मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश विधानसभा में हंगामे के कारण हालांकि अनुपूरक बजट कई वर्षों से बिना चर्चा के पास होता रहा है, कई विधेयक बिना किसी विचार-चर्चा के पेश और पास होते आए हैं।
लेकिन इस बार के वार्षिक बजट सत्र में उम्मीद थी कि बजट चर्चा के बाद ही पास हो पाएगा लेकिन उम्मीद के विपरीत आज मंगलवार 20 मार्च को बजट सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया और 3 लाख 14 हजार 24 करोड़ रुपये का वर्ष 2023-24 का बजट अनुदान मांगों पर चर्चा के बिना पास हो गया।
संसदीय कार्य मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा के प्रस्ताव पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने सभी विभागों की अनुदान मांगों को एक साथ प्रस्तुत करते हुए सदन से पारित करने का अनुरोध किया।
विपक्ष ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए बहिर्गमन किया। अध्यक्ष गिरीश गौतम ने प्रक्रिया पूरी कराई और बजट पारित हो गया।
अविश्वास प्रस्ताव को सदन द्वारा अस्वीकार करने के बाद संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि कुछ विभागों को छोड़ दें तो सभी विभाग अभी बचे हुए हैं।
सत्र की अवधि कम बची है, इसलिए प्रस्ताव है कि सभी मांगों को एक साथ प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाए, इसे अध्यक्ष ने स्वीकार किया।
इसके बाद वित्त मंत्री ने सभी विभागों की अनुदान मांगों को प्रस्तुत कर विनियोग विधेयक रखा। सदन का मत लेने के बाद इसे पारित कर दिया गया। बजट वर्ष 2022-23 की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक है।
चुनावी वर्ष में सरकार ने बजट के माध्यम से सभी वर्गों को साधने का प्रयास किया है।
लाड़ली बहना सहित कुछ नई योजनाएं प्रारंभ करने की घोषणा भी की गई है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष डा.गोविंद सिंह और लक्ष्मण सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार गंभीर विषयों पर चर्चा से भाग रही है, इसलिए बिना चर्चा ही बजट पारित करा दिया।
अब जनता की अदालत में सभी मुद्दों को लेकर जाएंगे और सरकार की वास्तविकता बताएंगे।
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