मप्र में अनूठा नवाचार:बजट और आर्थिक सर्वेक्षण पर ग्राम सभाओं तक जनसंवाद कराएगी शिवराज सरकार

खास खबर            Mar 10, 2023


ममता यादव।

यह चुनावी साल है और सत्तापक्ष ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता कि कोई भी योजना या जानकारी जनता तक संवाद के स्तर तक न पहुंच पाए।

गौर किया जाए तो अबतक के इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि कोई सरकार बजट चर्चा और आर्थिक सर्वेक्षण जनसंवाद के लिए ग्राम सभाओं तक लेकर जाने की तैयारी में है।

इसकी पहल की है मध्यप्रदेश के नवाचारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने।

बजट और आर्थिक सर्वेक्षण पर संवाद की रूपरेखा कुछ ऐसी तैयार की गई है कि संभागीय मुख्यालयों से शुरू होकर ग्राम सभाओं तक पहुंचेगा।

हालांकि मध्यप्रदेश सरकार इसकी शुरूआत साल 2022 के बजट से कर चुकी थी, जब राज्य का बजट बनाने में जनता के सुझावों को शामिल करना आरंभ किया गया था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बजट बनाने में वर्ष 2023 में 4 हजार से अधिक सुझाव प्राप्त हुए, जिनमें से अधिकांश को राज्य के बजट में शामिल किया गया है।

अब बजट का क्रियान्वयन भी जन-भागीदारी के साथ करने के उद्देश्य से आर्थिक सर्वेक्षण और बजट पर जन-संवाद किया गया है।

बजट संवाद ग्राम सभाओं में करवाने के पीछे मुख्यमंत्री की मंशा है कि प्रदेशवासी बजट को समझें और उसके क्रियान्वयन तथा आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में अपना योगदान दें। 

सीएम शिवराज का कहना है कि अक्सर बजट बड़ा रूखा-सूखा विषय होता है,  जनता समझती है कि हमारा इससे क्या लेना-देना, यह तो विशेषज्ञों का काम है। हमारा प्रयास है कि बजट बनाने में भी जन भागीदारी भी होना चाहिए।

श्री चौहान का यह भी मानना है कि आर्थिक सर्वेक्षण के तथ्य तेजी से बढ़ते मध्यप्रदेश की तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। उनका कहना है कि आर्थिक सर्वेक्षण से स्पष्ट होता है कि सही दिशा में दूरदर्शी सोच के साथ प्रयास किए जाएँ तो कठिनाइयों को भी कामयाबी में बदला जा सकता है।

मुख्यमंत्री का मानना है कि इस साल का जो बजट है, वो हमारे कुशल वित्तीय प्रबंधन की तरफ इशारा करता है। अब हम तीन लाख करोड़ के क्लब में शामिल हो गए हैं, इस साल हमारा बजट 3,14,025 करोड़ का है। हमारा राजकोषीय घाटा 55,709 करोड़ रुपये अनुमानित है, जो हमारे जीएसडीपी के 4% की सीमा में है, जो भारत सरकार अलाऊ करती है।

मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जिसने डिपार्टमेंट ऑफ हैप्पीनेस बनाया। शरीर, मन और बुद्धि के साथ आत्मा का सुख जरूरी है, इसके लिए हमने महाकाल महलोक बनाया, आचार्य शंकर का स्टेच्यू ऑफ वननेस बन रहा है, सलकनपुर में देवीलोक बन रहा है।

मुख्यमंत्री ने अपना मंतव्य व्यक्त करते हुए कहा कि मेरा विचार है कि हम बजट पर भी सभाएँ करें और गाँव के लोगों को भी बजट समझाएँ।

मुख्यमंत्री ने राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23, राज्य बजट 2023-24, सरकार की योजनाओं और उनके संभावित लाभों के संबंध में समाज के विभिन्न वर्ग, लाभार्थी और हितधारकों से संवाद कार्यक्रम में इस संबध में चर्चा की।

अटल बिहारी वाजपेई सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान तथा मध्यप्रदेश राज्य नीति एवं योजना आयोग द्वारा कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में संवाद श्रंखला का यह पहला कार्यक्रम है। प्रदेश के सभी संभागों में भी संवाद कार्यक्रम होंगे।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश की आर्थिक वृद्धि दर 16.43 प्रतिशत हो गई है। यह वर्ष 2001-02 में 4.43 प्रतिशत थी। राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 13 लाख 22 हजार 821 करोड़ रूपये अनुमानित है, जो वर्ष 2001-02 में 71 हजार 594 करोड़ था। यह 18 गुना प्रगति प्रदेश के लिए चमत्कार है।

प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2001-02 में 11 हजार 718 रूपये थी, जो वर्ष 2011-12 में 38 हजार 497 हुई और वर्ष 2022-23 में इसके एक लाख 40 हजार 583 रूपये होने का अनुमान है। हम इस प्रगति से अभी संतुष्ट नहीं है, प्रदेश को और भी आगे ले जाना है।

उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वे के आँकड़े बताते हैं कि अगर सार्थक प्रयास किये जाएँ, तो चुनौतियों को कामयाबी में बदला जा सकता है।

हमारी आर्थिक विकास दर 18% के पार थी, इसके ऊपर इस बार हमने 16.4% की दर अर्जित की है। 2001-02 में तो यह केवल 3-4% थी।

2002-03 में सकल घरेलू उत्पाद 71 करोड़ के आसपास था। 2022-23 में हमारा सकल घरेलू उत्पाद 13,22,821 करोड़ रुपये है।

पर कैपिटा इनकम 2002-03 में 11 हजार रुपये थी, 2022-23 में यह 1,40,583 रुपये हो गई है। मैं अभी संतुष्ट नहीं हूँ, हमें और आगे जाना है।

कई बार आरोप लगाया जाता है कि कर्ज ले लिया लेकिन ऋण लेने के कुछ मापदंड होते हैं, कुछ आधार होते हैं। 2005 में ऋण जीएसडीपी का अनुपात था 39.5%, लेकिन 2020-21 में यह घटकर 22.6% हो गया।

एक इन्डिकेटर होता है कि कैपिटल एक्सपेन्डिचर क्या है। कोविड के कठिन समय में भी हमारा पूंजीगत व्यय 45,685 करोड़ था। जीएसटी में इस साल 22% की वृद्धि दर्ज की गई, हम देश के टॉप 5 प्रदेश में हैं।

किसानों को ऋण में 30.1% और MSME को ऋण में 30.2% की वृद्धि हुई है। 2001-02 तक कृषि विकास दर केवल 3% थी, अब बढ़कर 19% हो गई है।

2013-14 में गेहूं उत्पादन 174.8 लाख मीट्रिक टन था, 2022-23 में यह बढ़कर 352.7 लाख मीट्रिक टन हो गया। गेहूं के एक्सपोर्ट में हमने 46% की वृद्धि हासिल की।

धान का उत्पादन 53.2 लाख मीट्रिक टन था, जो बढ़कर 131.8 लाख मीट्रिक टन हो गया।

जब हमने सरकार संभाली, तब सिंचाई क्षमता साढ़े 7 लाख हेक्टेयर थी, हमने इसे बढ़ाकर किया 45 लाख हेक्टेयर।  औद्योगिक विकास दर -0.6% थी, जो 2022-23 में बढ़कर 24% हो गई।

 

 

 



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