भोपाल से प्रवेश गौतम।
प्रभु का आदेश है कि नेतागिरी करो या नौकरी। यह कैसा आदेश हो सकता है पर यह सच है कि रेलवे में ऐसा तुगलकी फरमान आ गया है। हाल ही में रेलवे बोर्ड के एक आदेश के बाद कर्मचारी, अब नेतागिरी नहीं कर सकते।
रेलवे बोर्ड के एक आदेश के अनुसार, कोई भी कर्मचारी जो रेलवे के संरक्षा व सुरक्षा से जुडा है वह अब नेतागिरी नहीं कर सकता। आदेश में कानपुर एवं छत्तीसगढ में हुए हादसे का हवाला देते हुए कहा गया है कि संरक्षा एवं सुरक्षा से जुड़े हर कर्मचारी को नौकरी पर ध्यान देना होगा और वह किसी भी कर्मचारी संगठन का पदाधिकारी नहीं हो सकता। हालांकि संगठन के सदस्य होने पर रेलवे को कोई आपत्ति नहीं होगी।
रेलवे ने इसके लिए 31 मार्च तक का समय सभी कर्मचारी नेताओं को दिया है।
(आदेश की प्रति है)
भोपाल रेल मंडल समेत देश भर के रेलवे कर्मचारी नेताओं में लगभग सभी मंडल अध्यक्ष व सचिव स्तर के उपर के पदाधिकारी इस आदेश के दायरे में आते हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कितने पदाधिकारी अपने पद से इस्तीफा देकर साधारण सदस्य बनते है। सूत्रों के अनुसार जानकारी प्राप्त हुई है कि कर्मचारी नेताओं में एक भी रेलवे में अपना काम नहीं करता और अधिकारियों को अपना रौब बताकर ठेकेदारी शुरु कर देता है।
पश्चिम मध्य रेलवे के टीके गौतम, फिलिप ओमन, राजेश पांडे, अशोक शर्मा समेत समस्त पदाधिकारी इस आदेश के दायरे में आते हैं।
प्रभु की जो इच्छा।
संपर्क: 9425079785
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