिन व्यवस्थाएं पूरी नहीं होने से अनुमति नहीं मिली थी।

कोई भी व्यक्ति कर सकता है त्वचा दान

बर्न एंड प्लास्टिक डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण भटनागर ने बताया इसमें कोई भी व्यक्ति त्वचा दान कर सकता है। इसे स्टोरेज करके रखा जा सकता है। इसको हम किसी भी मरीज के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

मरीज के परिजन कर सकते हैं त्वचा दान

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि जो ज्यादा जले हुए मरीज हैं, उनकी जान बचाने में मदद होती है। इसमें लाइव डोनेशन होता है और दूसरा केडेवर डोनेशन होता है। मरीज के अटैंडर या परिजन चाहते हैं तो वो भी स्किन दान कर सकते हैं। इसमें ब्लड लॉस बहुत अधिक नहीं होता है। दूसरा केडेवर स्किन डोनेशन में मृत व्यक्ति के शरीर से लिया जाता है। यह स्किन हाथ और पैरों से लिया जाता है। डॉ. भटनागर ने बताया कि यह स्किन माइनस 20 डिग्री पर रखते हैं तो 3 महीने तक चलती है वहीं, इसे-80 डिग्री पर रखने पर यह स्किन 6 महीने तक रखी जा सकती है। जब स्किन निकालते हैं तो उसके पीस का कल्चर टेस्ट करते हैं। फिर इसको यूज किया जाता है, इसके लिए हमारे पास डीप फ्रीजर है और कूलिंग कैबिनेट भी हैं। इसकी करीब 15 लाख लागत आई है। डॉ. भटनागर ने बताया कि हमारे पास डीप फ्रीज 2 हजार लीटर का वहीं, कूलिंग कैबिनेट 3 हजार लीटर कैपेसिटी का है, इसमें 100 एमएल के 60 से अधिक बॉटल रख सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति मृत्यु से पहले डोनेट करना चाहता है तब और मृत्य के बाद भी स्किन डोनेट कर सकता है। मरने से 6 घंटे बाद तक हम यह स्किन ले सकते हैं, मृत्यु के बाद शरीर सुरक्षित रख दिया हो तो शव से मृत्यु के 12 घंटे तक भी स्किन ले सकते हैं। हमने इससे पहले भी हमने स्किन ग्राफ्ट लिए हैं।

डॉ. आनंद गौतम ने बताया कि 30 प्रतिशत या 50 से 60 प्रतिशत से अधिक के जो जले हुए मरीज होते हैं। उनकी खुद की चमड़ी पूरी जल जाती है, इसलिए स्किन बैंक की जरूरत पड़ती है। जिस तरह से ऑर्गन डोनेशन होता है ब्लड डोनेट कर सकते हैं या किडनी डोनेट कर कर सकते हैं। उसी तरह स्किन भी डोनेट की जा सकती है। इस तरह के मरीजों में इस चमड़ी को इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर कोई प्राइवेट अस्पताल का मरीज है तो वह प्रोटोकॉल के अनुसार यहां से स्किन ले सकते हैं। जिंदा डोनर की त्वचा दान के 24 घंटे बाद छुट्टी भी हो जाती है। वहीं 15 दिन में डोनर की स्किन भी वापस आ जाती है।

 


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