बांदा से आशीष सागर।
उत्तरप्रदेश के बाँदा / बुन्देलखण्ड की चटियल धरती में हर एक विधानसभा सीट पर ' आधे में अध-घर आधे में सब घर ' का फासला लेकर बीजेपी ने निकटतम प्रत्याशी का सूपड़ा साफ़ किया। जहाँ आधे का अंतर नहीं रहा वहां जो ईवीएम मशीन में दबा वो उबरा नहीं। झाँसी की गरोठा सीट से बाहुबली दीपनारायण यादव ( चुनाव प्रबंधन में माहिर ) को किसान नेता जवाहर लाल राजपूत ने हरा दिया। झाँसी मंडल में जवाहर की जीत और चित्रकूट मंडल में बीजेपी से कंडम प्रत्याशी ब्रजेश प्रजापति ( बसपा छोड़कर टिकट के लिए स्वामी प्रसाद मौर्या के साथ भगवा हुए ) का 39,046 हजार वोट से जीतना जो शायद जिले की वार्ड सदस्यी न जीत सकता हो।
ब्रजेश का हाल ये था उसके विरोध में जिला बीजेपी इकाई ने खुलकर मोर्चा खोला,विरोध प्रदर्शन भी हुए.आज भी इस व्यक्ति को तिंदवारी के कई गाँव पहचानते नहीं होंगे। लेकिन एकतरफा जीत मिली। वही राठ - हमीरपुर से मनीषा अनुरागी का रिकार्ड करीब एक लाख वोट से विजय होना जनता में भाजपा के बुखार को दिखाता है। जवाहर को उसके क्षेत्र के लोगों ने चंदा जुटाकर चुनाव लड़वाया है। झाँसी का पूरा मीडिया दीपनारायण की पाजेब था बावजूद इसके जवाहर का पटखनी देना बड़ी शानदार जीत है ! देवबंद में 80 से 90 फीसद मुस्लिम समुदाय है वहां भी जिस तरह कमलमय माहौल हुआ है अपने आप में अथिश्योक्ति पूर्ण जनादेश है।
नेताजी मुलायम,सीएम,डिम्पल यादव का अपर्णा के लिए वोट की गुहार करना उसके बाद ऐसी स्थिति से प्रदेश में चुनाव की हवा को प्रिंट पत्रकार भाई समझ नहीं पाए ! बुन्देलखण्ड के चित्रकूट-मानिकपुर- पाठा के टेढुआ गाँव में प्राथमिक स्कूल की इस बिटिया को जब बीते चुनावी दौरे में मैंने इस कमल निशान के साथ कक्षा में देखा था तो उपस्थित समूह से यही गुफ्तगू हो रही थी कि मोदी का बुखार कितना जोर पकड़ रहा है यह तस्वीर बहुत है। बीहड़ की इस सीट से दलबदलू आरके पटेल का संपत को हराना अपने आप में अचरज ही है। बाँदा जिले की चारों सीट पर कमल खिला है।
नेता प्रतिपक्ष / बसपा के गयाचरण दिनकर नरैनी सीट में बीजेपी के राजकरन कबीर से बुरी तरह हारे है। कमल की शराब में हाथी मदहोश हुआ तो साइकिल हाथ लगाये अपनी इज्जत बचाने में जुटी रही। बुन्देलखण्ड ने बीजेपी को उसकी आशा से अधिक जनादेश दिया है. ऐसे में पीएम मोदी का यह कहना कि सरकार बनते ही पहली बैठक में किसान का कर्जा माफ़ किया जायेगा अब देखने वाली बात है।
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