मल्हार मीडिया।
मध्यप्रदेश के मंदसौर में गोली चलने से हुई किसानों की मौत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा की गई 1 करोड़ रूपये की घोषणा अब सरकार के गले की हड्डी बनती नजर आ रही है।कारण है मुआवजे में इतनी बड़ी राशि देने के लिये न तो सरकारी खजाने में बजट है, न कोई प्रावधान और न ही नीति नियम। पत्रिका समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार मदंसौर कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने 1 करोड़ की मुआवजा राशि देने से हाथ खड़े कर दिये हैं।
यह तो साफ जाहिर था कि मुख्यमंत्री ने जिस तरह मुआवजे की राशि बढ़ाई वह उनके द्वारा हड़बड़ी की गई घोषणा थी। लेकिन अब मुख्यमंत्री की यह घोषणा पूरी करने के लिये कलेक्टर सहित पूरे प्रशासन को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ेगा।
उन्होंने सीधे तौर पर राशि जारी न किये जाने का प्रस्ताव बनाकर भोपाल भेज दिया है और लिखा है कि उन्हें इतनी बड़ी राशि देने का अधिकार ही नहीं है। नियमानुसार जिला कलेक्टर सिर्फ 4 लाख रूपय तक की आर्थिक सहायता मृतकों के परिजनों को जारी कर सकता है। वह भी तब जब व्यक्ति की मौत सांप के काटने से दंगों के दौरान हुई हो।
गौरतलब है कि 6 जून को किसानों की मौत की खबर आते ही मुख्यमंत्री ने उनके परिवारों को 1—1 करोड़ की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी। दूसरे दिन मुख्यमंत्री सचिवालय से तत्कालीन कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह चेक जारी करने को कहा गया था। तब उन्होंने भी बजट का हवाला दिया था लेकिन स्वतंत्र कुमार सिंह से कहा गया कि फिलहाल राशि जारी की जाये और उसे दूसरी मदों में समायोजित किया जाये। उस समय कलेक्टर श्री सिंह ने प्रस्ताव तो बनाया मगर मगर राशि जारी नहीं की इसी दौरान उनका तबादला भी हो गया। उनके बाद श्री ओपी श्रीवास्तव कलेक्टर बनकर आये तो उन्होंने मुआवजा राशि न देने की बात लिखकर प्रस्ताव बनाकर भोपाल भेज दिया।
कलेक्टर द्वारा तरह का प्रस्ताव बनाने का कारण यह है एक सहायता राशि के बजट में इतनी राशि नहीं है और न ही इतनी राशि देने का नियम है। इसलिए अब मृतक किसानों के परिवारों को एक करोड़ की सहायता राशि देने के यह देखा जा रहा है कि कन मदों से राशि काटी जा सकती है। लेकिन यह हो भी गया तो बाद में आॅडिट में आपत्ति का भी संकट आ सकता है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में इससे पहले कभी भी इतनी बड़ी मुआवजा राशि का एलान न तो किया गया है न ही दी गई है इसलिए कोई नियम ही नहीं है। इसलिए अब इसके लिए कैबीनेट में प्रस्ताव भी लाया जा सकता है।
इनपुट पत्रिका
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