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नेता प्रतिपक्ष की अविश्वास प्रस्ताव की जमावट, महफिल लूट ले गए नरोत्तम

खास खबर            Dec 21, 2022


 

राकेश अग्निहोत्री।

मध्यप्रदेश विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्षी कांग्रेस और सत्ता पक्ष भाजपा के चुनिंदा नेताओं को अपनी योग्यता और उपयोगिता के साथ पार्टी की रणनीति को कारगर सिद्ध करने का मौका मिला।

शिवराज के मंत्री कमलनाथ के पूर्व मंत्री आमने सामने खड़े नजर आए. इन वक्ताओं की पोजिशनिंग को नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता।

चर्चा में व्यवस्था के बदलाव के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  गुरुवार को सदन में जवाब देंगे।

 नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह द्वारा शुरू हुई इस चर्चा के दौरान कई दिग्गज नेताओं ने अपनी बात रखी।

चाहे  वह तरुण भानोट,बाला बच्चन ,सचिन यादव , लक्ष्मण सिंह से लेकर सत्ता पक्ष के मंत्री भूपेंद्र सिंह गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर ,कमल पटेल और दूसरे नेता ही क्यों न हों। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम पूरी तरह एक्टिव नजर आए।

 पूर्व नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के सबसे बड़े नेता कमलनाथ की गैर मौजूदगी से ही यह संदेश चला गया कि आखिर इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस कितनी गंभीर है।

नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पहले ही छोड़ चुके कमलनाथ सदन से दूरी बनाकर अपने वादे को निभाने के लिए  सिरोंज पहुंचे थे।

चर्चा के दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक कमलनाथ की मौजूदगी को लेकर भाजपा की ओर से नेताओं ने खूब चुटकी ली।

रही सही कसर नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह जो आए तो सरकार की घेराबंदी के लिए पूरी तैयारी के साथ लेकिन उनका लहजा ठेठ ग्रामीण अंदाज और हास परिहास के साथ सच स्वीकार करने के उनके दम ने माहौल तो बनाया लेकिन लय और धार नजर नहीं आई।

बिना लाग लपेट अपनी बात कहने वाले गोविंद सिंह अच्छे वक्ता भले ही साबित नहीं हुए लेकिन उन्होंने अपने अंदाज में सरकार को आईना दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

वह भी तब जब तारीफ कर नरोत्तम अपने मित्र गोविंद की कमजोरियों को उजागर कर रहे थे,  तो उनकी अपनी पार्टी के सज्जन सिंह वर्मा जिनकी गिनती कमलनाथ के करीबी नेता में होती।

नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह के सशर्त इस्तीफे की के लिए हंसी मजाक में ही सही उन्हें चने के पेड़ पर चढ़ा रहे थे।

बात यहीं खत्म नहीं होती कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद की विवादित टिप्पणी और समाज विशेष के प्रति उनकी अपनी रणनीति ने पूरी पार्टी को मानो थोड़ी देर के लिए बैकफुट पर लाकर खड़ा कर दिया।

आरिफ ने अपने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए समुदाय विशेष को संदेश दिया तो इस मौके पर हिंदुत्व के पुरोधा भगवाधारी रामेश्वर शर्मा विश्वास सारंग जैसे कई नेता मानो टूट पड़े, शायद उन्हें इसी मौके की तलाश थी।

इस दौरान सिंधिया समर्थक मंत्री ओ. पी.एस भदोरिया का सदन के अंदर बांहें चढ़ाकर सत्तापक्ष की ओर जाना और उन्हें बार-बार सहयोगियों द्वारा रोकना विपक्ष को रास नहीं आया यह विवाद विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप से ही शांत हो पाया।

दूसरे वक्ताओं की तुलना में कांग्रेस की ओर से जीतू पटवारी का आक्रामक अंदाज तर्क और तथ्यों के साथ आरोप गौर करने लायक रहा।

बावजूद इसके पहले दिन महफिल संसदीय मंत्री नरोत्तम मिश्रा लूट ले गए, जिन्होंने कई गलतफहमियां दूर की तो कई भविष्य के संकेत भी देने की कोशिश की।

चर्चा में तो सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद राजपूत भी रहे जब उन्होंने कमलनाथ सरकार में मंत्री रहते कुछ  वाकयों  के राज से पर्दा उठा कर कांग्रेस के सीएम इन वेटिंग कमलनाथ की भूमिका पर सवाल खड़े किए।

गोविंद सिंह ने सिर्फ एक मंत्री विश्वास सारंग को निशाने पर लिया तो इस दौरान चर्चा में बिना नाम लिए विपक्ष की ओर से जीतू पटवारी के निशाने पर सिंधिया समर्थक वह मंत्री जरूर निशाने पर आ गए जिनका एक महिला के साथ वीडियो वायरल हुआ था।

तो दूसरे की चर्चा रिश्तेदार द्वारा 50 करोड़ की संपत्ति का दान देने को लेकर खूब हुआ। चर्चा में उमंग सिंगार भी आ ही गए, समय बढ़ता गया और रात तक चर्चा हुई।

मुख्यमंत्री शिवराज भी सदन का हिस्सा आते जाते बने रहे।

कांग्रेस द्वारा पहला दिन के चर्चा की हीरो गृह  और संसदीय मंत्री पंडित नरोत्तम मिश्रा को ही माना जाएगा।

जिन्होंने अपने अलग अंदाज और दमखम से साबित किया कि शिवराज सिंह चौहान जनता के दिल में राज करने वाले मुख्यमंत्री नहीं बल्कि पूरे सदन के सबसे सर्वोत्तम नेता भी है।

जिस पर पार्टी और पूरी सरकार को गर्व है.. उन्होंने जोर देकर कहा शिवराज के नाम कई कीर्तिमान है तो,  कांग्रेस अभी 20 साल और सरकार में लौटने  की न सोचे नरोत्तम का अपनी हाजिर जवाबी से मुख्यमंत्री के

नेतृत्व को सशक्त और लोकप्रिय साबित करने का अंदाज  लुभावना तो विपक्ष पर करारा हमला कर उन्होंने साबित किया नंबर दो की पोजीशन पर सरकार में उनका कोई सानी नहीं।
2023 विधानसभा चुनाव के लिए नरोत्तम ने मानो अपनी पार्टी को बूस्टर डोज दिया,  इसके लिए कभी मुस्कुरा कर कभी आंखों में आंखें डाल कर तो कभी तेज आवाज और लच्छेदार भाषण में उलझा कर।

यही नही कभी पुरानी यादों को सामने रख फाइलों को खंगालते हुए नरोत्तम ने कांग्रेस को कमलनाथ के पुराने फैसले उनके बयान उनकी सोच पर सवाल खड़ा कर  कमजोरियों से वाकिफ करा कर साबित किया कि  भाजपा और शिवराज सरकार बेहतर है।

कमलनाथ सरकार की वादाखिलाफी और दूसरे फैसलों की कमजोर कड़ी को नरोत्तम ने बखूबी चर्चा का विषय बनाया।

तो सदन के अंदर विपक्षी विधायक भी उनकी योग्यता को चाह कर भी नजरअंदाज नहीं कर  सके ।

एक ओर शिवराज और उनके स्वीकार्य नेतृत्व की जमकर तारीफ वह भी तब जब सदन में मुख्यमंत्री ने बगल में बैठकर अधिकांश समय बिताया।

या यूं कहें कि गोविंद सिंह के आरोपों की लंबी फेहरिस्त के बावजूद नरोत्तम ने मानो अविश्वास प्रस्ताव का एजेंडा सेट कर दिया।

गड़े मुर्दे उखाड़े गए तो कमलनाथ से लेकर दिग्विजय सिंह की सरकार की भी चर्चा खूब हुई।

गृहमंत्री रहते कानून व्यवस्था के मुद्दे पर अपनी सरकार के फैसलों की तारीफ तो बड़ी चतुराई से 15 महीने की कमलनाथ सरकार की घेराबंदी कर यह साबित किया कि शिवराज के पासंग कोई और दूसरा नेता दूर-दूर तक नजर नहीं आता।

नरोत्तम ने कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव को हथियार बनाकर उनके नेता कमलनाथ को एक्सपोज करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

झील के नेतृत्व में कांग्रेस 2023 का चुनाव लड़ेगी। नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह से अपने व्यक्तिगत संबंधों को स्वीकार करते हुए नरोत्तम पूरे समय कमलनाथ को निशाने पर लिए रहे।

गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष के दूसरे बड़े दावेदार कमलनाथ की पसंद सज्जन सिंह वर्मा के बीच नोकझोंक की स्थिति करने में भी उन्होंने  रूचि ली।

नरोत्तम पूरी तैयारी के साथ आए थे उनके हाथ कुछ दस्तावेज थे जिस पर उनकी पैनी नजर लेकिन कान पूरी तरह से खोल कर रखे थे कि सदन के अंदर कौन क्या बोल रहा  और उसकी घेराबंदी तुरंत कैसे की जा सकती है।

पहले दिन मुख्यमंत्री शिवराज का लगभग  मौन लेकिन नरोत्तम का सजग सतर्क रहकर अपने मुख्यमंत्री के एजेंडे को आगे बढ़ाना किसी उदाहरण से कम नहीं।

शिवराज जिस नरोत्तम को पहले भी अपना संकटमोचक बता चुके उसे भले ही जवाबदेही बतौर गृहमंत्री उन्होंने सौंपी हो लेकिन नरोत्तम ने परफॉर्मेंस की कसौटी पर खरा उतर कर ही दिखाया।

विपक्ष की ओर से पूर्व मंत्री  जीतू पटवारी और तरुण भनोट ने  शिवराज और नरोत्तम की प्रतिस्पर्धा पर जरूर तंज कसे.. नरोत्तम ने स्पष्ट किया कि जो प्राप्त है वही पर्याप्त है,  यानी नंबर 2 की कुर्सी से वह संतुष्ट है।

फ्लोर मैनेजमेंट के साथ अविश्वास प्रस्ताव हर समय के साथ बदलती रणनीति नरोत्तम  ने ही अपने सहयोगियों के साथ मिल आगे बढ़ाई।

नरोत्तम ने चर्चा के दौरान अपने नेता नरेंद्र मोदी से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया का जिक्र किया तो राजीव गांधी से लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस के विवादित बयानों का उल्लेख का माहौल ऐसा बनाया कि संदेश दिल्ली तक जाए।

चाहे मुद्दा चीन भारत सीमा विवाद पर सैनिकों से जुड़ा राहुल का विवादित बयान हो , या फिर शिवराज से अपने बनते बिगड़ते रिश्ते पर  पूर्ण विराम लगाने की कोशिश ही क्यों ना हो।

यह पहला मौका नहीं है जब सदन के अंदर नरोत्तम ने छाप छोड़ी लेकिन इस बार शिवराज और नरोत्तम की मजबूत केमिस्ट्री ने सभी को चौंकाया।

क्योंकि पार्टी के अंदर ही नेता मकर संक्रांति के बाद मिशन 2023 को लेकर हाईकमान द्वारा मध्यप्रदेश के लिए नए फार्मूले की चर्चा करते रहे।

वह भी तब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के परिवार में शादी समारोह का दिल्ली में हिस्सा बनते हैं।

तब अविश्वास प्रस्ताव के महत्व को समझा जा सकता है कि मुख्यमंत्री शिवराज और पार्टी के दूसरे प्रादेशिक नेता दिल्ली नहीं पहुंचे।

संदेश साफ है पहले दिन बहस यदि आरोप-प्रत्यारोप तक सीमेंट कर रहे हैं गई तो क्या दूसरे दिन शिवराज कुछ अलग और बड़ा संदेश विरोधियों के साथ क्या अपनी पार्टी के नेताओं को देंगे।

अनुपूरक बजट बिना चर्चा के पास करने के साथ यह संदेश दिया गया कि अविश्वास प्रस्ताव पर एक सार्थक बहस होगी।

एकबारगी यह संदेश गया कि शिवराज चर्चा का समापन पहले दिन ही अपने उद्बोधन के साथ करेंगे लेकिन दिल्ली जाने की खबरों पर विराम लगाते हुए उनका प्लान कल तक के लिए टाल दिया गया।

 

 



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