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मुख्‍यमंत्री बने मास्‍टरजी, समझाया झंडे का अनुपात और पढाई झंडा संहिता

खास खबर, मध्यप्रदेश            Aug 10, 2022


मल्‍हार मीडिया भोपाल।

मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज मास्‍टरजी बने और उन्‍होंने राजधानी भोपाल के माडल स्‍कूल में राष्‍ट्रध्‍वज के बार में पढायाा क्‍लास में मुख्‍यमंत्री ने झंडे के अनुपात और झंडा संहिता के बारे में विस्‍तार से बतायाा

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज हर घर तिरंगा अभियान के तहत एक स्कूल में बच्चों को तिरंगे और देश के महान क्रांतिकारियों के बारे में शिक्षा दी।

उन्होंने कहा कि 'विजयी वश्वि तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। इसकी शान न जाने पाए, चाहे जान भले ही जाए।' यह केवल गीत नहीं आजादी की लड़ाई का मंत्र था।

उन्‍होंने कहा हमारे देश का 5000 सालों का ज्ञात इतिहास है। जब दुनिया के विकसित देशों में सभ्यता के सूर्य का उदय नहीं हुआ था, तो हमारे देश में वेदों की ऋचाएं रची गई थीं।

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि अंग्रेजों के साथ लड़ाई सन 1761 में ही शुरू हो गई थी। सन 1761 में सन्यासी विद्रोह से हमारी लड़ाई शुरू हुई फिर 1857 आया , जिसमें अमर क्रांतिकारी मंगल पांडे ने क्रांति शुरू की। 

मुख्यमंत्री ने स्कूली बच्चों को बताया कि आजादी की लड़ाई की बाद में दो धाराएं बन गईं। एक धारा थी अहिंसक आंदोलन वाली, दूसरी तरफ ऐसे क्रांतिकारी भी थे जिन्होंने माना कि अंग्रेज केवल हाथ जोड़ने से भारत छोड़ के नहीं जाएंगे, अस्त्र-शस्त्र उठाने पड़ेंगे। 

उन्होंने बताया कि यह माना जाता है कि भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को कोलकाता के ग्रीन पार्क में फहराया गया था। इसमें लाल, पीले और हरे रंग की तीन पट्टियां थीं, जिनके बीच में 'वंदे मातरम्' लिखा हुआ था, मतलब वंदे मातरम् भारत की आजादी का मूल मंत्र था। 

उन्होंने यह भी बताया कि 1917 में लोकमान्य तिलक एवं श्रीमती एनी बेसेंट के नेतृत्व में होमरूल आंदोलन चल रहा था। इसका मतलब था कि ब्रिटिश गवर्नमेंट के अंतर्गत स्वशासन का अधिकार भारत को मिले। होमरूल आंदोलन के प्रमुख भाग के रूप में एक नया झंडा अपनाया गया था।

मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम की संक्षिप्त जानकारी देते हुए महात्मा गांधी, बालगंगाधर तिलक, शहीदे आजम भगत सिंह, वीर सावरकर, चाफेकर बंधु, चंद्रशेखर आजाद, पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, नेता जी सुभाष चंद्र बोस के योगदान और जलिया वाला बाग सहित सविनय अवज्ञा आन्दोलन आदि पर प्रकाश डाला।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष को उत्साह पूर्वक मनाने के लिए लोगों को तिरंगा घर लाने और इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से "हर घर तिरंगा" अभियान आरंभ किया है। इसका उद्देश्य लोगों के दिलों में देश भक्ति की भावना जगाना और जन-भागीदारी की भावना से आजादी का अमृत महोत्सव मनाना है। उन्होंने कहा कि हम अपनी कमाई से राष्ट्रीय ध्वज खरीद कर फहराएँ।

मुख्यमंत्री ने तिरंगे की लंबाई-चौड़ाई के अनुपात, ध्वज को फहराते समय ध्यान रखने वाले बिंदुओं और भारतीय ध्वज संहिता की जानकारी देते हुए कहा कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज, भारत के लोगों की आशाओं और आकाँक्षाओं को दर्शाता है। यह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। जब भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहाँ से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे। जहाँ झंडे का प्रदर्शन खुले में किया जाता है या जनता के किसी व्यक्ति द्वारा घर पर प्रदर्शित किया जाता है, वहाँ उसे दिन एवं रात में फहराया जा सकता है। ध्वज को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। ध्वज फहराते और उतारते समय यदि बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि ध्वज को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय ध्वज के विकास क्रम के संबंध में विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने शासकीय बालक हाई स्कूल सोहागपुर शहडोल के श्री देव बैगा, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बॉयां जिला सीहोर की कुमारी सलोनी सोनी, मॉडल स्कूल भोपाल के श्री अनुज परमार तथा कुमारी सोनिया मीणा के प्रश्नों का समाधान भी किया।

 

 

 



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