बांदा उत्तरप्रदेश से आशीष सागर।
प्रभारी कमिश्नर जिलाधिकारी बाँदा डाक्टर सरोज कुमार ने एडी बेसिक को दी जाँच
अधिकारी गुरेह के प्राथमिक स्कूल पहुंचे तो काजू-किसमिस से हुआ स्वागत
अभिवावक और बच्चों ने खोली पोल लेकिन एडी बेसिक नजरुद्दीन अंसारी लीपा-पोती करते दिखे
बोले निलंबन सजा नहीं होती उससे बड़ी कार्यवाही की जाएगी...चेतवानी देकर छोड़ना।
इस प्राथमिक चमचमाते स्कूल में पागल सूअर भी बंधते हैं।
प्राथमिक,जूनियर समेत 147 बच्चों से वापस लिए गए थे स्कूली बस्ते
20 मई को सीएम योगी आदित्यनाथ का बाँदा दौरा था. जिले के चयनित गाँव गुरेह और महोखर को 24 घंटे में चमका दिया था। गाँव की बजबजाती सड़कें,उखड़े नाले और हेंडपंप सब दुरस्त जहाँ तक सीएम की निगाह जा सकती थी। यही कुछ जिले में विकास भवन, कलेक्ट्रेट समीक्षा बैठक परिसर, मुख्य सड़कों के साथ कारित हुआ। यहाँ तक की पुलिस लाइन ग्राउंड में मोबाइल बाथरूम तक बना दिए गए बावजूद इसके की कैम्पस में गेस्ट हाउस,मीटिंग हाल में प्रसाधन की सुविधा मौजूद है। ऐसा ही कुछ ड्रामा किया गया गाँव गुरेह के प्राथमिक,जूनियर स्कूल में।
सीएम का औचक निरीक्षण न हो जावे इसलिए बच्चो को काफी कुछ रटाकर उन्हें नए बस्ते दिए गए...जूनियर बालक में 62,कन्या जूनियर में 45,प्राथमिक स्कूल में 40 बच्चो को बस्ते दिए गए थे जिनके फटे थे। लेकिन सीएम के जाने के बाद उन बच्चों से ये बस्ते वापस ले लिए गए....ये मामला तूल पकड़ा और जागरण के सौरभ तिवारी- बाँदा ने सबसे पहले खबर लिख दी...प्रशासन में हडकंप मच गया और जिला अधिकारी को संज्ञान लेना पड़ा...आज भी समाचार पत्र ने प्रमुखता से इस प्रकरण को लिखा है यहाँ तक कि बीते 23 मई को इस पर देवरिया शहीद एसी घटना से जोड़कर संपादकीय लिखी गई ।
प्रभारी कमिश्नर डाक्टर सरोज कुमार ने एडी बेसिक झाँसी जाँच के आदेश दिए थे..आज एडी बेसिक नजरुद्दीन अंसारी प्राथमिक स्कूल पहुंचे तो उन्हें अध्यापकों ने काजू- किसमिस से नास्ता कराया...बिसलरी की बोतल के साथ। मौके पर मीडिया और हम कुछ साथी ये तमाशा देख रहे थे....बच्चों के साथ अभिवावक ने मुंह खोलकर सब बयां कर दिया लेकिन जाँच अधिकारी लीपा पोती करते दिखे, उन्हें लगा कि निलंबन बड़ी सजा नहीं है अलबत्ता ज़िम्मेदार अध्यापकों को कड़ी चेतवानी देकर छोड़ा जा सकता है..ऐसा उन्होंने मौखिक बयान दिया। बकौल शिव भवन मिश्र,कुलदीप सनी,अन्नू पेंटर आदि ने ये आरोप लगाये है कि सीएम का आदेश नही था तो बस्ते देकर वापस क्यों लिए गए ?
बच्चो में शिवचरण,वंदना देवी,क्रांति,शैलेन्द्र और सियारानी ने अपनी बात कही। उधर स्कूल में अन्ना सूअर ( गाँव वाले कहे पागल है ) बंधा था इस पर अधिकारी चुप रहे।
गौरतलब है बाँदा समेत बुन्देलखण्ड के प्राथमिक स्कूल में बच्चो का मध्याह भोजन खाने वाले,ड्रेस घपलेबाज अध्यापक जब अधिकारी को काजू-किसमिस से नास्ता करवाते है तब सीएम योगी जी इस ब्यूरोक्रेसी पनपे भ्रस्टाचार का ढोल खुद बजने लगता है। कैसे सुधेरगा यूपी? कैसे बदलेगा इनका रवैया ? आपको सीएम योगी बाँदा के बीहड़ फतेहगंज भी जाना चाहिए वहां और अंधेर है कमबख्त स्कूल ही नहीं खुलते।
तस्वीर सहित बाँदा गुरेह से.......!
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