मल्हार मीडिया ब्यूरो।
मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर परिसर में बने 19 छोटे-छोटे मंदिरों पर अवैध कब्जे का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है।
एक याचिकाकर्ता ने इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि मंदिर समिति के नियमों के खिलाफ कुछ लोगों ने इन मंदिरों पर कब्जा कर रखा है।
हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए महाकाल मंदिर समिति के अध्यक्ष और उज्जैन कलेक्टर को निर्देश दिया है। कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत पर कार्रवाई की जाए और तीन माह के भीतर अदालत को रिपोर्ट सौंपी जाए।
दरअसल, महाकाल मंदिर परिसर में कई छोटे-छोटे मंदिर हैं। इन मंदिरों में पूजन पाठ करने वाले पुजारी की नियुक्ति महाकाल मंदिर समिति के एक्ट के तहत होती है। लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि वर्ष 1982 के बाद से अब तक मंदिर में कोई भी नियुक्ति नियम अनुसार नहीं हुई है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि मंदिर परिसर में स्थित 19 छोटे-छोटे मंदिरों पर एक ही व्यक्ति का कब्जा है। इसके द्वारा ही अवैध लोगों से मंदिर का पूजन पाठ करवाया जाता है। यह मंदिर समिति एक्ट का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने महाकाल मंदिर के 40 मंदिरों के पुजारियों और 300 से ज्यादा कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध बताया है। उन्होंने पूछा कि ये नियुक्तियां किस आधार पर की गई हैं।
मंदिर समिति के एक्ट के मुताबिक नियुक्ति प्रक्रिया में विज्ञप्ति निकालना, आवेदन लेना, इंटरव्यू करना और प्रशासन-पुलिस से चरित्र सत्यापन कराना जरूरी है। इसके बाद ही मंदिर समिति नियुक्ति प्रमाण-पत्र देती है। लेकिन वर्तमान में यह प्रक्रिया पूरी तरह नजरअंदाज कर दी गई है।
याचिकाकर्ता सारिका गुरु पति जयराज चौबे ने दिनांक 20 जनवरी 2024, 5 फरवरी 2025 और 15 मार्च 2025 को कलेक्टर, मंदिर प्रशासक और संभागायुक्त को लिखित में शिकायत दर्ज की। उक्त शिकायतों पर जब कार्रवाई नहीं हुई तो शिकायतकर्ता ने 19 मई 2025 को हाई कोर्ट इंदौर में याचिका लगाई। जिस पर सुनवाई के बाद 1 सितंबर 2025 को आदेश जारी हुआ।
आदेश में यह लिखा गया कि उज्जैन कलेक्टर जो कि महाकाल मंदिर समिति के अध्यक्ष हैं। वह तीन माह के भीतर याचिकाकर्ता के आवेदन पर कार्रवाई कर न्यायालय और याचिकाकर्ता को अवगत कराए।
गौरतलब है कि उज्जैन का विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अधीन है। इस समिति के अध्यक्ष खुद जिला कलेक्टर हैं। वहीं, प्रशासक आईएएस अधिकारी है। इसके अलावा एसपी, एडिशनल एसपी, एडीएम, पुजारी और महापौर समिति के सदस्य हैं। महाकाल मंदिर को लेकर कोई भी निर्णय मंदिर प्रबंध समिति द्वारा दिया जाता है।
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