राकेश दुबे।
वैश्विक स्तर पर कहा जा रहा है कि कोरोना के नये वेरिएंट “ओमिक्रान” की संक्रमण दर चिंता में डालने वाली है। इसके बावजूद कोरोना संक्रमण से बचाव के परंपरागत उपायों का हम पालन करते हैं तो बचाव संभव है।
सामाजिक तौर पर मध्यप्रदेश में जिस सरकार से जिम्मेदार व्यवहार की उम्मीद की जाती है, उसकी गिनती देश के फिसड्डी राज्यों में है।
नीति आयोग की हाल में आई रिपोर्ट प्रदेश के नागरिकों के लिए चौंकाने वाली है। मध्यप्रदेश का नम्बर इस रिपोर्ट में नीचे से तीसरा है। उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ खड़ा है, मध्यप्रदेश।
नीति आयोग की रिपोर्ट तो एक प्रमाणिक दस्तावेज है, इस दस्तावेज के अनुसार स्वास्थ्य के पैमाने पर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार की हालत सबसे खऱाब है और इनके ऊपर मध्यप्रदेश का नाम है।
नीति आयोग के हेल्थ इंडेक्स में अगर 20 बड़े राज्यों की बात करें तो यूपी सबसे निचली पायदान पर है। जबकि केरल ने एक बार फिर सबसे अव्वल स्थान पाया है।
नीति आयोग के चौथी बार ये स्वास्थ्य सूचकांक जारी किया है। बड़े राज्यों की बात करें तो सभी मानकों पर हेल्थ सेक्टर में केरल ने शीर्ष स्थान हासिल किया है।
जबकि उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है मध्यप्रदेश की दशा भी ठीक नहीं कही जा सकती |इस चौथे हेल्थ इंडेक्स में 2019—20 (आधार वर्ष) की अवधि को ध्यान में रखा गया है।
इस सरकारी थिंक टैंक की रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य मानकों पर तमिलनाडु और तेलंगाना दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश ने बेहतरी के मामले में सबसे ऊंचा स्थान हासिल किया है।
उत्तर प्रदेश ने आधार वर्ष 2018—19 से संदर्भ वर्ष 2019—20 तक सर्वाधिक उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है। मध्यप्रदेश यहाँ भी कोई तीर नहीं मार सका है।
नीति आयोग के अनुसार, हेल्थ इंडेक्स के लिए चार दौर का सर्वे किया गया है और इस आधार पर अंक दिए गए हैं| चारों राउंड में केरल शीर्ष पर रहा है।
आंध्र प्रदेश जैसा राज्य उल्लेखनीय सुधार करते हुए आठवें से छठवें स्थान पर पहुंचा है। महाराष्ट्र भी तीन पायदान ऊपर चढ़कर तीसरे स्थान पर पहुंचा है।
जबकि पंजाब तीन स्थान नीचे लुढ़का है। तमिलनाडु और हरियाणा भी स्वास्थ्य सूचकांक में रैंकिंग में गिरावट आई है।
मध्यप्रदेश का पड़ौसी राजस्थान चार पायदान पर ऊपर चढ़कर 15 वें से 11 वें स्थान पर आ गया है।
छोटे राज्यों में मिजोरम टॉप पर है। जबकि केंद्रशासित प्रदेशों में सेहत के क्षेत्र में दिल्ली और जम्मू कश्मीर सभी मानकों पर सबसे नीचे है।
इन राज्यों ने भी सुधार करते हुए छोटे राज्यों में सबसे ऊंचा स्थान प्राप्त किया। रिपोर्ट में कहा गया कि लगातार चौथे सूचकांक में सभी मानकों पर केरल का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा है।
तेलंगाना का सभी मानकों और बढ़ोती के संबंध में प्रदर्शन अच्छा रहा और दोनों में उसने तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
राजस्थान ने समग्र तौर पर सुधार के तौर पर सबसे कमजोर प्रदर्शन किया| यह रिपोर्ट स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा विश्व बैंक की तकनीकी सहायता से तैयार की गई है।
केरल,तमिलनाडु,तेलंगाना,आंध्रप्रदेश,महाराष्ट्र,गुजरात,हिमाचलप्रदेश,पंजाब,कर्नाटक,छत्तीसगढ़,हरयाण,असम,झारखंड,ओडिशा,उत्तराखंड,राजस्थान,के बाद सूची में मध्यप्रदेश का स्थान है। इसके बाद बिहार और उत्तर प्रदेश है।
वैसे तो समूचे देश में कोरोना संक्रमण से बचाव के परंपरागत उपायों के पालन के साथ निचले पायदान पर खड़े राज्यों की जिम्मेदारी ज्यादा है|
सामाजिक तौर पर नागरिकों से जिम्मेदार व्यवहार की उम्मीद की जाती है।
हाल के दिनों में संक्रमण दर में आई गिरावट के बाद बड़ी आबादी सोचने लगी थी कि कोरोना वायरस सदा-सदा के लिये देश से चला गया है।
यहां तक कि सार्वजनिक स्थलों में बिना मास्क और शारीरिक दूरी की अनदेखी वाली विचलित करती तस्वीरें हकीकत बता रही थीं।
राज्य सरकारों को तब और अब अपनी जिम्मेदारी समझकर काम करना चाहिए। नागरिकों को भी मास्क, सुरक्षित दूरी और बार-बार हाथ धोना चाहिए, जो बचाव का बड़ा हथियार भी है।
वहीं वैक्सीनेशन दूसरा बड़ा हथियार है, जिससे बचने वालों की संख्या भी देश में करोड़ों में है।
राज्यों की जिम्मेदारी है कि वे कोरोना मरीजों के बचाव व उपचार में निर्णायक भूमिका निभाए|
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