Breaking News

ज़रखरीदों की जुबानें नहीं हिल सकतीं,पूंछें जरुर हिल सकती हैं

खास खबर            Apr 29, 2017


राजेश शर्मा।

योजनाओं और विकास की सक्शन मशीन बुदनी में।
सरकार की तमाम योजनाएं और विकास कार्यों की जो सक्शन मशीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सालों पहले बुदनी में लगाई थी वो दूर-दूर से सब योजनाएं खींच लाई है। बड़ी ओरिजिनल मशीन थी, लगता है देशी नहीं विदेश से आयात कराई थी। इस मशीन का काम जिस ईमानदारी से आज भी जारी है उसे देख शक की कहीं भी गुन्जाईश नहीं कि वो सीहोर जिले की अन्य विधानसभाओं के भी खींचकर विकास कार्य . . . बुदनी में डाल देगी। बुदनी से कोई किसी को दुश्मनी नहीं है साहब, लेकिन बुदनी जैसा ही बर्ताव हर विधानसभा के साँथ किया जाए!

शिवराज समझ लें अच्छी तरह मैथिलीशरण गुप्त की इस एक पंक्ति को
फूल डाली का नहीं उपवन का श्रंगार होता है । तुम वो कर रहे हो जो तुमसे पहले भी कई मुख्यमंत्री कर चुके हैं। भूल गए क्या इस जाग्रत राष्ट्र की जनता ने मौका आया था तो इन्दिरा गाँधी और अटलबिहारी वाजपेयी तक को भी सबक सिखाया था।

मेरे इस लेख का एक भी कथन राजनीति से प्रेरित नहीं है। अलबत्ता प्रदेश हित से जरुर जुड़ा है। तुम्हारे ही सीहोर जिला मुख्यालय ने लोक निर्माण विभाग का संभागीय कार्यालय खो दिया, बुदनी मे शिफ्ट हो गया क्यों? यहाँ हर शख़्स को केटरेक्ट (मोंतियाबिंद) नहीं हुआ है,अच्छी तरह जान लो। कुछ आँखे बंद जरुर हैं लेकिन उन्हें खोलने वाले वैद्य अभी जिंदा हैं।

10-10 एकड़ की 93 कालोनियों का निर्माण नसरुल्लागंज मे क्या वजूद मिटाने निकले हो कृषि भूमियों का ? खेती को बनाने निकले हो लाभ का धंधा कालेज ऐसे खोले जैसे विद्यार्थियों की सामूहिक "शिक्षा दान योजना चला रहे हो" चपरासियों से कालेज में अध्ययनरत विद्यार्थियों के छै सेमेस्टरी फेरे पड़वा रहे हो!

शासन के माडल स्कूल दुर्दशा का माडल बन गए हैं . . .। तीन-तीन करोड़ की लागत से बनी बिल्डिंगे धूल चाट रही हैं...। मुख्यमंत्री प्रदेश का होता है साहब एक अपने क्षेत्र का नहीं...। इसके बल पर आप अपने क्षेत्र से चुनाव जीत सकते होता है... प्रदेश से नहीं।

सीहोर जिला मुख्यालय पर निर्मित एक रोड सैकड़ाखेड़ी और उस जैसी सैकड़ों रोड बुदनी विधानसभा में बनवा रहे हो सबको खरीद लिया क्या ? या सब अंधे हो गए? एक हजार करोड़ रुपयों की लागत से चल रहा बुदनी विधानसभा के सड़कों का निर्माण कार्य तुम्हें तो तसल्ली दे सकता है, लेकिन तुम्हारी या अन्य किसी राजनीतिक पार्टी के विधायक को नहीं।

कटु सत्य है ये मैं जानता हूँ...! ज़रखरीदों की जुबानें नहीं हिल सकती...! अलबत्ता पूंछें जरुर हिल सकती हैं, जो हिल रही हैं ...! सबको दिख रही हैं।

अनगिनत स्टाप-डेम...वहाँ "नर्मदा" का पेयजल...यहाँ "नाले" का भी नहीं !
भूल गए इतिहास को क्या? जरखरीदों ने ही "राजा" को गुमनाम किया है।



इस खबर को शेयर करें


Comments