सिवनी मालवा से विपिन मालवीय।
एक ओर जहां साम्प्रदायिक वैमन्य और हिंसा के बादल गहराते दिख रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सलीम खान जैसे लोग मिसाल बनकर यह संदेश दे रहे हैं कि ईश्वर कहो या अल्लाह सब एक ही हैं।
सलीम को देखकर यही भजन याद आता है ईश्वर—अल्ला तेरो नाम..
वे नर्मदा परिक्रमा में ईश्वर की आराधना पूजन, भजन—कीर्तन के साथ कर रहे हैं और रोजों के साथ नमाज अता कर अल्लाह की इबादत भी कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के नासिक के रहने वाले सलीम खान तीन महीने से नर्मदा परिक्रमा कर रहे हैं। रमजान होने के कारण सलीम खान का पड़ाव सिवनी—मालवा स्थित नर्मदा मंदिर बना। जहां वे रोजा-इबादत के साथ भजन—कीर्तन भी कर रहे हैं।
सलीम ने बताया कि जब वे 11 वर्ष के थे तब आंधी की धूल उनकी आंख में चले जाने से आंख की रोशनी चली गई।
काफी इलाज के बाद भी उनकी आंखों की रोशनी वापस नहीं आई तो महामंडलेश्वर शांतिगिरी महाराज के कहने पर सलीम ने 21 दिन तक उपवास रखा और फिर 8 दिनों तक मौन धारण कर अनुष्ठान किया।
इसके बाद एक सुबह जैसे-जैसे भगवान सूर्य नारायण का आगमन होता गया उनकी आंखों की रोशनी भी वापस आ गई।
सलीम ने बताया कि वे वर्ष 2007 में भी नर्मदा परिक्रमा कर चुके हैं। ये उनकी दूसरी परिक्रमा
नासिक जिले के निफाड़ ताल्लुका अंतर्गत ग्राम खड़क मालेगांव के मुस्लिम परिवार में जन्मे सलीम का एक नर्मदा भक्त के तौर पर पारंपरिक वेश भूषा और श्रद्धा-भक्ति के साथ मां नर्मदा की परिक्रमा कर रहे है।
सूर्य नारायण के आगमन के साथ आ गई आंखों की रोशनी
सलीम ने बताया कि जब वे ग्यारह वर्ष के थे तब आंधी की धूल उनकी आंख में चले जाने से आंख की रोशनी चली गई। तमाम कोशिशें की, खूब इलाज कराया, लेकिन आंखों की रोशनी वापस नहीं आई।
एक दिन उन्हें गांव में ही रहने वाले जनार्दन गिरी के शिष्य ने अपने गुरुजी महामंडलेश्वर शांतिगिरी से मिलाया।
महाराज के कहने पर सलीम ने 21 दिन तक उपवास रखा और फिर 8 दिनों तक मौन धारण कर अनुष्ठान किया। इसके बाद एक सुबह जैसे-जैसे भगवान सूर्य नारायण का आगमन होता गया उनकी आंखों की रोशनी भी वापस आ गई।
सलीम ने बताया 14 वर्ष तक अंधे रहने के बाद जब उनकी आंखों की रोशनी आ गई तो उन्होंने शांतिगिरी महाराज से अपने नए नामकरण को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि तुम्हारा नाम नहीं बदला जाएगा। हमारे साथ रहते हुए भी तुम नमाज, रोजे के साथ अपने धर्म का पालन करते रहो। तुम अपने धर्म का पालन करने के साथ-साथ भजन कीर्तन करना चाहो तो कर सकते हो। तभी से वे अपने धर्म का पालन भी कर रहे है और मां नर्मदा का भजन कीर्तन भी।
तब से सलीम खान दोनों धर्मों के नियमों का पालन करते हुए ईश्वर की आराधना और अल्लाह की इबादत दोनों करते हैं।
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