मल्हार मीडिया छतरपुर ब्यूरो।
मध्यप्रदेश छतरपुर जिलेके कलेक्टर परिसर में में एक बुजुर्ग किसान ने जहरीला पदार्थ खा लिया।
इस घटना के बाद वहां हड़कंप मच गया। आनन-फानन में कलेक्ट्रेट परिसर में उपस्थित अधिकारी बुजुर्ग को जिला अस्पताल ले गए। जहां उसे भर्ती किया गया।
फिलहाल बुजुर्ग जिला अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज किया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, छतरपुर जिले के हरपालपुर थाना क्षेत्र के बूंदी गांव के रहने वाले उमाकांत तिवारी सोमवार को छतरपुर कलेक्ट्रेट में छतरपुर कलेक्टर संदीप जे आर से अपनी समस्या सुनाने के लिए आये थे।
लेकिन उसे कलेक्टर नहीं मिल सके। जिससे परेशान होकर बुजुर्ग उमाकांत ने दोपहर 2 बजे कलेक्ट्रेट सभागार में ही जहरीला पदार्थ खा लिया।
बुजुर्ग की हालत बिगड़ते देख अधिकारी उसे जिला अस्पताल ले आए।
बुजुर्ग उमाकांत तिवारी की मानें तो वह पिछले कई सालों से अपनी जमीन के लिए भूमि सुधार का आवेदन देते आ रहे हैं लेकिन जिला प्रशासन ने अभी तक उनके आवेदन पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की है।
बुजुर्ग का कहना है कि वह अपने काम के लिए कलेक्ट्रेट में सुबह-सुबह आ जाते हैं और देर शाम तक घर जाते हैं। कई बार उन्हें रात भी हो जाती है।
लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी भूमि सुधार के आवेदन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
संबंधित मामले में जब हमने छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर को फोन लगाया तो उनका कहना था की उन्हें घटना की कोई जानकारी ही नहीं है।
बताया जा रहा है कि हरपालपुर के पास रहने वाला किसान उमाकांत तिवारी ने आज कलेक्ट्रेट में जहर खा लिया।
आनन-फानन में अपर कलेक्टर ने अपनी गाड़ी में बैठाकर जिला चिकित्सालय में उमाकांत को भर्ती करा दिया।
किसान की हालत फिलहाल खतरे से बाहर है।
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार उमाकांत तिवारी ग्राम बोनी का रहने वाला था और उसने वर्ष 2007 में एसएलआर के यहां बंदोबस्त के समय जमीन की अदला बदली का आवेदन दाखिल किया था।
जिस पर एसएलआर ने एसएलआर ने उसका आवेदन निरस्त कर दिया था।
इसकी अपील उसने अपर कलेक्टर के न्यायालय में में की थी परंतु अपर कलेक्टर ने भी एस एल आर का एसएलआर का आदेश यथावत रखते हुए अपील को खारिज कर दिया था।
कुल मिलाकर किसान बंदोबस्त के समय अपनी जमीन के बदले शासकीय जमीन चाहता था।
अपर कलेक्टर ने अपने आदेश 22/5 2010 में आदेश एसएलआर का यथावत करते हुए आदेश जारी कर दिया।
तब से लगातार एक किसान शासकीय जमीन पाने के लिए कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा रहा है हालांकि इस संबंध में राजस्व अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं।
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