मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश शासन की ओर से एक ड्राफ्ट तैयार किया गया है।
इसके तहत शहरी इलाकों के प्रत्येक कॉलोनी और अपार्टमेंट में रहवासी सोसायटी यानि मोहल्ला पंचायतों का गठन अनिवार्य होगा।
इसे RWA (रेजिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन) कहा जाएगा।
इसे उसी प्रकार के अधिकार और बजट दिए जा रहे हैं जैसे कि ग्राम पंचायत को दिए जाते हैं।
सरकार की तरफ से विकास के लिए बजट मिलेगा और सोसाइटी सरकार के लिए काम करेगी।
कॉलोनी से प्रॉपर्टी टैक्स वसूली और बिजली के बिल की वसूली करेगी और अतिक्रमण के मामले देखेगी।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने रेसिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन की नई नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसे सीनियर सेक्रेटरी की कमेटी में भेजा गया है।
इस पर सहमति के बाद नई नीति को मंजूरी के लिए कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। इस ड्राफ्ट को पढ़ने के बाद यदि सरल शब्दों में कुछ कहा जा सकता है तो वह केवल यह है कि राज्य के शहरी क्षेत्रों में पंचायती राज की स्थापना की जा रही है।
RWA (रेसिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन) अब तक इंडिपेंडेंट बॉडी की तरह काम कर रही थी। अरे वासियों से मेंटेनेंस चार्ज कलेक्ट कर के कॉलोनी का मेंटेनेंस किया जाता था।
अब RWA को सरकार की तरफ से बजट मिलना शुरू हो जाएगा।
जैसे ग्राम पंचायत का नियंत्रण सरकार के हाथ में होता है ठीक उसी प्रकार रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का कंट्रोल भी सरकार के हाथ में रहेगा।
शहरों में अपार्टमेंट या कॉलोनी में रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए सोसायटी का गठन करेंगे।
इसे रेजिडेंस वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) कहा जाएगा, जो सोसायटी के रोजाना कामकाज से लेकर उसके संचालन की सारी जिम्मेदारी उठाएगा।
आरडब्ल्यूए के प्रावधान सोसायटी के लिए नियम की तरह होंगे। किसी भी मकान या फ्लैट मालिक के खिलाफ नियमों को तोड़ने पर कार्रवाई की जा सकेगी।
आरडब्ल्यूए मेंटनेंस, स्ट्रीट लाइट, पार्क, सिक्योरिटी, बिजली, पानी, सौंदर्यीकरण और पार्किंग जैसे सभी नियमित काम संभालेगी। इसका तय शुल्क रहवासी देंगे।
एसोसिएशन में 11 पदाधिकारी होंगे। इसका कार्यकाल दो साल का होगा। सबसे खास है कि पदाधिकारियों में 50 फीसदी महिलाओं को रखना होगा।
नगरीय विकास विभाग या नगर निगमों में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा।
मकान या फ्लैट बेचने के दौरान आरडब्ल्यूए से एनओसी लेना पड़ेगा। संपत्ति मालिक को आवेदन देना होगा। 15 दिन में एनओसी देना जरूरी।
शहर का मास्टर प्लान तैयार करने में टीएंडसीपी आरडब्ल्यूए के सुझावों को लेगा। एसोसिएशन गलत प्रावधान पर आपत्ति उठा सकेगा।
सोसायटी में विवाद पर सुनवाई के अधिकार अब एसडीएम के पास रहेंगे।
आरडब्ल्यूए के पास सोसायटी की सड़क, स्ट्रीट लाइट और फुटपाथ जैसे विकास के काम कराने के लिए एजेंसी को चुनने का अधिकार रहेगा।
आरडब्ल्यूए किसी भी हिस्से में अतिक्रमण नहीं होने देना होगा।
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