मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश में शिक्षक दिवस पर बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने बड़ा फैसला लिया है।
प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सरकारी स्कूलों के मान्यता प्राप्त सभी अशासकीय और अनुदान प्राप्त स्कूलों में 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न में लागू करने का फैसला लिया।
दरअसल, सोमवार को शिक्षकों के सम्मान समारोह में शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने ऐलान करते हुए कहा कि एमपी में 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं सरकारी के साथ ही निजी स्कूलों में भी बोर्ड पैटर्न पर होगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 15 साल बाद दोबारा 5वीं और 8वीं में बोर्ड परीक्षा होगी।
वहीं इंदर सिंह परमार ने कहा कि पारदर्शिता पूर्ण ट्रांसफर नीति तैयार की है जिसके बाद अब शिक्षकों को तबादलों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यूनिफॉर्म नहीं बांटने का जिम्मेदार स्व सहायता समूह को ठहराया है।
शासकीय स्कूल में बच्चों को अभी तक यूनिफॉर्म नहीं बटने पर मंत्री ने कहा कि स्व सहायता समूह की गलती से अभी तक सरकारी स्कूल में छात्रों को ड्रेस नहीं मिली।
शैक्षणिक सत्र के शुरुआत में शासकीय स्कूल में विद्यार्थियों को नई यूनिफॉर्म दी जाती है और पिछले महीने बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म मिल जानी थी।
प्रापत जानकारी के अनुसार मप्र में प्राथमिक स्कूलों, माध्यमिक स्कूलों, हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है।
इन सभी स्कूलों में स्टीम शिक्षा पद्धति लागू कर दी गई है।
इस पद्धति के माध्यम से बच्चों को स्कूल में साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट्स, मैथ्स की पढ़ाई साथ कराई जाती है।
जिससे बच्चों को स्कूली टाइम से ही प्रोफेशनल तरीके से पढ़ने का मौका भी मिलें।
वहीं शिक्षा के क्षेत्र प्रदेश ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यहां स्कूल ड्रॉप आउट रेट में काफी गिरावट देखने को मिली है। ड्राप आउट रेट 4.92 फीसदी से घटकर अब 1.35 फीसदी हो गया है। नेशनल अचीवमेंट सर्वे की एक रिपोर्ट के अनुसार अब इन आकड़ो के बाद मध्य प्रदेश स्कूल ड्रॉप आउट के मामले में देशभर में पांचवे स्थान पर आ गया है।
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