मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश की सड़कें इन दिनों खराब स्थिति के कारण चर्चा में हैं। बड़े हादसों से लेकर छोटी घटनाओं तक की जांच में कारण खराब सड़कों को पाया गया है।
पर अब सड़कों को लेकर केंद्रीय मंत्री की माफी, राज्य सरकार के मंत्रियों के बयान और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नाराजगी चर्चा में है।
एक तरफ दो हफ्ते पहले मुख्यमंत्री की भोपाल की सड़कों को लेकर नाराजगी चर्चा में है वहीं दूसरी तरफ मंडला में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी द्वारा सड़क ठीक से नहीं बनाए जाने के कारण मांगी गई माफी भी चर्चित हो रही है।
अलावा इसके मध्यप्रदेश सरकार के दो मंत्रियों के बयान जो कि बिल्कुल विरोधाभासी हैं। दरअसल पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा था कि धन की कमी से मरम्मत में देरी हो रही है।
मंत्री गोपाल भार्गव ने 9 नवंबर को कहा था कि बजट आवंटित होते ही सड़कों की मरम्मत करा दी जाएगी। अभी पैसा नहीं है, लेकिन हम काम करवाएंगे। जून से पहले 8 महीने में हम भोपाल की सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त कर देंगे।
तो वहीं राज्य के नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सड़क मरम्मत के लिए धन की कमी के भार्गव के दावे का खंडन किया और कहा कि राज्य सरकार के पास पर्याप्त धन है।
भोपाल जिले के प्रभारी भूपेंद्र ने गुरुवार को कहा कि मुझे पता है कि जहां भी बजट की जरूरत है, वहां वह उपलब्ध है।
श्री सिंह से जब प्रतिप्रश्न किया गया कि नेताओं के बयानों में अंतर क्यों है, उन्होंने कहा नगर निगम की सड़कें और पीडब्ल्यूडी सड़कें अलग हैं।
प्रमुख कैबिनेट मंत्रियों के अलग-अलग बयानों और सरकार के बार-बार आश्वासन के बावजूद राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश की सड़कों की हालत खराब है।
गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान ने दो हफ्ते पहले ही भोपाल में सड़कों की जर्जर हालत के लिए अधिकारियों पर रोष व्यक्त किया था।
शहर में सड़क पर जानलेवा गड्ढों को देख उन्होंने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और इनकी मरम्मत के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश दिए थे।
श्री चौहान के निर्देशों का पालन करते हुए लोक निर्माण विभाग और भोपाल नगर निगम हरकत में आया और एक सप्ताह के भीतर उस विशेष खंड की मरम्मत की गई।
हालांकि कई अन्य सड़कें, जो इस वर्ष अधिक वर्षा के कारण क्षतिग्रस्त हो गईं या अन्य जिनकी पिछले कई वर्षों से मरम्मत नहीं की गई थी उनकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया गया।
दिलचस्ब बात यह है कि कि मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री इस मुद्दे पर अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग बयान दे रहे हैं और वादा भी करते रहे हैं जल्द से जल्द सड़कों की मरम्मत की जाएगी।
मुख्यमंत्री द्वारा खराब सड़कों की जल्द से जल्द मरम्मत करने के स्पष्ट निर्देश देने के बावजूद सड़कों की मरम्मत नहीं हो रही है। भोपाल ही नहीं कुछ स्टेट हाईवे की भी हालत खस्ता है।
खराब सड़कें गंभीर हादसों का कारण बन रही हैं। 21 अक्टूबर को रीवा जिले के सोहागी पहाड़ में एक बस के यू-टर्न पर पलट जाने से 15 लोगों की मौत हो गई थी।
यह राजमार्ग प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) और रीवा (मध्य प्रदेश) को जोड़ता है। एक जांच दल ने घटना स्थल केद दौरे के दौरान, जहां बस दुर्घटना हुई थी खराब सड़क खराब स्थिति और उसकी डिजाइन को जिम्मेदार ठहराया था।
हालांकि बाद में राज्य सरकार ने उस सड़क को बनाने वाली फर्म को क्लीन चिट दे दी थी।
मध्य प्रदेश की सड़कें उस दौरान अधिक चर्चा में आ गईं, जब केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले हफ्ते मंडला जिले में एक सभा को संबोधित करते हुए सड़क की खराब गुणवत्ता के लिए माफी मांगी।
मंडला में 1,261 करोड़ रुपये की पांच सड़क परियोजनाओं के उद्घाटन के दौरान दिए गए भाषण में गडकरी ने कहा था कि मुझे दुख है और मुझे गलती के लिए माफी मांगने में कोई दिक्कत नहीं है।
मैं 63 किलोमीटर लंबी सड़क की स्थिति से संतुष्ट नहीं हूं। मंडला-जबलपुर राजमार्ग पर बरेला से मंडला खंड, जिसे 400 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया था, उसकी गुणवत्ता खराब थी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया है कि 2003 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से राज्य सरकार ने तीन लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया है।
लोक निर्माण विभाग के अनुसार कम से कम 20 राष्ट्रीय राजमार्ग मध्य प्रदेश से होकर गुजरते हैं जिनकी लंबाई 4,000 किमी और कई राज्य राजमार्गों की लंबाई 9,000 किमी है।
इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य को केंद्र से कई राजमार्ग परियोजनाएं भी मिली हैं, जिसमें प्रस्तावित नर्मदा एक्सप्रेसवे भी शामिल है।
गौरतलब है कि 2018 में केंद्र के साथ राज्य सरकार ने विश्व बैंक के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क संपर्क विकसित करने के लिए संयुक्त परियोजना शुरू की गई थी।
अब ऐसी स्थिति में सवाल यह उठता है कि असल दोषी है कौन स्वयं खराब सड़कें या सरकार का सिस्टम जिसके मंत्रियों के बयानों में ही विरोधाभास है मगर आश्वासन में कोई कमी नहीं है। तब तक जनता गड्ढे झेलती रहे।
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