कांग्रेस ने बदली रणनीति,16 क्षत्रपों को क्षेत्र से अलग जिलों का प्रभार दिया

मध्यप्रदेश            Apr 20, 2023


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपने बड़े 16 नेताओं को प्रदेश के अलग-अलग जिलों का प्रभार दे दिया है।

कांग्रेस इस बार अपनी परंपरागत रणनीति से हटकर के अलग रणनीति पर चल रही है।  

पहले देखा जाता था कि कांग्रेस अपने क्षत्रपों को उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों की पूरी जिम्मेदारी दे देती थी

लेकिन इस बार उससे हट के प्रदेश के इन बड़े नेताओं को अलग-अलग अंचलों की जिम्मेदारी दी है,इसमें सामाजिक समीकरण का खासा ध्यान रखा गया है राजनीतिक जानकार इसे कांग्रेस का बड़ा वा साहसिक कदम बता रहे हैं। उनका मानना है यह रणनीति कांग्रेस के लिए अच्छी साबित हो सकती है!खैर यह तो वक्त ही बताएगा!

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को सागर,छतरपुर,निमाड़ी,टीकमगढ़ की जिम्मेदारी दी गई है यह यादव बाहुल्य क्षेत्र है अरुण यादव की गिनती प्रदेश के बड़े यादव नेताओं में की जाती है कांग्रेस पार्टी इसका लाभ उठाना चाहती है।

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को ग्वालियर,दतिया,शिवपुरी की जिम्मेदारी दी गई है इन अंचलों में क्षत्रिय मतदाताओं का खासा प्रभाव देखा जाता है।

विंध्य क्षेत्र के प्रमुख जिले रीवा,सिंगरौली,सीधी,कटनी की जिम्मेदारी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचौरी की दी गई है यह ब्राह्मण बाहुल्य जिले हैं यहां ब्राह्मणों का खासा प्रभाव देखा जाता है।

वहीं जीतू पटवारी को सतना,रायसेन,पन्ना,दमोह की जिम्मेदारी दी गई है। जीतू पटवारी अपनी आक्रामक शैली के लिए जाने जाते हैं।

विन्ध्य में तो उनके समर्थकों की एक लंबी फौज देखी जाती है,वहीं जयवर्धन सिंह को इंदौर,उज्जैन की जिम्मेदारी दी गई है।

यहां दिग्विजय सिंह के समर्थकों की अच्छी खासी तादाद है,वही केपी सिंह पिछोर को विदिशा,गुना,अशोकनगर की जिम्मेदारी दी गई है।

गुना,अशोकनगर सिंधिया के प्रभाव वाले जिले है सिंधिया व केपी सिंह का राजनीति मे 36 का आंकड़ा बताया जाता है दोनो वर्षों से अपने स्वाभिमान व वर्चस्व की लड़ाई एक दूसरे से लड़ रहे हैं।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को आदिवासी जिले बड़वानी व खरगोन की जिम्मेदारी दी गई है।

यहां आदिवासी मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी तादाद में है और कांतिलाल भूरिया आदिवासियों के बड़े नेता माने जाते हैं।

वहीं मीनाक्षी नटराजन को अलीराजपुर,झाबुआ,आगर की जिम्मेदारी दी गई है।

प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के प्रभाव वाले जिले छिंदवाड़ा,बैतूल,हरदा,नर्मदापुर की कमान सज्जन सिंह वर्मा को दी गई है। वह प्रदेश में कमलनाथ की विश्वास पात्रों में गिने जाते हैं ।

अपने बयानों से वह अक्सर प्रदेश की सुर्खियों में बने रहते हैं,वही दलित राजनीति के बड़े चेहरे फूल सिंह बरैया को शिवपुर,भिंड मुरैना की जिम्मेदारी दी गई है फूल सिंह बरैया के माध्यम से कांग्रेस दलित वोटरों पर सेंध लगाना चाहती है।

हाल में ही भाजपा ने ग्वालियर में बड़ा अंबेडकर महाकुंभ का आयोजन किया था दोनों ही दल दलित वोटरों में डोरा डालने का प्रयास कर रहे है।

पूर्व मंत्री तरुण भनोट को डिंडोरी,बालाघाट सिवनी,मंडला,नरसिंहपुर की जिम्मेदारी दी गई है तरुण भनोट कमलनाथ के विश्वास पात्रों मे से एक है इन्हें मैनेजमेंट का खासा अनुभव बताया जाता है।

पूर्व मंत्री बाला बच्चन को धार,खंडवा,बुरहानपुर की जिम्मेदारी दी गई है यहां भाजपा काफी मजबूत है यहां बाला बच्चन के सामने बड़ी चुनौतियां है!

मध्यप्रदेश के बड़े पिछड़ा वर्ग के चेहरा कहे जाने वाले कमलेश्वर पटेल को नीमच,मंदसौर रतलाम की जिम्मेदारी दी गई है।

मंदसौर में तो कांग्रेस की बुरी हालत पिछले चुनाव में रही थी अब कमलेश्वर पटेल के सामने वहां पुनःकांग्रेस को खड़ा करना किसी चुनौती से कम नहीं है।

रामनिवास रावत को राजगढ़,शाजापुर की जिम्मेदारी दी गई है वह वहां मीणा,गुर्जर,रावत,जाट मतदाताओं को कांग्रेस के पाले में करने का कठिन काम की जिम्मेदारी मिली है अब देखना है वह इस काम को कैसे कर पाते हैं।

नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविंद सिंह को जबलपुर,उमरिया,अनूपपुर शहडोल की जिम्मेदारी मिली है यह गोविंद सिंह को अब तक का सबसे कठिन टास्क के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि जबलपुर शुरू से भाजपा व संघ का क्षेत्र माना जाता है।

उमरिया अनूपपुर शहडोल में भी भाजपा की स्थिति काफी मजबूत है अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के यह रण बहादुर अपने प्रभार वाले जिलों में कितना कमाल दिखा पाते हैं।

 



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