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नीची बिरादरी के घर बनता है खाना इसलिए बच्चे नहीं खाते मिड डे मील

खास खबर            Jan 29, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो टीकमगढ़।

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ से जातिय भेदभाव का एक चौंकाने वाला मामला सामने आ रहा है। इस मामले से एक बार फिर भारतीय समाज में मौजूद जातीय भेदभाव पर बहस छिड़ सकती है। दरअसल यहां के एक स्कूल के बच्चों ने मिड—डे मील खाने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि उसे पकाने वाली महिला दलित है। हैरानी वाली बात यह है कि बच्चे खुद कहते हैं कि नीची बिरादरी के घर खाना बनता है इसलिए हम नहीं खाते। चिंतनीय बात यह है कि बच्चों के मन में यह जातिवाद का जहर अभी से भरा जा रहा है।

गौरतलब है कि सरकार ने स्कूलों में मिड डे मील की योजना इसलिए शुरू की थी ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूलों की तरफ आकर्षित हो सकें। हालांकि मिड डे मील की गुणवत्ता और इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार से जुड़े भी कई मामले सामने आए। इस बार बच्चों ने मिड डे मील खाने से सिर्फ इसलिए इनकार कर दिया है क्योंकि खाना बनाने वाली महिला दलित जाति से संबंध रखती है।

टीकमगढ़ के इस स्कूल में मिड डे मील बनाने वाली महिला दलित है इसी के चलते बच्चों और उनके परिवारवालों ने खाना खाने से इनकार कर दिया है। बच्चों का कहना है कि वो किसी नीची बिरादरी की महिला के हाथ का बना खाना नहीं खा सकते।

खाना बनाने वाली महिला के बेटे के मुताबिक कुल बच्चों में से सिर्फ बारह बच्चे मिड-डे का खाना खाते हैं बाकी ऊंची जाति के बच्चे कहते हैं कि हम तुम्हारा खाना नहीं खाएंगे क्योंकि तुम हमारी बिरादरी के नहीं हो। उनकी मां घर पर खाना बनाती हैं। दरअसल यहां मिड-डे का खाना किसी दलित के घर पकाया जाता है। इस पर हेडमास्टर ने कहा कि खाना स्कूल के किचन में बनना चाहिए, किसी के घर में नहीं। खाना किसी के घर में बना है इसलिए बच्चे हिचकिचा रहे हैं।

 



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