मल्हार मीडिया भोपाल।
देश में इस समय सेंस ऑफ अरजेंसी की आश्यकता है। वैश्विक बाजारवाद की मानसिकता के कारण उत्पन्न समस्याओंं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए यह चेतावनी है केएन गोविंदाचार्य की। वह गांधी भवन में आयोजित राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर झारखंड राज्य के विधायक चेतन राय सहित आंदोलन से जुड़े दूसरे पदाधिकारियों ने भी अपनी चिंता जाहिर करते हुए समय रहते प्रयास की जरूरत बताई है।
श्री गोविंदाचार्य ने कहा कि उपनिवेश, साम्राज्यवाद और बाजारवाद की मानसिकता के कारण समाज जहां यंत्र नियंत्रित हो गया है। वहीं दूसरी ओर आर्टीफिशियल इंट्लीजेंस, बॉयोटेक और जैनिटिक इंजनीयिरिंग का बढ़ता प्रभाव भविष्य में मानवता के लिये खतरा बन सकता है। सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनैतिक हास के बीच इसे भांपते हुए भारतीय समाज को न केवल सतर्क हो जाने की जरूरत है बल्कि, आपदा से पहले ग्रामीण भारत और उसकी संस्कृति का आश्रय लेकर कुछ कदम उठाने की जरूरत है। जिसमें सरकार को समाज का सहयोग करने की आवश्यकता है।
बताई यह करने की जरूरत
अधिक से अधिक जलाशय निर्माण
पौध रोपण
नई गोचर भूमि का चिहांकन
लाभदायी गौपालन के प्रयास
खतरनाक है प्रकृति पर नियंत्रण की मानसिकता
यहां मौजूद झारखंड के विधायक सरयू राय ने कहा कि विज्ञान द्वारा प्रकृति पर नियंत्राण की मानसिकता खतरनाक है। इसके लिये लोभ को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि हम शुभ लाभ के बजाय हम लोभ लाभ में चले गए है। इसलिये प्रकृति के अवयव दूषित हो रहे हैं। इसमें यंत्र नहीं दोष उसका है जिसने अपनाया है। उन्होंने आशा जताई कि संगठन जनमानस जागरूक हुआ है। लोग रास्ता चाहते हैं, जिसमें यह शिविर सहायक बनेगा। इस दौरान गांधी भवन के सचिव दायराम नामदेव ने प्रकृति क्षरण को लेकर चिंता जताई और पर्यावरण संरक्षण को समय की आवश्यकता बताई।
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