मल्हार मीडिया।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल की प्रिंसिपल बेंच में बुधवार को प्रस्तुत एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर की संस्था आर्ट आॅफ लिविंग ने यमुना के डूब क्षेत्र को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। रविशंकर की संस्था ने पिछले साल 11 से 13 मार्च तक यमुना किनारे विश्व सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन किया था।
इस आयोजन से यमुना को हुए नुकसान को लेकर एनजीटी में एक याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने विशेषज्ञों की एक समिति से रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। समिति ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि कार्यक्रम से यमुना की पारिस्थितिकी को हुए नुकसान को ठीक करने में 13.29 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल मार्च में हुए इस महोत्सव की वजह से यमुना के डूबक्षेत्र में पनपने वाली जैव विविधता वहां से हमेशा के लिए गायब हो गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सबसे ज्यादा नुकसान उस जगह को पहुंचा है जहां पर रविशंकर ने अपना विशालकाय स्टेज लगवाया था।
जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने एनजीटी को बताया है कि यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बड़े पैमाने पर काम कराना होगा। समिति ने कहा, ऐसा अनुमान है कि यमुना नदी के पश्चिमी भाग (दाएं तट) के बाढ़ क्षेत्र के करीब 120 हेक्टेयर (करीब 300 एकड़) और नदी के पूर्वी भाग (बाएं तट) के करीब 50 हेक्टेयर (120 एकड़) बाढ़ क्षेत्र पारिस्थितिकीय तौर पर प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि अब यमुना किनारे की इस जमीन को उसी पुराने स्वरूप में वापस लाने की जरूरत है, जैसी वह कार्यक्रम से कुछ महीनों पहले तक थी।
गौरतलब है कि उक्त आयोजन के पहले ही एनजीटी में एक समिति द्वारा सिफारिश की गई थी इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा और श्रीश्री रविशंकर की सस्था को 100 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान करना चाहिए जिससे आयोजन से होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके। हालांकि एनजीटी ने इसे घटाकर पांच करोड़ रुपए कर दिया था। जिसे कि बड़ी मशक्कत के बाद श्रीश्री रविशंकर ने भरा था। एनजीटी ने रिपोर्ट पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है।
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