मल्हार मीडिया ब्यूरो।
केंद्र सरकार ने गैर-सरकारी संगठनों (NGO) पर कड़ी कार्रवाई करते हुए 20 हजार विदेशी चंदा नियमन कानून लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। मंगलवार को गृह मंत्रालय ने एफसीआरए लाइसेंस की रिव्यू मीटिंग बुलाई, जिसमें ये फैसला किया गया। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई। सरकार की इस कार्रवाई के बाद अब सिर्फ 13 हजार एनजीओ कानूनी रूप से मान्य हैं।
सूत्रों का कहना है कि इससे संकेत मिलता है कि गृह मंत्रालय सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाना चाहते है। मंत्रालय ने इस साल 50 प्रतिशत से ज्यादा एनजीओ पर कार्रवाई करते हुए उनका एफसीआरए लाइसेंस रद्द किया है। 33 हजार में से पिछले 1 साल में गृह मंत्रालय ने 20000 एफसीआरए लाइसेंस रद्द किए गए हैं।
हालांकी सूत्रों का मानना है की एनजीओ के श्रेणीकरण से लाइसेंस की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की कोशिश है। इसी के मद्देनजर लगभग 3000 संस्थाओं की लाइसेंस रिन्यू करने की ताजा अर्जी मिली है। इसके अलावा 2000 संस्थान है जो पहली बार फॉरेन फंडिंग के लाइसेंस के लिए कतार में लगे हैं। उन पर भी गृह मंत्रालय काम कर रहा है। यहीं नहीं कुछ ऐसी भी गैर सरकारी संस्थान हैं, जिन्होंने पहले से अर्जी लेकर फॉरेन फंडिंग लेने कि एप्लिकेशन गृह मंत्रालय में डाली है, इनकी संख्या 300 है। गृह मंत्रालय की कोशिश है कि इस पूरी प्रक्रिया को आसान बनाया जाए इसके साथ ही इसमें कोई चूक की गुंजाइश ना हो।
गौरतलब है कि पहले ही गृह मंत्रालय पर इस मसले को लेकर भेदभाव के आरोप लग चुके हैं। तीस्ता सीतलवाड़ की सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस और जाकिर नायक की इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को स्वत: मंजूरी मिलने पर मंत्रालय की किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में इस कदम से विवादों में घिरे गृह मंत्रालय द्वारा अपनी साख बचाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
 
                   
                   
             
	               
	               
	               
	               
	              
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