डॉ. रामावतार शर्मा।
प्रोटीन हमारे भोजन का अत्यंत आवश्यक भाग है जिसके बारे में साफ सुथरी जानकारी की कमी देखी जाती है। प्रोटीन हमारे शरीर की हर कोशिका, हर उत्तक ( टिश्यू ) को चाहिए होता है। यह अमीनो एसिड नामक तत्वों की चैन से बनता है।
अमीनो एसिड्स दो प्रकार के होते है।
एक तरह के अमीनो एसिड्स तो शरीर स्वयम बना लेता है इसके लिए इनका भोजन में होने अनिवार्य नहीं है। इनको गैर अनिवार्य अमीनो एसिड्स कहते हैं।
पर कुछ अमीनो एसिड्स शरीर नहीं बना पाता इसलिए इनका भोजन में होना अनिवार्य है इसलिए इन्हे अनिवार्य अमीनो एसिड्स कहा जाता है।
जो भी प्रोटीन भोजन द्वारा आंतों में जाते हैं शरीर की क्रियाएं उन्हें विघटित करके ऊर्जा, मांशपेशियों की टूट फूट की मरम्मत और नई कोशिकाओं के निर्माण में काम ले लेती हैं। प्रोटीन रोग निरोधक तंत्र को बनाए रखने में भी सहायक होते हैं।
मांसपेशियों के प्रोटीन लगातार विघटित होते रहते हैं जिसके कारण मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं। ऐसी मांसपेशियों को मरम्मत और नव निर्माण के लिए प्रोटीन काम आते हैं।
ऐसे में यदि भोजन में इतना प्रोटीन हो कि वह उपयोग में आने वाले प्रोटीन से ज्यादा मात्रा में हो तो इसे सकारात्मक नाइट्रोजन संतुलन कहा जाता है।
यदि भोजन में प्रोटीन आवश्यकता से कम हो तो इसे नकारात्मक नाइट्रोजन संतुलन कहा जाता है जिसमें शरीर मांसपेशियों को तोड़ कर प्रोटीन की प्राप्ति करता है जिसके फलस्वरूप उनके तंतु पतले व कमजोर पड़ जाते हैं।
इसका मतलब यह है कि हमारा नाइट्रोजन संतुलन हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए।
अब यहां एक स्वाभाविक सवाल और जिज्ञासा का जन्म होता है कि मनुष्यों की विभिन्न वर्गों को कितना प्रोटीन प्रतिदिन चाहिए होता है ?
ऐसा माना जाता है कि एक न्यूनतम सक्रिय व्यक्ति को रोजाना 0.8 ग्राम प्रोटीन प्रति किलो शारीरिक वजन प्रतिदिन के हिसाब से चाहिए। प्रोटीन की इतनी मात्रा लेने पर उसके शरीर में सकारात्मक नाइट्रोजन संतुलन बना रहेगा और मांसपेशियां भी कमजोर नहीं पड़ेंगी।
जो लोग ज्यादा शारीरिक श्रम करते हैं या फिर जो शरीर की मांसपेशियां बनाने के लिए जिम या कसरत करते हैं उन्हें अतिरिक्त प्रोटीन की जरूरत पड़ती है।
एक स्वस्थ एवम् क्रियाशील व्यक्ति जिसकी उम्र 19 वर्ष से ज्यादा हो उसको अपनी कुल दैनिक ऊर्जा का 10 से 35 प्रतिशत हिस्सा प्रोटीन से प्राप्त करना चाहिए।
एक ग्राम प्रोटीन चार कैलोरी देता है तो यदि रोजाना 2000 कैलोरीज की जरूरत हो तो 50 से 175 ग्राम प्रोटीन रोजाना चाहिएं।
4 से 9 साल तक के बच्चों को 20 ग्राम प्रोटीन प्रतिदिन से ज्यादा नहीं चाहिए, 9 से 13 वर्ष को 35 ग्राम और 14 से 18 वर्ष के बच्चों को 45 से 50 ग्राम प्रोटीन प्रति दिन चाहिए होता है।
लड़कों को लड़कियों से थोड़ा ज्यादा प्रोटीन चाहिए होता है।
सामान्य आवश्यकता के ऊपरी स्तर का प्रोटीन यदि कसरत के साथ लिया जाए शरीर छरहरा और मांसल रहता है और यदि जीवनपर्यंत पर्याप्त प्रोटीन लिया जाए तो ऐसा ही शरीर बनाए रखा जा सकता है।
उदाहरण के लिए किसी 82 किलो वजन के मनुष्य को यदि 100 से 132 ग्राम प्रोटीन रोजाना मिलता रहे और वह सक्रिय जीवनशैली बनाए रखे तो कभी भी थुलथुला नहीं होगा।
प्रोटीन हमें मांसाहारी और शाकाहारी दोनों ही प्रकार के भोजन से प्राप्त हो सकते हैं। मांस से प्राप्त प्रोटीन पूर्ण प्रोटीन होते हैं जिनमें सारे के सारे अमीनो एसिड्स मौजूद होते हैं।
ये प्रोटीन पचते भी शीघ्र हैं। शाकाहारी भोजन से प्राप्त प्रोटीन अपूर्ण होते हैं जहां कोई ना कोई अमीनो एसिड की कमी होती है।
पूर्ण प्रोटीन बनाने के लिए दो तीन तरह के शाकाहारी भोजन को साथ लेना चाहिए। कुछ उदाहरण इस तरह से हैं चावल के साथ कोई न कोई फली जैसे सेम की सब्जी होने चाहिए।
भोजन में मूंग, मोठ या मसूर दाल, मटर, कोई बीज, हम्मस ( काबुली चना और सफेद तिल से बनता है ) मूंगफली का बटर आदि कुछ न कुछ नित्य के भोजन में कुछ मात्रा में होने चाहिएं। थोड़ी मात्रा में सोया का कभी कभी उपयोग होना चाहिए।
जोश में आकर अत्यधिक प्रोटीन का सेवन नहीं करना चाहिए। ज्यादा प्रोटीन एक साथ खाने से जी मिचलाना, पेट में दर्द या भारीपन, निर्जलीकरण, थकान, चिड़चिड़ाहट आदि होने लगते हैं।
लगातार ज्यादा प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट और वसा में बदल कर वजन बढ़ा देते हैं। बहुत समय तक सीमा के बाहर प्रोटीन भोजन हृदय, गुर्दे, लीवर और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है और यदाकदा तत्काल मृत्यु का कारण भी बन जाता है।
पूरा ब्रह्मांड, पूरा अस्तित्व एक बारीक संतुलन पर टिका है तो फिर यदि कोई अहंकारी या अज्ञानी व्यक्ति असंतुलित जीवन जीने का प्रयास करेगा तो कब तक उसमें जीवन टिका रह सकेगा ?
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