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प्रकृति दुनिया की सबसे बड़ी फार्मेसी है

खास खबर            Aug 03, 2022


आजाद सिंह डबास।


प्रतिवर्ष 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है। यह दिवस पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के संबंध में जागृति फैलाने के लिए मनाया जाता है ताकि विश्व को स्वस्थ रखा जा सके।

पृथ्वी की सुंदरता को बनाये रखने के लिए हमे इसके संसाधनों का ख्याल रखना होगा। इस दिवस को मनाने का प्राथमिक लक्ष्य उन वनस्पतियों और जीवों को बचाना है जिन पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस को मनाने का मुख्य उद्देष्य एक साथ आना और प्रकृति का समर्थन करना है। साथ ही साथ इसके दोहन से बचना है। प्रकृति का संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों का विवेक पूर्वक प्रबंधन और उपयोग है।

पृथ्वी ने हमें हवा, पानी, मिट्टी, खनिज, पेड़, जानवर, भोजन आदि जैसी जीने की बुनियादी आवश्यकताएं प्रदान की हैं।

इसलिए हमें प्रकृति को स्वच्छ और स्वस्थ रखना चाहिए। प्रकृति का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी बिगड़ती स्थिति के लिए औद्योगिक विकास सहित कई अन्य कारक जिम्मेदार हैं।

हम जो कुछ भी करते हैं, वह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रकृति को प्रभावित करता है। इसीलिए हमे किसी प्रकार का कदम उठाने से पहले यह सोचना चाहिए कि इससे प्रकृति पर कोई नकारात्मक प्रभाव तो नहीं पड़ेगा।

प्राकृतिक असंतुलन के कारण हम ग्लोबल वार्मिंग, विभिन्न बिमारियों, प्राकृतिक आपदाओं, तापमान में वृद्धि आदि जैसी विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

दुखद तथ्य यह है कि दुनिया भर में प्रकृति संरक्षण के लिए ’’इटरनेशनल यूनियन फाॅर कन्जर्वेशन आॅफ नेचर’’ जैसे महत्वपूर्ण संगठन होने के बावजूद भी हम प्रकृति को संरक्षित करने में कामयाब नहीं हो पाये हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 1992 में ब्राजील में विष्व के 174 देषों का ’’ पृथ्वी सम्मेलन ’’ आयोजित किया गया था।

इसके पश्चात वर्ष 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विष्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाए गये।

वस्तुतः प्रकृति के संरक्षण से ही धरती पर जीवन का संरक्षण हो सकता है अन्यथा मंगल ग्रह आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन चक्र भी एक दिन समाप्त हो जायेगा। पृथ्वी पर मनुष्य ने करीब विगत 60 लाख वर्षों में धीरे-धीरे विकास करते हुए वर्तमान स्थिति को प्राप्त किया है।

प्रकृति दुनिया की सबसे बड़ी फार्मेसी है। 50 प्रतिषत से ज्यादा एफडीए व्दारा प्रमाणित दवाएं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी प्राकृतिक उत्पाद से जुड़ी हैं।

आधुनिक दवाओं की खोज में विभिन्न सूक्ष्म जीव और पौधे सबसे बड़े स्त्रौत के रूप में सामने आये है। प्रकृति से छेड़-छाड़ पूरे दवा तंत्र को ही विपरीत रूप में प्रभावित कर सकता है।

एक्स्ट्रीम वेदर दुनिया के लिए अगला बड़ा संकट है। एक तरफ जहां लू एवं सूखे की घटनाएं साल दर साल रिकाॅर्ड तोड़ती जा रही हैं, वहीं अत्यधिक वर्षा और तूफान में दुनिया को डराना शुरू कर दिया है। इस साल यूरोप में गर्मी ने सारे रिकाॅर्ड तोड़ दिये।

ताइवान (41.4 से) और होंगकाॅग (38.1 से) में सबसे गर्म जुलाई महिने का तापमान रिकाॅर्ड किया गया है। यूरोप के उन देषों में जहां लू की कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, उनमें गर्मी के कई रिकाॅर्ड टूट गये। भारत में बारिश का पैटर्न भी बदल गया है।

भारत में वर्षा ने 2022 में कई रिकाॅर्ड तोड़ दिये हैं। इस वर्ष असम और मेघालय में मानसून में अब तक की सबसे अधिक बारिष (858 मिली.मी) दर्ज की है तो वहीं केरल में चौथी सबसे कम (308 मिली.मी) वर्षा हुई है।

1850 के बाद से पिछले 3 दषक क्रमषः पृथ्वी के सबसे गर्म दषक रहे हैं। 2050 तक पूरा आर्कटिक बर्फ से विहीन हो सकता है। 1901-2010 की अवधि के दौरान समुद्र स्तर में 0.19 वर्ग मी. की वृद्धि हुई है।

मानव के लालच के कारण आज पृथ्वी जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान के दोहरे संकट का सामना कर रही है।

हाँलाकि पृथ्वी के पास मानव आवश्यकताओं के लिए पर्याप्त संसाधन हैं लेकिन मानव जाति अपने लालच को पूरा करने के लिए लगातार उसका शोषण कर रही है।

गैर-पर्यावरण के अनुकूल मानव गतिविधियों से पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है।

मानव-जनित पर्यावरणीय खतरों ने न सिर्फ मानव जाति के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है अपितु लाखों अन्य प्रजातियों को भी खतरे में डाला है।

लेखक सेवानिवृत आईएफएस अधिकारी हैं।



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