उमरिय से सुरेंद्र त्रिपाठी।
उमरिया जिला अस्पताल में दोपहर से एक आदिवासी महिला अपने मृत पति का पोस्ट मार्टम करवाने के लिए भटकती रही। ड्यूटी डॉक्टर ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और साथ में पुलिस भी होती रही परेशान। बाद में सिविल सर्जन ने पीएम करवाने का आश्वासन दिया।
मध्यप्रदेश के उमरिया जिला अस्पताल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली से रिफर होकर आये आग से जला हुआ 45 वर्षीय आदिवासी ने 2 दिन में दम तोड़ दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार पाली नगर के रहने वाले राजा सिंह गौड़ ने किन्ही कारणों से 7 जुलाई को खुद को आग ली थी। उसकी पत्नी विमला बाई ने उसे पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भरती करवाया।
वहां 2 दिन रखने के बाद उसे उमरिया जिला अस्पताल रिफर कर दिया गया यहाँ भी दो दिन ईलाज के नाम पर खाना पूर्ती होती रही। आखिरकार आज दोपहर में लगभग 12 बजे राजा सिंह की मौत हो गई और पुलिस को सूचना मिलते ही शव पंचनामा की कार्यवाही करके 2 बजे दिन डाक्टर से पोस्ट मार्टम करने के लिए कहा गया। पाली अस्पताल से यहाँ रिफर कर दिया था लेकिन यहाँ ठीक से इलाज नहीं हुआ और आज दोपहर को उनकी मौत हो गई। पुलिस ने अपना काम कर दिया लेकिन अस्पताल में कोई सुनने वाला नहीं है।
वहीं अस्पताल चौकी प्रभारी का भी कहना है कि हमने दोपहर को पंचनामा करके डाक्टर को सूचना दे दी थी लेकिन दिन के 2 बजे से शाम के 6 बजे तक पोस्ट मार्टम नहीं हुआ औरअगर पोस्ट मार्टम नहीं होगा तो शव रात भर यहीं पड़ा रहेगा।
इस मामले में जब जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डाक्टर एस आर कानस्कर से बात किया गया तो वो बिलासपुर से आई टीम के साथ रहने का बहाना बनाते हुए कहे कि हमको नहीं मालूम था हम अभी पोस्ट मार्टम करवाते हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश के मुख्य मंत्री आदिवासी हित के बड़े बड़े दावे करते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आता है। सरकार के नुमाईन्दे ही चूना लगाने में लगे हैं। अपने पति के पोस्ट मार्टम के लिए अकेली गरीब आदिवासी महिला भटकती फिरे और डियूटी डाक्टर बहाने बनाती फिरें, ऐसे में आवश्यकता है कड़ी कार्यवाही की।
Comments